नई दिल्ली@भाषा विवाद: क΄गना रनोट ने भी दिया हि΄दी के पक्ष मे΄ बयान, कहा, स΄स्कृत होनी चाहिए थी राष्ट्रभाषा

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नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2022।
अजय देवगन और किच्चा सुदीप द्वारा राष्ट्रभाषा को लेकर दिए गए बयानो΄ के बीच अब फिल्म अभिनेत्री क΄गना रनोट ने इस विषय पर बयान दिया हैद्य उन्हो΄ने शुक्रवार को कहा कि स΄स्कृत देश की राष्ट्रभाषा होनी चाहिएद्य क΄गना रनोट ने अपनी आगामी फिल्म धाकड़ के ट्रेलर लॉन्च के कार्यक्रम मे΄ यह बाते΄ कही।
क΄गना रनोट ने कहा कि जो हमारा मौजूदा सिस्टम है, सोसायटी है, इसकी भाषा और स΄स्कृति मे΄ काफी विविधता है और हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह अपनी भाषा और स΄स्कृति पर गर्व महसूस करे΄ लेकिन हमारा जैसा देश है, इसे एक यूनिट बनाने के लिए कोई एक धागा चाहिए ताकि हम इसे चला सके΄।
क΄गना ने आगे कहा, अगर हमे΄ स΄विधान का सम्मान करना हैद्य तो इन लोगो΄ ने जब बनाया तो हि΄दी को राष्ट्रभाषा बनायाद्य तमिल हि΄दी से पुरानी है लेकिन उससे भी पुरानी है स΄स्कृतद्य अगर आप मेरा मत जानना चाहते है तो मुझे लगता है राष्ट्रभाषा स΄स्कृत होनी चाहिए यो΄कि तमिल, कन्नड़, गुजराती और हि΄दी जैसी भाषाए΄ उसी से आई हुई हैद्य तो स΄स्कृत को ना लेकर हि΄दी को यो΄ बनायाद्य इसका जवाब मेरे पास नही΄ हैद्य ये उस समय के लिए हुए निर्णय है लेकिन जब खलिस्तान की मा΄ग होती है और जब वो कहते है कि हम हि΄दी को नही΄ मानते है, जब युवाओ΄ को भटकाया जाता हैद्य तब वह हि΄दी के बारे मे΄ नही΄ होताद्य वे स΄विधान को भी नही΄ मान रहे होते है।
क΄गना रनोट ने यह भी कहा, तमिल का भी मूवमे΄ट हुआ था, उन्हे΄ एक अलग देश चाहिए थाद्य जब आप तमिल रिपिलक की मा΄ग करते है और कहते है कि मै΄ हि΄दी को भाषा नही΄ मानताद्य तब आप सिर्फ हि΄दी को ही नही΄, बल्कि देश की के΄द्रीय सरकार को भी नकार रहे होते हैद्य यह कई लेयर्स की चीज हैद्य जब आप इस बारे मे΄ बात करते है तो आपको इन सभी लेयर्स का अ΄दाजा होना चाहिएद्य तो जब भी आप हि΄दी को डिनाई करते है तो आप हमारे स΄विधान और दिल्ली की सरकार को भी डिनाई कर रहे है।
क΄गना रनोट ने आगे कहा, आप दिल्ली को नही΄ मानते, चाहे हमारा स΄विधान हो, सुप्रीम कोर्ट हो, चाहे किसी तरह के कानून बने΄द्य दिल्ली मे΄ जो भी सरकार हो, वह जो भी करती है, वह हि΄दी मे΄ करती हैद्य चाहे आप देश मे΄ घूमते है, चाहे आप बाहर जाते है, जर्मन हो, स्पेनिश हो, फ्रे΄च हो, उन्हे΄ अपनी भाषा पर गर्व होता है लेकिन चाहे कितना भी काला इतिहास हो, भाग्य से या दुर्भाग्य से इ΄ग्लिश वह लि΄क बन गई हैद्य आज भी हम एक लि΄क के तौर पर इ΄ग्लिश भाषा का प्रयोग कर रहे हैद्य ताकि हम बातचीत कर सके΄द्य तो वह लि΄क हि΄दी या स΄स्कृत या तमिल होनी चाहिएद्य यह हमे΄ तय करना होगा।
हमे΄ इन बातो΄ को ध्यान मे΄ रखते हुए एक निर्णय लेना चाहिएद्य अभी तक स΄विधान मे΄ हि΄दी राष्ट्रभाषा है।


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