- यातायात व्यवस्था सुदृढ़ करने घड़ी चौक को किया जाना था कम से कम चौड़ा ।
- राजनीति ऐसी हावी हुई कि नियम
- कायदों के विपरीत बन रहा फिर बड़ा चौक।
- ाहर के बीचों बीच के चौक को लेकर
- भी राजनीति का छाया काला साया।
- राजनीतिक श्रेय या सुचारू यातायात आखिर क्या है शहर के लिए जरूरी।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 20 अप्रैल 2022 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर शहर में शहर के मुख्य चौकों को तोड़कर फिर से नए चौकों का निर्माण किया जा रहा है शहर का मुख्य फौवारा व घड़ी चौक को तोड़कर 11 लाख की लागत से नया चौक बनाने की तैयारी की जा रही है वहीं प्रशासन का इस चौक को लेकर साथ ही सभी चौकों को लेकर स्पष्ट निर्देश है कि सभी चौक चौराहे कम जगहों वाले छोटे चौक बने जिससे यातायात व्यवस्था को लेकर कोई दिक्कत ना हो और चौकों का आकार छोटा होने से यातायात व्यवस्था सुदृढ़ हो सके लेकिन बैकुंठपुर जिला मुख्यालय के घड़ी और फौवारा चौक दोनों को पुन: बनाया जा रहा है जिसके लिए 11 लाख खर्च किये जा रहें हैं और ऐसा सत्ता शासन के दबाव में किया जा रहा है।
गौ रक्षा वाहिनी के अध्यक्ष अनुराग दुबे ने इस संबंध में बताया कि घड़ी चौक का बाउंड्रीवाल फिर से उतने ही आकार का बनाया जा रहा है जैसा पहले था और फिर से उतनी ही जगह घेरेगा यह चौक वहीं उन्होंने यह भी बताया कि इस चौक की चौड़ाई ज्यादा की जा रही है इस बात की जानकारी मिलते ही जिले के कलेक्टर स्वयं जिला मुख्यालय स्थित उक्त चौक पहुंचे और उन्होंने चौक को छोटा करने का निर्देश जारी किया और काम रोकने का भी निर्देश दिया था, वहीं अनुराग दुबे ने माननीय उच्चतम न्यायालय के भी निर्देश का हवाला देते हुए बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय का भी निर्देश है कि रास्ट्रीय राज्यमार्गों पर पड़ने वाले चौक चौराहों को समाप्त किया जाना है, जबकि जिले के कलेक्टर के काम रोकने के निर्देश का भी ध्यान नहीं रखते हुए एक दिन बाद ही फिर से खुदाई जारी है और चौक को बड़ा करने की तैयारी है। यह जनता के मेहनत से कमाए पैसों से जमा किये टेक्स की राशि के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है जो राजनीतिक उद्देश्य पूर्ति के लिए किया जा रहा है उन्होंने यह भी कहा कि चौक चैराहों के नामकरण करने से किसी को ऐतराज नहीं है लेकिन नियम कायदे मानकर नियम अनुसार ही छोटे आकार के चौक बनाये जाएं और जनता के टेक्स के पैसों को चौक चौराहों के नाम पर बर्बाद न करते हुए कुछ ऐसा विकास कार्य किया जाए जिससे जनता को सीधा लाभ मिल सके चौक चैराहों से लाभ मिलने की बजाए सड़क सकरी होंगीं और यातायात व्यवस्था प्रभावित होगी।