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बैकुण्ठपुर@सफल थाना प्रभारी के क्षेत्र में संचालित हैं दर्जनों अवैध कोयला खदान

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जानचट्टान धसने से अब तक चार लोगों की जा चुकी है जान,आखिर जिम्मेदार कौन?

जान जोखिम में डाल,कर रहे एक दिन में ही सैकड़ों मजदूर कोयला निकालने का काम

  • दो दिवस पहले अवैध खदान में हादसा होने की खबर एक की मौत,दो घायल
  • डर से लोगों ने मौत की वजह बताई पेड़ से गिरना, पुलिस व
  • कोल माफिया ने ली राहत की सांस
  • आखिर बेरोजगारी ऐसी की जान जोखिम में डालकर ग्रामीण कर रहे कोयले का अवैध उत्खनन
  • पैसे की मजबूरी और पेट की भूख कुछ भी करा सकती है कुछ
  • ऐसा ही क्षेत्र में देखा जा रहा है
  • कोयले का अवैध उत्खनन में प्रशासन मौन क्यों? दुर्घटना के बाद भी शासन प्रशासन क्यों गंभीर नहीं?
  • तीन पंचायत के जंगल में दर्जनभर अवैध कोयला खदानें संचालित, एक धसने से हुआ हादसा।
  • पुलिस, प्रशासन व फॉरेस्ट को जानकारी नहीं मिली, ग्राम पूटा अवैध खदान में हादसा हुआ है।
  • पुलिस की कोयला तस्करों से सांठगांठ,कभी भी जा सकती है एक साथ सैकडों की जान।
  • कुछ पैसों की मोह में सफल थाना प्रभारी इतनी बड़ड़ी घटना से भी बन रहे अंजान।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 17 अप्रैल 2022 (घटती-घटना)। पटना थाना क्षेत्र में कोयले का अवैध उत्खनन हो रहा है यह बात किसी से छुपी नहीं, इस क्षेत्र के थाना प्रभारी जो सफल थाना प्रभारी माने जाते हैं ऐसा नहीं है कि उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं की कोयला के क्षेत्र में क्या हो रहा है? पर ऐसे में सवाल यह उठता है की अवैध कारोबार को रोके तो रोके कौन? पटना थाना क्षेत्र के अंतर्गत दर्जनों अवैध खदान संचालित है और प्रतिदिन उस अवैध खदानों से जान जोखिम में डालकर 200 से 300 लोग रोजी रोटी के लिए काम कर कोयला निकाल रहे हैं। ग्रामीणों को पैसे की जरूरत है तो कोल माफियाओं को कोयले की, दोनों की जरूरतो में गरीब की जान खतरे में पर इसकी चिंता करें कौन? गरीब की आवाज तब तक बाहर नहीं जाती है जब तक उनकी मदद के लिए कोई खड़ा नहीं होता, कुछ ऐसा ही मामला पटना थाना क्षेत्र के अंतर्गत जंगलों में संचालित अवैध खदानों का है जहा लोग जान जोखिम में डालकर अवैध कोयला उत्खनन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं है पर पैसे की जरूरत और पेट भरने की मजबूरी ने उन्हें इस खतरनाक काम में लगा रखा है जबकि सरकार दावा कर रही है कि रोजगार की कमी कहीं नहीं है कोई भूखा नहीं है, यही वजह है कि जान जोखिम में डालकर चंद पैसों के लिए ग्रामीण अवैध उत्खनन कर कोयला निकाल कोल माफियाओं को कोयला दे रहे हैं जान तो ग्रामीणों की जानी हैं कोलमाफिया या पुलिस प्रशासन का क्या जाना है इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि कभी भी ग्रामीणों के साथ दुर्घटना हो सकती है हर बार दैनिक घटती-घटना ने खबर को प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास किया है ताकि चंद पैसों की लालच में ग्रामीणों की जान ना जाए।
सूत्रों के मुताबिक दो दिवस पहले अवैध खदान धंसने से एक व्यक्ति की मौत हो गई तो 2 घायल हो गए पर राहत की बात यह है कि यह गरीब लोग इतने डरे हुए थे कि इस मामले को अलग ही दिशा दे दिया गया, ग्रामीण ने पुलिस से बचने की वजह से मौत की वजह पेड़ से गिरना बताया और वह अपने इस बयान से पुलिस को भी राहत दी साथ ही कोलमाफियों को भी पर नुकसान तो उस परिवार को हुआ जिसने एक अपना खो दिया और उसके एवज में अब वह आर्थिक लाभ से भी वंचित हो जाएगा जो उसे उन कोल माफियाओं पर एफआईआर दर्ज कर मिलता जिनके लिए वह अवैध कोयला उत्खनन के धंधे में लिप्त था और उन कोल माफियाओं पर कार्यवाही भी होती जो ऐसा उन्हें करने पर मजबूर कर रहे थे। पटना क्षेत्र के तीन ग्राम पंचायत में दर्जनभर अवैध कोयला खदान को बंद करने के सालभर बाद दोबारा उत्खनन होने लगा है। मामले में शुक्रवार को ग्राम पूटा के जंगल में हादसा हुआ, जिसमें एक ग्रामीण की मौत और दो ग्रामीण घायल हुए हैं। जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर पटना थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत मुरमा, अंगा व पुटा के जंगल में दर्जनभर अवैध कोयला खदानें चिह्नित थी। जिसमें कई वर्षों से अवैध कोयला खनन हो रहा था। मामले में पिछले साल संयुक्त टीम गठित कर डायनामाइट विस्फोट कर अवैध खदानों को बंद कराया गया था। वहीं सालभर बाद दोबारा अवैध कोयला खनन शुरू हो गया है। अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से ग्राम पंचायत पूटा के जामघाट अवैध कोयला खदान हादसे में ग्रामीण अमर सिंह पिता बसवाही की मौत, दो घायल ग्रामीणों के घायल होने की बात कही जा रही है। इधर पुलिस, प्रशासन व फॉरेस्ट को कोई जानकारी नहीं है।
अवैध खदान को ब्लास्टिंग से बंद करने की मुुहिम अधूरी

