- निगम के एक बड़े साहब व उनकी मेम साहब अपने कारनामे को लेकर सुर्खियों में।
- निगम के प्रकरण छोड़ घरेलू विवादों में उलझे बड़े साहब।
- अधिकारी की मेम साहब का ऐसा रोब की खरीददारी के दौरान दुकानदारों से रोज हो जाति है हुज्जतबाजी।
- पिता पुत्र साहब व मेम साहब के ड्राइवर बनकर जिन्न्न की तरह कर रहे काम।
- साहब मेम साहब का आदेश होते ही ड्राइवर पिता पुत्र कहते हैं जो हुक्म मेरे आका!
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 29 मार्च 2022 (घटती-घटना)। चिरमिरी निगम के बड़े साहब तो बड़े साहब उनकी मेम साहब का भी जलवा किसी प्रथम श्रेणी अधिकारी से कम नहीं है इसी क्रम में मेम साहब का ड्राइवर भी लगातार सुर्खियों में बना हुआ है जिनके चर्चे कार्यालय सहित अन्य कर्मचारियों के बीच से होते हुए अब शहर के मुख्य बाजार और गलियों में भी होने लगा है, किराना दुकानों सहित जनरल स्टोर में मैडम और उनका शागिर्द ड्राइवर उधार खोजने के जुगत में दिनभर सरकारी गाड़ी दौड़ा रहे हैं ऐसा सूत्रों का माना है, कभी अरहर की दाल की खरीदी को लेकर बवाल होता है तो कभी जनरल स्टोर में सामग्री खरीदने के दौरान पैसे नहीं देने में नवपदस्थ साहब और मेम साहिबा के उधार मांगने के चर्चे चिरमिरी शहर में जोर शोर से बना हुआ है।
विदित हो कि निगम के एक बड़े साहब की पदस्थापना के बाद साहब व मेम साहब का रुतबा और जलवा सर आंखों पर चढ़ कर बोल रहा है, नए कलेक्टर साहब के जिले में पदस्थापना के बाद साहब का जलवा और बढ़ गया है साहब हर जगह चर्चे करते हैं कि कलेक्टर साहब जब कोरबा निगम कमिश्नर थे तभी से हमारे संबंध मधुर रहे हैं और यदि ऐसा है भी तो क्या उन्हें और उनके परिवार को कुछ भी करने की आजादी है? कलेक्टर साहब से मधुर संबंधों का फायदा उठाते हुए निगम कार्यालय से उनके घर में उनकी और मेम साहब की मनमानी चरम पर है जैसे ही साहब चिरमिरी के बंगले में प्रवेश करते हैं वहां पर कार्यरत कर्मचारी उन के आतंक से आतंकित होकर बंगले में काम करने के लिए हाथ खड़ा कर देते हैं आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों के बदले जाने के बाद आज भी एक महिला कर्मचारी साहब और मेम साहब की प्रताडऩा का दंश झेलते हुए दर-दर की ठोकरें खा रही है, बेचारी महिला ने जब एक मीडियाकर्मी को अपना दर्द बयां कर किया तो उसकी जान पर बन आई आज भी भूखे प्यासे क्षेत्र के हर जनप्रतिनिधि के दरवाजे अपनी निष्ठा चालू कराने के लिए गुहार लगा रही है, उक्त बेवा गरीब महिला के साथ कौवा मार कर टांगने वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है, बड़े साहब ने मेम साहब को खुश करने के लिए उसका क्या शिकार कर लिया अब कोई भी कर्मचारी मेम साहब के विरुद्ध एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है और उनकी लगातार प्रताडऩा झेल रहे हैं सभी कर्मचारी।
उधार ना मिलने पर निगम के बड़े साहब दुकानदार के पास पहुंचकर अफसरशाही झाड़ते हुए दुकान को सील करने की दे डाली धमकी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगम कर्मचारियों का शिकार कर प्रचंड सफलता प्राप्त कर चुकी मेम साहब ने इन दिनों अपना रुख नगर के विभिन्न छोटे बड़े व्यापारियों की और कर लिया है, अपने एक शातिर कार चालक को बीते दिवस हल्दीबाड़ी के एक प्रतिष्ठित जनरल स्टोर में भेजकर मात्र 300 रुपए का उधार ना मिलने से कुछ देर बाद निगम के बड़े साहब उस दुकानदार के पास पहुंचकर अपनी अफसरशाही झाड़ते हुए उसकी दुकान को सील करने की धमकी दे डाली, दुकान में खड़े होकर निगम के राजस्व अधिकारियों को उस दुकानदार की सामेतिक कर सहित अन्य लगने वाले करों की कुंडली निकालने को कहा और कहा कि इनकी दुकान को चारों तरफ से नापो और कितना कर निकलता है जुर्माना और ब्याज सहित तत्काल लो यदि नहीं देते हैं दुकान को सील करो दुकानदार ने मिन्नतें करते हुए बड़े साहब से जब यह कहा कि मेरी क्या गलती है कि आप पूरे बाजार को छोडक़र स्पेशल मेरी दुकान पर कार्यवाही के लिए आमादा है तो उसने कहा मुझे तुम पहचानते नहीं हो मैं निगम का बहुत बड़ा साहब हूं थोड़ी देर रुको मैं तुम्हें अपनी पहचान कराता हूं थोड़ा इंतजार करो साहब की गर्जना देखकर स्थानीय व्यापारियों और प्रबुद्ध जनों की मध्यस्थता के बाद साहब अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए कहा कि मैं तुम्हारा बड़ा नुकसान कर सकता हूं यदि मेरे घर से कोई सामान लेने आया है तो तुम सामान ना देकर हमारे और हमारे परिवार की बेज्जती नहीं कर सकते पैसा तुम्हारा कहीं भाग नहीं जाएगा हम पैसा तुरंत भिजवा देंगे।
बड़े साहब के ड्राइवर का बेटा ही मेम साहब का ड्राइवर है उसके भी पैर जमीन पर नही
सूत्रों के अनुसार बड़े साहब के ड्राइवर का बेटा ही मेम साहब का ड्राइवर है उसके भी पैर जमीन पर स्थिर नहीं पड रहे हैं, नए साहब के नियुक्ति के बाद साहब और मेम साहब की सहमति से इन दोनों बाप बेटे ने सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण करते हुए एक भव्य घर बना डाला है उसे व्यवसायिक स्थल बना कर उससे आय अर्जित कर रहे हैं, जिसकी शिकायत होने के बाद बीते दिवस बड़े साहब ने जब अपने मातहत ड्राइवर को अवैध निर्माण को तोड़े जाने के लिए निर्देश दिया तो ड्राइवर साहब का बेटा मेम साहब से गिड़गिड़ाकर अपना अवैध निर्माण ना तोडऩे की मिन्नतें करने लगा, मेम साहब उसकी मिन्नते मानते हुए साहब को उसके घर को ना तोड़े जाने की बात कहीं और अंतत: आज तक अवैध अतिक्रमण वैसे ही खड़ा है, जिसको लेकर दोनों बाप बेटा ड्राइवर इन दिनों साहब और मेम साहब के विशेष चाटुकार बने हुए हैं और उनके निर्देशन पर उनके सभी वैध अवैध कार्य बाजार में बेरोकटोक कर रहे हैं और हर काम में साहब और मेम साहब का साथ दे रहे हैं।