बैकुण्ठपुर@जिला पंचायत सीईओ के विरोध में ग्राम पंचायत सचिवों के साथ खड़े हुए कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्य

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भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्ष को पंचायत सचिवों के साथ सौंपा ज्ञापन।
अपनी ही सरकार में कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्यों साथ ही पदाधिकारियों का यह अजीब रहा समर्थन।
जिला पंचायत सीईओ के कार्यव्यवहार से ग्राम पंचायत सचिव हैं परेशान।
अपने साथ न्याय के लिए जगह जगह लगा रहें हैं ज्ञापन लेकर गुहार।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 27 अप्रैल 2022 (घटती-घटना)।
जनपद पंचायत बैकुंठपुर के ग्राम पंचायत सचिवों के समर्थन में कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्य सामने आकर ग्राम पंचायत सचिवों के जिला पंचायत सीईओ के विरोध व उनके स्थानांतरण की मांग का समर्थन कर रहें हैं। जिला पंचायत सीईओ के कार्यव्यवहार से बैकुंठपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत सचिव दुखी हैं और खुद को प्रताड़ित बताते हुए वह यह मांग कर रहें हैं कि जल्द से जल्द जिला पंचायत सीईओ का स्थानांतरण किया जाए जिसके लिए ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा मुख्यमंत्री सहित जिले के तीनों विधायको को ज्ञापन प्रेषित किया गया विगत दिनों वहीं इसी क्रम में जनपद पंचायत बैकुंठपुर की अध्यक्ष को भी ज्ञापन सौंपा गया और समर्थन मांगा गया।
भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्ष को ग्राम पंचायत सचिवों ने जिला पंचायत सीईओ के विरोध में व उनके स्थानांतरण की मांग का ज्ञापन सौंपा उस दौरान बैकुंठपुर जनपद पंचायत के कांग्रेस समर्थित व कांग्रेस परिवार के सदस्य जनपद सदस्य भी मौजूद रहे और उन्होंने सचिवों की मांग व विरोध का खुला समर्थन किया जैसा कि तस्वीरों में भी साफ नजर आ रहा है। वैसे जनप्रतिनिधियों का कर्मचारियों की मांग व उनके विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके साथ रहने का उनका साथ देने का चलन यह कोई नया चलन साबित हुआ ऐसा नहीं है यहां नया यदि कुछ है तो वह यह है कि कांग्रेस समर्थित कांग्रेस नेता जनपद सदस्यों ने ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा जिला पंचायत सीईओ के विरोध में उनके स्थानांतरण की मांग का जो ज्ञापन जनपद पंचायत बैकुंठपुर की अध्यक्ष को सौंपा उस ज्ञापन में कोई कार्यवाही जनपद पंचायत अध्यक्ष नहीं कर सकतीं वहीं इस दौरान कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्य कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति से यह साबित हो गया कि जिले की कांग्रेस पार्टी में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है और इसीलिए अब कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को भी अधिकारियों के विरोध में कर्मचारियों के साथ सामने आना पड़ रहा है क्योंकि नेताओं को यहीं उन्ही कर्मचारियों के बीच रहना है और यदि कोई अधिकारी कर्मचारियों की अवमानना करेगा तो इस स्थिति में कर्मचारियों के साथ जनप्रतिनिधियों को खड़ा होना पड़ेगा वहीं ऐसा तब और जरूरी हो जाता है जब अधिकारी एक से ज्यादा किसी जनप्रतिनिधि का सुनने को जब तैयार न हों तब सत्तादल के जनप्रतिनिधियों को भी खुलकर विरोध में सामने आना होगा भले विरोध अपनी ही सरकार के द्वारा भेजे गए अधिकारी का ही क्यों न करना पड़े और इससे सरकार और व्यवस्था पर ही क्यों न प्रश्नचिन्ह लगता है नजर आए। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कई बार कांग्रेस नेताओं को खुलकर व्यवस्था पर विरोध करते इन तीन सालों में जिले में देखा गया है साथ ही कई बार आंदोलन की चेतावनी भी सत्ताधारी कांग्रेस नेताओं ने ही दी है यह भी देखा गया है। बता दें कि वर्तमान में जिला पंचायत सीईओ के व्यवहार से ग्राम पंचायत सचिव दुखी हैं और उनकी अमर्यादित भाषा सहित उनके द्वारा ग्राम पंचायत सचिवों को जिस तरह परेशान किया जा रहा है उसको लेकर वह जिला पंचायत सीईओ का विरोध कर रहें हैं और उनके स्थानांतरण की मांग कर रहें हैं।


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