पूर्व पुलिस अधीक्षक के पहल से बंद हुआ था 20 वर्ष से चल रहा अवैध कोयला खदान, तीन दिन के मेहनत के बाद पूर्णत: बंद हुआ एक अवैध कोयला खदान, कोरिया जिले में जो अब तक 16 पुलिस अधीक्षकों ने नहीं किया वह 17 वें पुलिस अधीक्षक के रूप में चन्द्रमोहन सिंह वह उनके अधीनस्थ पटना थाना 21 वें थानेदार के रूप में पदस्थ थाना प्रभारी सत्यप्रकाश तिवारी के पहल से 20 वर्षो से जंगल में संचालित एक अवैध खदान को एसईसीएल, वनविभाग के मदद से वर्ष 2020 ब्लास्टींग कर बंद किया गया था,जबकि पहली बार कोई पुलिस अधीक्षक स्वयं अवैध खदान के स्थल तक पहुंचा और निरीक्षण किया वहीं खदान की स्थिति को देखकर जान जोखिम का खतरा को देखते हुये तत्काल एसईसीएल को उस अवैध खदान को बंद कराने का आग्रह किया वहीं वनविभाग के अधिकारीयों को भी मदद करने को कहा। वहीं तीन दिन के प्रयास के बाद एसईसीएल ने एक अवैध खदान को बंद करने में सफलता अर्जित की। सभी खदान को बंद करने का प्रयास भी होना था पर उनके जाने के बाद यह प्रयास अधूरा रह गया जिसकी वजह है कि आज सबसे ज्यादा अवैध खदाने संचालित है, कटकोना पटना वन बीट के पहाड़ो पर कोयले का अपार भंडार है जहां से चंद पैसों के लिए जान जोखिम में डालकर कोयला निकालने का काम लगातार 20 वर्षो से किया जा रहा था। कटकोना कॉलरी से करीब चार किमी ऊपर पहाड़ी पर घनी जंगलो के बीच संचायलित अवैध कोयला खदान को बंद करने के लिये एसईसीएल ने दो बार ब्लास्टींग की पर खदान बंद नहीं हो पाया था, एसईसीएल ने नये तरीके आठ घण्टे का ऑपरेशन चला कर ड्रील मशीन को चलाने के लिये वहां तक बिजली पहुंचायी इसके बाद उस मशीन से पहाड़ो को छेद किया फिर उसमें बारूद व डेटोनेटर भरकर ब्लास्ट किया तब जाकर अवैध खदान पूरे तरीके से बंद हो पाया था। तीन दिनों में एसईसीएल ने अपने लगभग 70 डेटोनेटर व बारूद खर्च कर उस अवैध खदान को बंद किया था। बंद होने के बाद पुलिस विभाग, वन विभाग व एसईसीएल ने राहत की सांस ली थी।

