बिलासपुर@हाईकोर्ट ने खारिज किया सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस

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बिलासपुर , 20 मार्च 2022(ए)।
संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा वर्ष 2013 में नियुक्त 723 प्रशिक्षण अधिकारियों में से 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को नियुक्ति के समय आरक्षण नियमों का पालन नहीं किये जाने का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। खास बात यह है कि ये 50 प्रशिक्षण अधिकारी वे हैं जिन्होंने लंबे समय से पदोन्नति नही किये जाने से पदोन्नति हेतु उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। तथा उच्च न्यायालय ने भी इनके पक्ष में फैसला देते हुए पदोन्नति हेतु डी.पी.सी. बैठाने के निर्देश दिए थे। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इन प्रशिक्षण अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए नियुक्ति के समय आरक्षण नियम का पालन नहीं होने की बात कहते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया।
प्रशिक्षण अधिकारियों द्वारा अधिवक्ता फैज़ल अख्तर के माध्यम से विभाग द्वारा सेवा समाप्ति हेतु जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गयी । अधिवक्ता फैज़ल अख्तर द्वारा कोर्ट को बताया गया कि नियुक्ति के 9 वर्ष बाद एकाएक किसी कर्मचारी को नियुक्ति के समय आरक्षण नियम का पालन नहीं होने का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना न्यायोचित नहीं है। साथ ही आरक्षण नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी नियोक्ता एवं नियुक्ति हेतु गठित नियुक्ति समिति की होती है। आरक्षण नियमों का पालन करने में अभ्यर्थी की कोई भूमिका ही नही होती।
अत: इनके विरुद्ध कार्यवाही करना उचित नहीं है । इसके साथ ही अधिवक्ता फैजल अख्तर द्वारा यह भी बताया गया कि प्रशिक्षण अधिकारियों को कोई भी चार्जशीट नहीं दी गयी है। संविधान 311 के तहत किसी भी शासकीय कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त करने के पूर्व उस कर्मचारी को सौंपे गए दायित्वों में उसके द्वारा की गयी लापरवाही अथवा अनुशासनहीनता को इंद्राज करते हुए संबंधित कर्मचारी को उसके विरुद्ध आरोपों की चार्जशीट दे कर उससे जवाब मांगा जाता है ।
तत्पश्चात ही उसे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है । विभाग को पहले यह बताना चाहिए था, कि नियुक्ति के समय अभ्यर्थी के रूप में इन प्रशिक्षण अधिकारियों को आरक्षण नियमों का पालन करने में विभाग द्वारा क्या भूमिका निर्धारित की गई थी, जिसका इनके द्वारा पालन नहीं किया गया । लगभग पांच माह चली सुनवाई के बाद जस्टिस एस.के.अग्रवाल की एकल बैंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रशिक्षण अधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संचालक द्वारा प्रशिक्षण अधिकारियों की सेवा समाप्ति हेतु जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज कर दिया। पदोन्नति का हुआ रास्ता साफ
रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में वर्ष 2013 में 723 प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी । विभागीय पदोन्नति नियमानुसार इनकी पदोन्नति 6 वर्ष पश्चात वर्ष 2019 में की जानी थी , किन्तु विभाग की निष्क्रियता के कारण ऐसा हो नहीं सका । सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार पदोन्नति हेतु प्रत्येक विभाग में डी.पी. सी. की बैठक प्रति वर्ष आयोजित किया जाना अनिवार्य है। किंतु रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में प्रशिक्षण अधिकारियों की पदोन्नति हेतु अंतिम बार अप्रैल 2018 में डी.पी. सी. की बैठक आहूत की गई थी , तत्पश्चात से इनकी पदोन्नति हेतु डी.पी. सी. की बैठक ही आहूत नहीं की गई। बहुत से प्रशिक्षण अधिकारियों ने कई बार अपने विभाग प्रमुख को पदोन्नति हेतु आवेदन भी दिये किन्तु विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी। अन्तत: 50 प्रशिक्षण अधिकारियों ने पदोन्नति हेतु माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली । उच्च न्यायालय ने भी इनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए शासन को प्रशिक्षण अधिकारियों की प्रशिक्षण अधीक्षक पद पर पदोन्नति हेतु डी.पी.सी. की बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को यह बात इतनी नागवार गुजरी की उन्होंने दुर्भावनावश इन 50 प्रशिक्षण अधिकारियों पर निशाना साधते हुए इन्हें सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस थमा दिया। तथा सेवा समाप्ति का कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने की बात कहते हुए इनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी गयी। अब कारण बताओ नोटिस के उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के बाद प्रशिक्षण अधिकारियों की प्रशिक्षण अधीक्षक पद पर पदोन्नति का रास्ता भी साफ हो गया है। अब देखना है कि विभाग इन प्रशिक्षण अधिकारियों की पदोन्नति करता है या कुछ और पैतरे खेलता है।


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