अंबिकापुर@हिंदी साहित्य परिषद् ने मनाई काव्यमय होली

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अंबिकापुर 20 मार्च 2022 (घटती-घटना)। हिंदी साहित्य परिषद् सरगुजा ईकाई ने प्रदेश संगठन के निर्देश पर पिछले दिनों होली की पूर्व संध्या पर काव्यमय होली मिलन का आयोजन कर होली का त्यौहार मनाया.. शायरे शहर यादव विकास के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ कवि एस पी जायसवाल, हिंदी साहित्य परिषद उपाध्यक्षा मीना वर्मा, परिषद् वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेन्द्र दुबे के विशिष्ट आतिथ्य तथा हिंदी साहित्य परिषद जिला अध्यक्ष विनोद हर्ष की अध्यक्षता में आयोजित होली काव्य गोष्ठी में कवि विनोद हर्ष ने हिंदी साहित्य परिषद की ओर से सभी को होली की शुभकामनाएं प्रेषित की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि शायरे शहर यादव विकास ने अपनी नज्म पेश कर शमां बांध दिया। वरिष्ठ कवि एसपी जायसवाल ने हास्य रचना बुढ़ऊ होगे जवान खेल के होली वरिष्ठ कवियित्री मीना वर्मा ने मार्मिक रचना पाठ करते हुए कहा अबके बरस कुछ ऐसा बीता-रास न आई होली रे कवि देवेन्द्र दुबे ने श्रृंगार रस में लाख करले ठिठौली बलजोरी में-मन नाचन लगे आज होरी में तो कवि विनोद हर्ष ने बचपन की होली को स्मरण करते हुए कहा कि कर इक_ा घर घर से लकड़ी फिर से ताजा करलें बचपन की अल्हड़ याद को-फूंक होलिका को अग्नि में आओ फिर बचायें देशभक्त प्रहलाद को कवि संतोष सरल ने “पीकर इस होली में भंग, बबीता को लगाऊं रंग.. मैं भी जेठालाल की तरह सपने संजो रहा था” सुनाकर सभी को खूब हंसाया. कवि मुकुंद लाल साहू ने “भाई चारा प्रेम के, हैं ये रंग गुलाल. रघुवर खेलें अवध में, गोकुल में गोपाल” दोहा सुनाकर प्रेम व सौहार्द से होली खेलने का संदेश दिया. साहित्यकार प्रकाश कश्यप ने “होली का है मौसम, है फाग का तराना. छींटें अगर लगे तो है अर्ज भूल जाना” सुनाकर होली की बधाई दी. रचनाकार एस बी पांडेय ने “बहुत ही कशिश है आज तेरे लबों पर. लगा रंग होली का तुझ पे चढा है” सुना कर वाह वाही बटोरी. कवि अंचल सिन्हा ने “प्रति वर्ष करते है चंदाकर होलिका दहन, लकडियों के ढेर में बिठा होलिका को, गोद में प्रह्लाद को डालते जलने को” सुनाकर होली की महिमा का बखान किया. युवा कवि अंबरीश कश्यप ने “हमने जो ख़्वाब बडा पाला है, वो उसको पूरा करने वाला है. झूठ का घर खुला ही रहता है, सच के घर में पडा क्यूँ ताला है” सुनाकर समाज पर तीखा व्यंग्य किया.. कवियित्री पूर्णिमा पटेल ने “देव देवाधिदेव महादेव, तुम सकल निधियों के दाता. तुम सजीवन मंत्र ज्ञाता” गीत सुनाकर सबका मन मोह लिया.कवियित्री पूनम दुबे ने “होली खेलन गए कान्हा राधा की नगरिया, छुप छुप जाऐ राधा देख के सूरतिया” गीत की सुंदर प्रस्तुति दी. कवियित्री आशा पांडेय ने “तेरे बिन मेरी होली अधूरी सुनो मेरे वीरा, सरहद पर तैनात खडा तू कैसे मनाऊं होली” सुनाकर भाव विभोर कर दिया. वरिष्ठ कवियित्री माधुरी जायसवाल ने ” क्या कीमत उस हस्ती का जिस हस्ती के संग होली ना हो, उस जीवन का क्या मतलब जिसमें हंसी ठिठोली ना हो” सुनाकर जीवन का संदेश दिया.रचनाकार उमेश पांडेय ने “त्याग बलिदान प्रेम की आओ खेलें निराली होली” रचना के साथ होली का सुंदर संदेश दिया.साहित्यकार अजय श्रीवास्तव ने इस अवसर पर अपने शानदार गीतों की प्रस्तुति दी। अपने हंसते गुदगुदाते शानदार संचालन से हिंदी साहित्य परिषद महासचिव कवि संतोष सरल ने सभी को खूब हंसाया। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन कवि अंबरीश कश्यप ने किया।


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