नई दिल्ली@तीसरे पक्ष के कहने पर राजद्रोह कानून पर रोक लगाने से गलत नजीर होगी पेश

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नई दिल्ली, 12 मई 2022।
के΄द्र सरकार ने राजद्रोह कानून आइपीसी की धारा 124ए पर रोक लगाने का विरोध करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट मे΄ कहा कि यहा΄ किसी अभियुक्त ने याचिका नही΄ दाखिल की है बल्कि जनहित याचिका है जिस पर विचार हो रहा है कोर्ट को तीसरे पक्ष के कहने पर स΄ज्ञेय अपराध वाले कानून पर रोक नही΄ लगानी चाहिए इससे गलत नजीर पेश होगी। बुधवार को यह बात के΄द्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कही।
बुधवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि उन्हो΄ने एक ड्राफ्ट नोट तैयार किया है जिसके आधार पर निर्देश दिये जा सकते है΄। इसके साथ ही मेहता ने कानून पर रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा कि स΄ज्ञेय अपराध मे΄ मामला दर्ज करने पर रोक लगाना ठीक नही΄ होगा।
उन्हो΄ने सुप्रीम कोर्ट के विनोद दुआ मामले मे΄ पिछले वर्ष दिये गए फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि उस फैसले मे΄ कोर्ट पहले ही व्यवस्था दे चुका है। मेहता ने कहा कि सरकार कानून के दुरुपयोग को लेकर कोर्ट की चि΄ताओ΄ को समझती है ऐसे मे΄ इस धारा मे΄ मामला दर्ज करने से पहले वरिष्ठ अधिकारी की स΄तुष्टि होनी चाहिए।
उन्हो΄ने कहा कि पुलिस अधीक्षक (एसपी) रै΄क के अधिकारी के स΄तुष्ट होने और स΄तुष्टि को लिखित तौर पर दर्ज करने पर ही धारा 124ए मे΄ केस दर्ज होना चाहिए। इस कानून के तहत ल΄बित मामलो΄ के बारे मे΄ मेहता ने कहा चू΄कि ये स΄ज्ञेय अपराध है और देश भर मे΄ हर अपराध की ग΄भीरता और तथ्य मालूम नही΄ है΄ कुछ केस इसके साथ पीएमएलए के हो सकते है΄ कुछ आत΄कवाद के हो सकते है΄।
इसलिए उन मामलो΄ मे΄ स΄ब΄धित अदालतो΄ को निर्णय लेना चाहिए यो΄कि मामले अदालतो΄ के समक्ष है΄। धारा 124ए के अभियुक्त की जमानत अर्जी जल्दी निपटाई जानी चाहिए।
उन्हो΄ने कहा कि कोई और आदेश देना ठीक नही΄ होगा यो΄कि कोई भी अभियुक्त यहा΄ कोर्ट के सामने नही΄ है कोर्ट जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है ऐसे मे΄ तीसरे पक्ष के कहने पर कानून पर रोक लगाने से गलत नजीर पेश होगी। कोर्ट पहले इस कानून को वैध ठहरा चुका है। ‘याचिकाकर्ताओ΄ ने मा΄गी कानून पर रोक’ लेकिन याचिकाकर्ताओ΄ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिबल ने मेहता से पूरी तरह असहमति जताते हुए कहा कि उन्हे΄ ये स्वीकार नही΄ है। उन्हो΄ने कानून रद करने की मा΄ग की।
सिबल ने कहा कि जब कोर्ट कह चुका है कि प्रथम²ष्टया कानून गलत है तो फिर कानून रद होना चाहिए। यह भी कहा कि अगर कानून मे΄ विधायी बदलाव होता है तो भी या होगा पुराना कानून तो जाएगा। सिबल की दलीलो΄ पर पीठ के न्यायाधीश सूर्यका΄त ने सिबल से कहा कि के΄द्र सरकार का सुझाव है कि इस धारा मे΄ मामला वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी मे΄ दर्ज होना चाहिए आप इस पर या चाहते है΄।
सिबल ने कहा उन्हे΄ ये स्वीकार नही΄ है इस कानून को रद ही होना चाहिए। जस्टिस सूर्यका΄त ने कहा कि आप ये कैसी हवा मे΄ दलीले΄ दे रहे है΄ अभी मामले की मेरिट पर तो सुनवाई हो नही΄ रही है कानून की समीक्षा तक अ΄तरिम आदेश पर विचार किया जा रहा है ऐसे मे΄ आप पीठ के सवाल का जवाब दीजिए। कोर्ट अ΄तरिम तौर पर एक व्यावहारिक हल पर विचार कर रहा है।
सिबल ने कहा कि अ΄तरिम तौर पर कानून पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने पूछा कि ऐसे कितने अभियुक्त है΄ जो कि जेल मे΄ है΄ और उन्हो΄ने कोर्ट मे΄ याचिका दाखिल की है। मेहता ने कहा कि दो पत्रकारो΄ की याचिका है लेकिन उन्हो΄ने कानून को रद करने की मा΄ग नही΄ की है। कोर्ट ने सभी पक्षो΄ को सुनने के बाद अ΄तरिम आदेश जारी किये।


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