बैकुण्ठपुर@मंत्री बड़े या विधायक का कद बड़ा,बैकुंठपुर में समझ मे नहीं आता

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मंत्रियों के आगमन पर विधायको का नदारत होना बड़ा सवाल

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 13 मई 2022 (घटती-घटना)। सरकार के प्रोटोकॉल में मंत्रियों को विधायक से बड़ा माना जाता है यहां तक कि कैबिनेट मंत्रियों को राज्यमंत्रीयों कद में बड़ा माना जाता है और उनका कद बड़ा होता है लेकिन बैकुंठपुर विधानसभा में जब जब कैबिनेट मंत्रियों का आगमन होता है अधिकांश बार विधायक नदारत रहती हैं और वह क्षेत्र में रहकर भी मंत्रियों के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखती हैं ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या विधायक का कद वर्तमान सरकार में मंत्रियों से बड़ा हो गया है या विधायकों को मंत्रियों के प्रोटोकॉल का ज्ञान ही नहीं है वैसे राजनीतिक जानकारों का कहना है यह गलत परंपरा है और ऐसा होने का मतलब है कि मामला गुटबाजी या आपसी किसी खींचातानी से जुड़ा हुआ है लेकिन जो कुछ भी हो मंत्रियों के आगमन से क्षेत्र की जनता को सौगात मिलने की संभावना रहती है और यदि क्षेत्रीय विधायक स्वयं नदारद रहेगीं तो निश्चित रूप से मंत्रियों के आगमन से हो सकने वाले लाभ पर असर पड़ेगा। वैसे जिले में प्रशासनिक तानाशाही को लेकर भी प्रभारी मंत्री के समक्ष शिकायत हुई थी और कहा गया था कार्यकर्ताओं द्वारा की अधिकारी कर्मचारी सुनते नहीं तब कार्यकर्ताओं को प्रभारी मंत्री ने चुप करा दिया था, लेकिन यदि मंत्रियों के आगमन पर क्षेत्रीय विधायक उपस्थित रहें तो प्रशासनिक कसावट और प्रशासन पर भी सत्ता का असर पड़ेगा जो कहीं न कहीं नहीं पड़ रहा है।
यदि हम बात करें कोरिया जिले के विधानसभा बैकुंठपुर की इस विधानसभा में कई बार ऐसा देखा गया है कि मंत्री के आगमन पर विधायक कार्यक्रमों से नदारद हुई है या फिर किसी कारणवश शहर छोड़ दी या फिर जहां पर सारे लोग हैं वहां पर मंत्री से मिलना नहीं चाहिए, यह हम नहीं कहते यह यह शहर की चर्चा है और शहर में चर्चा करने वाले भी कोई और नहीं उन्हीं के पार्टी के लोग हैं और उदाहरण भी कई हैं, जिसे झूठ लाया भी नहीं जा सकता। चाहे वह 15 अगस्त व 26 जनवरी का कार्यक्रम की बात हो या फिर प्रभारी मंत्री व खाद्य मंत्री के अगवान की बात हो, एक सवाल यह भी उठता है कि जब मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष का दौरा होता है तो विधायक मौजूद भी होते हैं और प्रोटोकॉल का पालन भी करते हैं, यहां तक की आगमन की सूचना मिलने पर लेने भी जाते हैं पर बाकी मंत्रियों के आगमन पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं देखा जाता है, ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या बाकी मंत्री से बड़े हैं विधायक क्या बाकी मंत्रियों से उन्हें कोई काम नहीं पड़ सकता? क्या बाकी मंत्रियों से वह अपने क्षेत्र के लिए कुछ नहीं मांग सकते? या फिर बाकी मंत्री विधायक को कुछ नहीं दे सकते? अब यह आपसी खींचातानी है या फिर गुटबाजी की बात है यह तो अंदर खाने के लोग ही जाने पर सवाल जनता का है नुकसान जनता का हो रहा है अभी तक जितने भी मंत्री आए है जनता के लिए बहुत कुछ दिया जा सकता था और बहुत कुछ मांगा जा सकता था पर नदारद होने की वजह से कौन मांगेगा और कौन देगा? इससे यह समझा जा सकता है कि नुकसान तो जनता का हो गया और नुकसान का कारण भी सिर्फ एक है जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले का नदारद होना।
गुरुवार को बैकुंठपुर में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का दौरा हुआ और वह सर्किट हाउस में रुके भी सारे कार्यकर्ता से लेकर कांग्रेस के पदाधिकारी उनसे मिलने पहुंचे, यहां तक कि मीडिया भी पहुंची थी पर कोई नहीं पहुंचा तो वह विधायक ऐसा कहना है वहां पर तो विधायक की उपस्थिति नहीं हुई पर जिस कार्यक्रम में अमरजीत भगत बतौर अतिथि जा रहे थे उस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति हुई, सबसे बड़ा सवाल है कि अपने शहर में आए मंत्री जी की के लिए भी समय शायद इनके पास नहीं था या फिर हो सकता है की भीड़ से विधायक बचना चाह रही हैं इसलिए वहां नहीं गई कि कहीं कोई कुछ सवाल ना करते जिसका जवाब मेरे पास ना हो।


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