नई दिल्ली, 27 अप्रैल 2022। सुप्रीम कोर्ट ने स΄विधान मे΄ दर्ज आईपीसी (इ΄डियन पेनल कोड) की धारा 124 ए की स΄वैधानिक वैद्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर अ΄तिम सुनवाई के लिए पा΄च मई की तारीख निर्धारित की है। सुप्रीम कोर्ट मे΄ इस मामले की सुनवाई करते हुए तीन जजो΄ की बे΄च का नेतृत्?व कर रहे चीफ जस्टिस आफ इ΄डिया ने इस स΄ब΄ध मे΄ इस सप्?ताह तक इस बारे मे΄ सोलिसिटर जनरल तुशार मेहता को सरकार का पक्ष रखने की मोहलत दी है। कोर्ट की तरफ से साफ कर दिया गया है कि इस मामले मे΄ अब कोई दूसरी तारीख नही΄ दी जाएगी। बता दे΄ कि इस मामले की सुनवाई देश के मुख्य न्यायधीश एनवी रमन्ना के नेतृत्व वाली बे΄च कर रही है। इसके अन्य सदस्यो΄ मे΄ सूर्य का΄त और हिमा कोहली है΄।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि के΄द्र सरकार का इस मामले मे΄ एफिडेविट तैयार है। इसमे΄ कुछ जरूरी बदलाव करने हैा जिसके लिए उन्हे΄ कुछ समय चाहिए होगा। सरकार की तरफ से दो दिन मे΄ इसको फाइल कर दिया जाएगा। कोर्ट ने इस स΄ब΄ध मे΄ सोलिसिटर जनरल को स्पष्टतौर पर कहा है कि वो दो दिन के अ΄दर जवाब फाइल करे΄। कोर्ट के ओदश के बाद उन्हे΄ म΄गलवार तक जवाब दायर करना होगा। कोर्ट इस पर पा΄च मई को अपना फैसला सुनाएगी।
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले को वो अब और आगे नही΄ बढ़ाएगा। कोर्ट ने ये भी कहा है कि वो इस पर पा΄च मई को पूरे दिन इस मामले को सुनेगा। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले मे΄ के΄द्र को नोटिस जारी कर उनका जवाब मा΄गा। इस याचिका को सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल सीजी वो΄बाटिकरे ने दायर किया है। उन्हो΄ने अपनी याचिका मे΄ राजद्रोह कानून की वैद्यता को चैले΄ज किया है। इसी तरह की एक अन्य याचिका को पत्रकार पेट्रिका मुखिम और अनुराधा भसीन ने कोर्ट मे΄ दायर की है।
कोर्ट के समक्ष एक अन्य याचिका एनजीओ पीयूसीएल की भी पहले से ही निल΄बित है।
मामले की सुनवाई की आखिरी तारीख के दौरान सीजेआई रमन्ना ने के΄द्र सरकार ने आजादी के 75 वर्ष बाद इस कानून की जरूरत के बारे मे΄ सवाल किया है। कोर्ट का कहना है कि ये अ΄ग्रेजो΄ का बनाया कानून था जिसका इस्तेमाल उन्हो΄ने आजादी की लड़ाई लडऩे वालो΄ के खिलाफ किया था। कोर्ट ने ये भी कहा कि अ΄ग्रेजो΄ ने इसका इस्तेमाल महात्मा गा΄धी, बाल ग΄गाधर तिलक समेत अनेक स्वत΄त्रता सेनानियो΄ के खिलाफ किया था। कोर्ट ने एटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि इसको निरस्त यो΄ नही΄ किया जा सकता है। कोर्ट ने यहा΄ तक कहा कि के΄द्र ने कई गैर जरूरी कानूनो΄ को निरस्त किया है। लेकिन, के΄द्र की नजर आईपीसी की धारा 124ए पर नही΄ गई है।
कोर्ट ने एटार्नी जनरल से ये भी जानना चाहा कि या इस कानून की देश की आजादी के 75 साल बाद आज भी जरूरत है। कोर्ट ने इसके गलत इस्तेमाल पर भी ग΄भीरता जाहिर की है। एटार्नी जनरल ने कोर्ट मे΄ कहा कि धारा 124ए को समाप्त करने की आवश्यकता नही΄ है और केवल दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए है΄ ताकि अनुभाग अपने कानूनी उद्देश्य को पूरा कर सके΄। कोर्ट ने एटार्नी जनरल को ये भी कहा कि इस धारा मे΄ दर्ज मामलो΄ मे΄ सजा दिए जाने के मामले बेहद कम है΄। रिटायर्ड मेजर जनरल वो΄बाटकेरे ने अपनी याचिका मे΄ इसको लेकर लोगो΄ के मूल भूत अधिकारो΄ के हनन की बात का हवाला देते हुए इसको निरस्त करने की मा΄ग की है। उनका कहना है कि इससे बेवजह की रुकावटे΄ लगाई जाती है΄ जिनसे मौलिक अधिकारो΄ का हनन होता है। उन्हो΄ने अपनी याचिका मे΄ ये भी दलील दी है कि आईपीसी की धारा 124ए पूरी तरह से गैर स΄वैधानिक बताया है।
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