जो काम अच्छे के लिए होता है उसे अवैध कहना गलत
जंगल में ब्लास्ट कर बिना किसी प्रशासनिक आदेश व अनुमति के जुबानी आदेश पर अवैध खदान को बंद तो करा दिया गया था जिसकी आलोचना भी होनी शुरू हो गई पर यह भी कहा जा रहा है कि यदि प्रक्रिया के तहत जाते तो खदान बंद नहीं हो पाता और फिर अवैध खदान में कोयला निकालते समय किसी की जान चली जाती इससे अच्छा है कि अवैध तरीके से ही बंद हो पर खदान बंद हो किसी की जान ना जा सके यही वजह थी कि मीडिया व अन्य लोगों को वहां नहीं जाने दिया गयाढ्ढ
मोटर साईकिल से भी हो रही आपूर्ति
कोयला चोरी के लिए चोरों द्वारा चार पहिया वाहन का तो उपयोग करते ही हैं पर पुलिस के आंखों में धूल झोंकने के लिए दो पहिया वाहनों में भी बोरी बोरी करके दिन भर में कई बोरी कोयला ईंट भट्ठों में पहुंचा दिया जाता है पर बोरी 200 से 300  रूपए तक भट्ठा संचालकों से ले लिया जाता है। कई बार तो वे पुलिस कर्मियों के सामने से भी मोटर साईकिल में कोयला लोड़ कर आसानी से निकल जाते हैं।
हो जाती है अच्छी कमाई
मोटर साईकिल से ईंट भट्ठों में कोयला आपूर्ति करने वाले कोयला दूरी के हिसाब से ईंट भट्ठा संचालकों के पास 200 से 300 रूपए तक में बेच देते हैं जिससे उनकी अच्छी कमाई हो जाती है लेकिन इस अच्छी कमाई के लिए बोरियों में कोयला भरने से पहले जान जोखिम में ड़ालकर वे या तो चलती मालगाड़ी, कोल ट्रान्सपोर्ट में लगे ट्रेलर व अवैध रूप से संचालित कोयला खदानों से कोयला निकालते हैं।
कई बार हो चुकी है घटना
कोयला चोरी करने के चक्कर में कई बार बड़ी दुर्घटना भी इस क्षेत्र में घट चुकी है। अवैध रूप से संचालित कोयला खदान से खदान धसकने से देवखोल में एक व्यक्ति की जान चली गई थी वहीं कटोरा रेल्वे साईड़िंग के समीप मालगाड़ी से कोयला उतारते समय तरंगीत तार की चपेट में आने से एक युवक की जान चली गई थी इसके अलावा छोटी बड़ी कई दुर्घटनाऐं हुई जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटें आ चुकी है इसके बावजूद कोयला चोरी पर न ही अंकुश लग पाया और न ही अवैध खुली खदानों को बंद कराया गया। जबकी पटना क्षेत्र के नान भान, देव खोल, कटकोना पारा चामट पहाड़, पांच नम्बर पहाड़ी, नांग डबरा, सहक्षेत्र कार्यालय कटकोना के पीछे की पहाड़ी में अवैध रूप से बने कोयला खदानों से कोयला निकाला जा रहा है।
कोयला चोरी बढ़ढऩे का यह है कारण
