बैकुण्ठपुर@कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में लगाया अघोषित आपातकाल

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 02 मई 2022 (घटती-घटना)। कांग्रेस द्वारा आन्दोलन एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए जारी किये गये आदेश के खिलाफ भाजपा जिला कार्यालय बैकुंठपुर में किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कि देश के श्रमजीवियो समेत समाज के सभी तबको ने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लम्बी लडाइयां लड़ी है और उसके बाद हम आज यहां तक पहुचे है। दुभार्ग्य यह है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब असहमित के हर आवाज का दमन करना चाहती है। उसने एक काला आदेश निकाल कर रैलियों और प्रदर्शन पर कड़े प्रतिबन्ध और शर्तो को थोपने का काम किया है।
श्री जायसवाल ने आगे कहा कि आप सभी अच्छी तरह जानते है कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के सपनो को छलने का काम किया है। उसने प्रदेश की सीधी-सच्ची जनता को दर्जनों लुभावने सपने दिखा कर, उनसे सैकड़ो वादे कर सत्ता हड़प ली। और अब जिस जनता ने उसे सत्ता सौपी, उसी के साथ वह बर्बरता की सीमा लांघते हुए, प्रदेश के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार की नृशंस कर रही है। ऐसे समय पर जब भाजपा बाबा साहेब डा. भीम राव अम्बेडकर जी की जयंती को ‘सामाजिक न्याय पखवाड़ा’ के रूप में मना रही है, तब छत्तीसगढ़ की जनता के साथ कांग्रेस असामाजिक, अलोकतांत्रिक अन्याय करने पर उतारू है। बाबा साहेब के संविधान दवारा प्रदत्त लोकतान्त्रिक अधिकारों की हत्या की कोशिश कर रही है कांग्रेस। भपेश सरकार ने एक तुगलकी आदेश जारी कर प्रदेश भर के सभी निजी, सार्वजनिक, धार्मिक, राजनितिक, अन्य संगठनों दवारा प्रस्तावित आयोजनों पर जिसमे भीड़ आती हो, उसे रोकने के लिए 19 बिन्दुओ की शर्त लगाई गयी है, और उसका कठोरता से पालन सुनिश्चित करने को कहा है, इन शर्तो का पूरी तरह पालन कर कोई भी बड़ा धार्मिक/राजनीतिक/सामाजिक आयोजन संभव ही नहीं है। अत: सीधे तौर पर सरकार यह चाहती है कि जन संगठनों के विरोध प्रदर्शन को, असहमित की आवाज़ को, विपक्ष को, धार्मिक भावनाओं को, अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल दे। कांग्रेस का ऐसा करने का इतिहास भी रहा है, आपातकाल लगा कर उसने हम जीने तक के अधिकार से वंचित कर दिया था।
अपने मतदाताओं को देने
के लिए बस लाठी है

