अम्बिकापुर, 19 अप्रैल 2022 (घटती-घटना)। विश्व लीवर दिवस हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है। ये शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग तो होता ही है, साथ ही यकृत, जिगर या लिवर को स्टोर रूम भी कहा जाता है। इसका काम होता है अपने अंदर भोजन को एकत्र रखना। शरीर को चलाने के लिए लिवर की आवष्यकता होती है। हालांकि आजकल बदलती लाइफस्टाइल के कारण लोगों का खानपान भी बदल गया है। जिसके कारण उन्हें लीवर में दिक्कत हो जाती है। बता दें कि हेपेटाइटिस ए बी सी अल्कोहल और ड्रग्स के कारण लीवर की बीमारियां हो सकती हैं। वहीं वायरल हेपेटाइटिस, दूषित भोजन और पानी के सेवन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण होता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए लिवर का ध्यान रखने की जरूरत है। तो विश्व लिवर दिवस 2022 के मौके पर आइए जानें कि लिवर को किस तरह साफ और स्वस्थ रखा जा सकता है।
बढ़ रही है फैटी लीवर की संख्या
विश्व लीवर दिवस पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमएस व मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. लखन सिंह ने बताया कि खराब खान पान की वजह से फैटी लीवर की संख्या बढ़ रही है। लोगों में आवश्यकता से अधिक वजन बढऩे से कई बीमारियों होती है। बीपी, शुगर से ग्रसित होने के बाद शरीर के कई अंग को प्रभावित करता है। इस लिए लोगों को वजन कंट्रोल करना सबसे ज्यादा जरूरी है। अनियंत्रित वजन के कारण लोग फैटी लीवर जैसे बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। लोगों को समय-समय पर लीवर की जांच कराती रहनी चाहिए। ताकि लीवर के फंसन का पता चल सके। विशेष कर पीलिया बीमारी से ग्रासित लोगों को लीवर की जरूरत जांच करानी चाहिए।
शराब लीवर को करता है पूरी तरह प्रभावित
विशेषज्ञ डा. लखन सिंह ने बताया कि अत्यधिक शराब के सेवन से लगभग सभी अंगों को नुकसान होने की संभावना होती है, यह सबसे पहले लीवर को प्रभावित करता है। उन्होंने विश्व लीवर दिवस पर लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि लोगों को शराब कम से कम पीनी चाहिए। शराब सेवन करने वालों को लीवर खराब होने की ज्यादा शिकायतें आ रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। लीवर खराब होने पर इसका इलाज लीवर की क्षति की सीमा पर निर्भर करता है।
हेपेटाइटिस से पीडि़त लोगों को भी
करता है प्रभावित
खास कर हल्कोहल वाले लोगों को लीवर फैलुअर होता है तो वापस लाना संभव नहीं होता है। ज्यादा मात्रा में हल्कोहल लेने वाले व हेपेटाइटिस से पीडि़त लोगों को अंदर ही अंदर लीवर डायमेज होते रहता है। इसका पता भी नहीं चलता है। ऐसे लोगों को विशेषकर समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए। वहीं हेपेटाइटिस की इलाज सरकारी अस्पताल में पूरी तरह नि:शुल्क है।
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