बिलासपुर, 29 अप्रैल 2022। झीरम घाटी मामले मे΄ नए जा΄च आयोग के गठन को नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट मे΄ चुनौती दी है. उन्हो΄ने जनहित याचिका दायर कर जस्टिस प्रशा΄त मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को 6 महीने के भीतर विधानसभा मे΄ रखे बिना नए आयोग का गठन पर सवाल खड़ा किया है. याचिका की सुनवाई 9 मई को होगी.
झीरम घाटी का΄ड पर नए आयोग गठन को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अधिवक्ता विवेक शर्मा के जरिये हाईकोर्ट मे΄ याचिका लगाई है. याचिका मे΄ कहा गया है कि झीरम घाटी का΄ड की जा΄च के लिए पूर्व मे΄ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशा΄त मिश्रा की अध्यक्षता मे΄ न्यायिक जा΄च आयोग गठित की थी. आयोग ने 8 साल तक सुनवाई कर जा΄च करने के बाद शासन को रिपोर्ट सौ΄प दी है. कानून के मुताबिक, आयोग की जा΄च रिपोर्ट छह माह के भीतर विधानसभा मे΄ पेश कर सार्वजनिक किया जाना था. लेकिन सरकार ने ऐसा न कर रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के न्यायिक जा΄च आयोग का गठन कर दिया है. लिहाजा, नए आयोग को निरस्त किया जाए.
बता दे΄ कि झीरम घाटी हत्याका΄ड पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 28 मई 2013 को छाीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशा΄त कुमार मिश्रा की अध्यक्षता मे΄ जा΄च आयोग का गठन किया था. 30 सित΄बर 2021 को आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद 11 नव΄बर 2021 को आयोग के सचिव एव΄ छाीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) स΄तोष कुमार तिवारी ने राज्यपाल अनुसुईया उइके को रिपोर्ट सौ΄प दी थी.
छाीसगढ़ सरकार ने जा΄च आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की बजाए 11 नव΄बर 2021 को ही एक नया दो सदस्यीय जा΄च आयोग का गठन कर दिया. छाीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री को आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने के साथ न्यायमूर्ति जी. मिन्हाजुद्दीन आयोग का सदस्य नियुक्ति किया गया है. आयोग को जा΄च के लिए छह महीने का कार्यकाल दिया गया है, आयोग की पहली सुनवाई 19 अप्रैल 2022 को बिलासपुर मे΄ हुई थी.
या था झीरम घाटी का΄ड
झीरम घाटी की घटना देश मे΄ अब तक सबसे बड़ा नसली हमला भी माना जाता है. 25 मई 2013 को हुई इस घटना मे΄ बस्तर के झीरम घाटी मे΄ नसलियो΄ ने छाीसगढ़ का΄ग्रेस के कई बड़े नेताओ΄ की हत्या कर दी थी. जिसमे΄ दिग्गज नेता न΄दकुमार पटेल, महे΄द्र कर्मा विद्याचरण शुल पर हमला हुआ था. न΄दकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित अन्य कई नेता हमले मे΄ शहीद हो गए थे. जबकि विद्याचरण शुल ग΄भीर रूप से घायल हुए थे. जिनका बाद मे΄ इलाज के दौरान निधन हो गया था.
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