क्षेत्र में कोयला चोरी को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा श्रेय जिले के खनिज विभाग के आला अधिकारियों को जाता है, जिनके द्वारा पटना क्षेत्र में दस बीस नहीं बल्की सैकड़ों की संख्या में बिना अनुमती के अवैध रूप से संचालित ईंट भटठों पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता जिसके कारण क्षेत्र में हर साल ईंट भट्ठों की संख्या में कमी आने के बजाए वृद्वी हो रही है। ईंट पकाने के लिए कोयले की आवष्यकता होती है और क्षेत्र में आसानी से चोरी का कोयला कम दाम में मिल जाता है इसलिए अधिकांश लोग ईंट भट्ठा का संचालन कर मुनाफा कमा रहे हैं जिससे जिला प्रशासन को हर साल करोड़ों रूपए के राजस्व राशि की क्षति होती है वहीं कोयला चोरी को बेतहाशा बढ़ावा मिल रहा है।
ग्रामीण बोले
विभागों में आपसी तालमेल नहीं, इसलिए अवैध उत्खनन जारी पटना क्षेत्र में अवैध कोयला उत्खनन रोकने प्रशासन, पुलिस, फॉरेस्ट, खनिज व एसइसीएल के बीच आपसी तालमेल नहीं है। इसलिए जंगलों में अवैध रूप से जगह-जगह कोयला खदानें चल रही है। किसी एक विभाग को शिकायत करने से उसका क्षेत्र नहीं होने का हवाला देकर अपना पलड़ा झाड़ लेते हैं। खासकर हर पंचायत में अवैध ईंट भठ्ठे संचालित है। जिसके संचालक चोरी के कोयला पर आश्रित हैं। अवैध ईंट भठ्ठे पर कार्रवाई नहीं होने के कारण कोयला चोर व कारोबारी सक्रिय हैं।
सरपंचों ने अवैध कोयला खदानें बंद करने लिखी थी चिठ्ठी
जानकारी के अनुसार पिछले साल ग्राम मुरमा, अंगा व पुटा के सरपंचों ने अवैध कोयला खदान बंद कराने जिला प्रशासन को पत्र लिखा था। उसके बाद संयुक्त टीम गठित कर दर्जनभर अवैध कोयला खदानों को बंद करा दिया गया था। वर्तमान में हर पंचायत में संचालित अवैध ईंट भे में खपाने अवैध कोयला उत्खनन जारी है। कोल माफिया गांव ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर अवैध तरीके से बेधडक़ होकर कोयला उत्खनन करा रहे हैं। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर अवैध कोयला खदान में खुदाई का कार्य करते हैं। पिछले साल संयुक्त टीम ने ग्राम पूटा जंगल के अवैध खदान से 277 बोरी कोयला बरामद किया था।
मृतक ग्रामीण के परिजनों व उसके समाज के संघो को आना होगा सामने
पूरे मामले में मृतक की मृत्यु अवैध कोयला खदान में हुई या भले ही सत्य है लेकिन इसको बताने परिवार सामने नहीं आ रहा है लेकिन यदि उसके समाज व उसके समाज के सामाजिक संगठन सामने आएं तो जरूर दोषियों पर कार्यवाही हो सकेगी और मृतक के परिजनों को मुआवजा मिल सकेगा क्योंकि ऐसे मामलों में दोषियों की संपत्ति कुर्क कर मुआवजा भुगतान की कार्यवाही का प्रावधान है।
जामघाट जंगल के समीप अवैध कोयला सुरंग में घटना होने की जानकारी दूसरे से मिली है। मैं स्वयं घटना स्थल नहीं गया हूँ।
सोपाड़ी लाल सरपंच ग्राम पंचायत पूटा

फोन नहीं उठाया
सौरव द्विवेदी
थाना प्रभारी पटना

मुझे इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है जांच करवाता हूँ।
प्रफुल्ल कुमार
पुलिस अधीक्षक कोरिया


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