कलेक्टर से मुलाकात कर लोगों को पट्टा दिलाने की रुकी कार्यवाही को आगे बढ़ाने पूर्व महापौर का निरन्तर प्रयासरत जारी
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 24 अप्रैल 2022 (घटती-घटना)। चिरमिरी नगर निगम क्षेत्र के निवासियों को उनके वर्षो पुराने घरों एवं दुकानों का मालिकाना हक दिलाने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहने वाले नेता पूर्व महापौर के. डोमरु रेड्डी ने अपने एक लम्बे योजनाबद्ध तरीके से राज्य शासन को एसईसीएल के कोयला निकाल चुके अनुपयोगी जमीनों को चिन्हित कर, शासन को वापिस कराने के सम्बंध में सहमत कराते हुए, निर्देश जारी करवाया है। अपने महापौर कार्यकाल के दौरान उन्होंने तत्कालीन रमन सरकार से सरगुजा विकास प्राधिकरण में इस विषय पर, अपने शहर की ओर से अपना पक्ष रखते हुए, पट्टा दिलाने की मांग रखी थी, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर, अग्रिम कार्यवाही हेतु संभाग आयुक्त की अध्यक्षता में समिति बनाकर, उचित कार्यवाही का निर्देश दिया था। जिसे बाद में भूपेश सरकार ने भी आगे बढ़ते हुए जन सरोकार वाले इस निर्णय को मूर्तरूप देने के आवश्यक निर्देश दिए हैं। किन्तु स्थानीय नेताओं एवं समय के साथ बार – बार बदल रहे अधिकारियों के सुस्त रवैय्ये एवं रुचि न लेने के कारण यह मामला कागजों में ही सिमट के रहा गया था। जिस पर अब फिर से पूर्व महापौर ने मोर्चा संभालते हुए प्रशासन से बातचीत कर, अपने जनता को उनका हक दिलाने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने का निर्णय लिया है।
एसईसीएल लीज की 294 हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर वापसी के लिए कलेक्टर कार्यालय को प्रस्ताव भेज चुका है
इस सम्बंध में चिरमिरी के पूर्व महापौर के. डोमरु रेड्डी ने कोरिया कलेक्टर कुलदीप शर्मा से मुलाकात कर उन्हें पिछले आठ सालों से चलाए इस अभियान के सम्बंध में बताया कि सरगुजा क्षेत्र एवं आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक दिनांक 03 जून 2019 के कार्यवाही विवरण पर कियान्वयन करते हुए, आयुक्त सरगुजा सम्भाग को उनके पत्रों पर पालन प्रतिवेदन भेजे जाने हेतु अनुरोध के साथ कहा है कि सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकारी की बैठक दिनांक 03 जून 2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा एसईसीएल के अधीन अनुपयोगी जमीनों को छत्तीसगढ़ शासन को वापस कराने हेतु पुन: निर्देशित किया गया है, जिसका कार्यवाही विवरण आयुक्त कार्यालय (प्राधिकरण प्रकोष्ठ) के पत्र क्रमांक- 1613/सविप्रा/ 2019-20 अम्बिकापुर 19 जून 2019 के तहत कलेक्टर कोरिया को भेजा गया है। जिसका पालन प्रतिवेदन कलेक्टर कोरिया कार्यालय से आज दिनांक तक भेजा नहीं जा सका है। जबकि चिरमिरी एसईसीएल ने अपने लीज की 294 हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर वापसी के लिए कलेक्टर कार्यालय को प्रस्ताव भेज चुका है, जो जिला स्तर पर लम्बित है।
80 वर्षों से निवास कर अपना जीवन यापन करने वाले के आशियानों को आवासीय पट्टा दिलाने का प्रयास
इस सम्बंध में श्री रेड्डी ने कलेक्टर से इस सम्बंध में विदित कराया है कि एसईसीएल के कोयला उत्खनन वाले हमारे चिरमिरी एवं चिरमिरी जैसे दूसरे क्षेत्रों में 70-80 वर्षों से यहाँ निवास कर अपना जीवन यापन कर रह रहे निवासियों के आशियानों को आवासीय पट्टा दिलाने के लिए 2015 से इस सम्बंध में मेरे द्वारा महापौर चिरमिरी एवं प्राधिकरण के विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में किए गए विभिन्न प्रयासों के फलस्वरूप सरगुजा उत्तर क्षेत्र एवं आदिवासी विकास प्राधिकरण में इस महत्वपूर्ण विषय पर कार्यवाही जारी है, किन्तु मेरे पद से हटते ही यह गति धीमी पड़ गई है। उन्होंने कलेक्टर को जानकारी देते हुए बताया कि जिले में पदस्थ अलग – अलग कलेक्टरों से समय – समय पर अनुरोध एवं पत्राचार कर, इस कार्यवाही को आगे बढ़ाने को लेकर, निरन्तर पहल किया है। किन्तु बार-बार हो रहे स्थानांतरण के कारण भी इसमें कार्यवाही बढ़ नहीं पा रही है। उन्होंने यह भी अवगत कराया है कि इस सम्बंध में तात्कालीन मुख्यमंत्री महो0 के निर्देश पर आयुक्त सरगुजा सम्भाग का पत्र क0-3308/ एसईसीएल/ स.उ.क्षे.आ.वि.प्रा./2017 अम्बिकापुर 04.10.2017 एवं कार्यालय कलेक्टर (खनिज शाखा) जिला कोरिया के पत्र कं0 8303 / खनिज एसईसीएल स.उ.से.आ. वि.प्रा./2017 कोरिया, बैकुण्ठपुर 04.10.2019 के संलग्न पत्रों से भी स्पष्ट है कि इस सम्बंध में चिरमिरी एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद कोरिया कलेक्टर की अध्यक्षता में 08 अधिकारियों का एक जिला स्तरीय समिति का गठन करते हुए रिपोर्ट तैयार कर शासन और एसईसीएल प्रबंधन को अग्रिम कार्यवाही हेतु पत्र लिखा है, जिसकी प्रगति मानीटरिंग के अभाव में ठप्प है। जिसे आगे बढ़ाया जाना लोकहित में है। किन्तु शासन स्तर पर निर्णय हो जाने के बाद, जिला कार्यालय में सार्थक पहल के अभाव में यूँ मुख्यमंत्री के निर्देशों की अवहेलना समझ से परे है। पूर्व महापौर ने कलेक्टर कोरिया को दस्तावेजों के साथ आग्रहपूर्वक मांग किया है कि इस सम्बंध में विशेष टास्क फोर्स बनाकर, रुके हुए कार्यवाही को आगे बढ़ाएं, क्योंकि ये राजनीति का मुद्दा नहीं बल्कि चिरमिरी एवं चिरमिरी जैसे दूसरे शहरों के अस्तित्व और पलायन का एक गम्भीर मुद्दा है, जिसे समय रहते हल निकाला जाना आवश्यक है।