ऐसे समय पर जब कांग्रेस सरकार दवारा प्रदेश के किसान, युवाओं के साथ धोखा हुआ है। जब शिक्षक अभ्यर्थी, विद्या मितान, पुलिस अभ्यर्थी, बिजली कर्मचारी, कोरोना वरिय्र्स, संविदा कर्मी, आदिवासी, महिलाये, आंगनवाड़ी कायकतार्एं…. सभी अपनी मानगो को लेकर आंदोलित है, जब प्रदर्शन के दौरान किसान अपनी जान दे रहे है जैसा नया रायपुर में हुआ, युवा आत्महत्या कर रहे है, तब इन अक्रोशो को ख़त्म कर उन्हें न्याय देने के बदले, कांग्रेस सरकार उनकी जुबान बंद करने पर उतारू है। जबरा मारे और रोने भी न दे। लखीमपुर में छग का करोड़ो लुटा आने वाले बघेल के पास अपने मतदाताओं को देने के लिए बस लाठी है, जिस तरह रायपुर में आंदोलनकारियो को पिछले हफ्ते ही जूतों से कांग्रेस सरकार दवारा कुचला गया, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियो तक के दवारा जम कर उन पर लाठी-मुक्के बरसाए गए, अब इस नए तुगलकी आदेश के बाद ऐसे तत्व और किस तरह जनता का दमन करेंगे, इसकी कल्पना की जा सकती है। इस आदेश में सबसे आपत्तिजनक और असंवैधानिक बिन्दु आयोजकों से हलफनामा लिया जाना है। उसके बाद आयोजन के दौरान किसी भी तरह का किथत उल्लंघन होने पर सीधे उन पर कानूनी कार्यवाही होगी। मतलब अब प्रदेश में हर कार्यक्रम अंतत: शासन के रहमोकरम परनिर्भर होगा? आंखिर कोई शासन अपने ही खिलाफ किसी प्रदशन के लिए अनुमित क्यों इस आदेश से अब जब भी शासन का मन होगा वह किसी न किसी शर्त के उल्लंघन के आरोप में आयोजको को जेल में डाल देगी। या किसी न किसी बहाने प्रदशन की अनुमित ही नहीं देगी। आयोजको पर हमेशा आतंक बना कर रखना चाहती है सरकार। इस आदेश में ऐसे-ऐसे प्रावधान है जिससे जान-बूझकर भी किसी आयोजन में अशांति पैदा कर भी उसक आयोजक को जेल भेजा जा सकता है। उन्हें सजा दिला सकती है कांग्रेस।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में बिना घोषित किये हुए ऐसा आपातकाल लगा
स्वतंत्र भारत के इितहास में बिना घोषित किये हुए ऐसा आपातकाल लगा देने का ऐसा शायद अन्य कोई उदाहरण नहीं होगा। द:ख की बात यह है कि इन्ही आंदोलनकारियो के पास जा-जा कर समथन के लिए हाथ फैला कर भूपेश बघेल आज यहां तक पहुंचे ह। लेकिन सत्ता के अहंकार में अब इनकी मांगो पर विचार करना तो दूर, इनकी आवाज तक छीन लेना चाहती है कांग्रेस। इससे अनैतिक, अपराधिक, असंवैधानिक, असभ्य, निंदनीय कदम किसी सरकार का और क्या हो सकता है भला? इस आदेश में उल्लेखित शर्तो के बिंदु 8, 12, 13, 14, 15, 18 और 19 में खासकर ऐसे प्रावधान है, जो सीधे तौर पर हमारे संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन करते है। इसमें अनेक नियम तो ऐसे है, जिसे पढ़ कर ऐसा लगता है मानो कांग्रेस यह मान बैठी है कि ऐसे सभी आयोजक तब तक अपराधी है, जब तक कि वे निरपराध साबित न हो जाये। और खुद को निरपराध साबित करने की जिम्मेदारी भी मानो खुद आयोजक की हो। शासन उन्हें ऐसा संदिग्ध मानेगा, मानो वे आदतन अपराधी हो। ऐसा आदेश तो कभी अंग्रेजो ने भी नहीं दिया था जैसा उनके उत्तराधिकारी कांग्रेसी दे रहे। इस सनक भरे आदेश के तहत कांग्रेस वस्तुत: अपने राजनीतिक विरोधियो को और असहमित की आवाज़ बुलंद करने वाले समूह दल को चुन-चुन कर निशाना बनाने की फिराक में है।
क्या केवल कांग्रेस को ही अभिव्यक्ति एवं प्रदशन का अधिकारी- इसके तहत व्यव्हार में केवल कांग्रेस को ही अभिव्यक्ति एवं प्रदशन का अधिकारी रह जाएगा। जैसा उसने इस आदेश के बाद भी बिना डीआरएम कार्यालय घेराव अनुमित बगैर कर साबित भी किया है। कांग्रेस की स्वेच्छाचारिता और उसका दमन इससे बढ़ेगा। वह इस आदेश की आड़ में अब लगातार टार्गेटेड हमले करेगी। आप पत्रकार बंधुओं के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी, समाज के सभी वर्ग, संगठनो का आह्वान करती है की अपनी आज़ादी की रक्षा और लोकतांत्रिक अधिकार की बहाली हेतु सब साथ आये और विरोध करे। साथ ही भाजपा स्पष्ट तौर पर कांग्रेस सरकार को यह चेतावनी देना चाहती है कि 15 दिन के भीतर अपना यह काला आदेश वापस ले, अन्यथा पार्टी लोकतंत्र की रक्षा में जेल भरो आन्दोलन समेत हर तरह का आंदोलन करने, बिलदान देने सड़क पर उतरने को मजबूरहोगी और इसकी सारी जिम्मेदारी कांग्रेस की होगी। कांग्रेसी आपातकाल के खिलाफ पूर्व में भी आज़ादी की दूसरी लड़ाई लड़ कर जैसे देश ने जीत हासिल की थी, उसी तरह निश्चय ही हम छत्तीसगढ़ के लोग आज़ादी की इस तीसरी लड़ाई को भी दम-ख़म से लड़ते हुए कांग्रेस को फिर परास्त करेगी। कांग्रेस सरकार को हम हमारे लोकतांतांत्रिक अधिकारों से खेलने नहीं देंगे। हम यह आदेश वापस लेने कांग्रेस को फिर से चेतावनी देते है। इस प्रेस वार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्ण बिहारी जायसवाल, जिला उपाध्यक्ष शैलेश शिवहरे, देवेन्द्र तिवारी, विपिन बिहारी जायसवाल मौजूद रहेद्य


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