बिलासपुर,11 मई 2022। हसदेव अरण्य को बचाने की मुहिम को जहा΄ एक ओर हाई कोर्ट से झटका लगा है, वही΄ दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने इसी से जुड़े एक मामले मे΄ के΄द्र और राज्य सरकारो΄ को नोटिस जारी किया है।
इस मामले की जानकारी देते हुए अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि हाई कोर्ट मे΄ ग्रामीणो΄ की ओर से परसा केते कोल लॉक के लिए जमीन के अधिग्रहण को गलत बताते हुए उसे रोके जाने स΄ब΄धी याचिका दायर की गई थी। मगर कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है।
परसा केते बासन कोल लॉक के मामले मे΄ ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट मे΄ दायर करते हुए खदान को अनुमति दिए जाने का विरोध किया था। अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशा΄त भूषण ने आज इस मामले की पैरवी की। उन्हो΄ने बताया कि हसदेव अरण्य ज΄गल नो गो एरिया घोषित था। इसमे΄ परसा ईस्ट केते बासन खदान को दी गई अनुमति को नेशनल ग्रीन ट्रियूनल ने 2014 मे΄ ही रद्द कर दिया था। ट्रियूनल ने भारतीय वन्यजीव स΄स्थान और इ΄डियन काउ΄सिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च से इस क्षेत्र मे΄ खनन के प्रभावो΄ का विस्तृत अध्ययन करने को भी कहा था, मगर के΄द्र ने ऐसा अध्ययन कराए बिना ही अन्य खदानो΄ को परमिशन देना जारी रखा।
अब 7 साल बाद वाइल्डलाइफ इ΄स्टीट्यूट की अध्ययन रिपोर्ट आई है जिसमे΄ साफ कहा गया है कि हसदेव के जितने हिस्से मे΄ खनन हो गया उसके अलावा अन्य इलाको΄ मे΄ खनन ना किया जाए इसके बाद भी छाीसगढ़ सरकार ने परसा ईस्ट केते बासन खदान के दूसरे चरण और परसा खदान को अनुमति दे दी है। इसमे΄ 4 लाख 50,000 पेड़ काटे जाए΄गे इसकी वजह से इस क्षेत्र मे΄ हाथियो΄ और इ΄सानो΄ के बीच स΄घर्ष बढ़ेगा।
इस मामले मे΄ सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने के΄द्र सरकार,राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत् म΄डल और अडानी रूष्ठह्र को नोटिस जारी कर दी गई है। अब अगली सुनवाई अब 14 जुलाई को होगी।
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