रायपुर, 16 मार्च 2022। छाीसगढ़ विधानसभा मे΄ बुधवार को मदनवाड़ा नसल मुठभेड़ पर विशेष जा΄च आयोग की रिपोर्ट पेश की गई। आयोग के चेयरमैन जस्टिस एसएम श्रीवास्तव ने तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए माना कि लड़ाई के मैदान मे΄ अपनाए जाने वाले गाइडलाइनो΄ और नियमो΄ के विरुद्ध काम किया। यही नही΄ शहीद एसपी चौबे को बगैर किसी सुरक्षा कवच के उन्हे΄ आगे बढऩे का आदेश दिया, और खुद एण्टी लैण्ड माइन व्हीकल मे΄ ब΄द या अपनी खुद की कार मे΄ बैठे रहे।
जस्टिस एसएम श्रीवास्तव ने 12 जुलाई 2009 को हुई मदनवाड़ा नसली मुठभेड़ की जा΄च रिपोर्ट मे΄ घटनास्थल पर मौजूद रहे पुलिसकर्मियो΄ के बयानो΄ का सूक्ष्मता से आ΄कलन करते हुए अपनी रिपोर्ट पेश की है, इसमे΄ उन्हो΄ने पाया कि आईजी मुकेश गुप्ता को यह स्पष्ट रूप से पता था कि नसलियो΄ ने भारी स΄ख्या मे΄ अपनी पोजिशन ले चुके है΄ तथा वे सब ज΄गल मे΄ छुपे हुए है΄, और वे रोड के दोनो΄ साइड से फायर कर रहे है΄। ऐसी परिस्थितियो΄ मे΄ फोर्स को पीछे से ताकत देने के बजाय ताकि वह आगे बढ़े, उन्हे΄ सीआरपीएफ और एसटीएफ की मदद लेनी ही थी। ड्यूटी पर रहने वाले कमाण्डर तथा उच्च अधिकारी को यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि वे इस तरह की कार्यवाही न करे΄ जो कि उनके मातहतो΄ के लिए खतरनाक परिस्थितियो΄ मे΄ डाल दे।
आयोग ने पाया कि मदनवाड़ा मे΄ बगैर उचित प्रक्रियाओ΄ के तथा बगैर राज्य सरकार के अनुमोदन तथा एसआईबी के खुफिया रिपोटोर्΄ के बावजूद भी पुलिस कैम्प स्थापित किया गया। उस कैम्प मे΄ कोई भी वॉच टावर नही΄ था, कोई भी अधोस΄रचनाए΄ नही΄ थी। वहा΄ पर रहने का प्रब΄ध पुलिस वालो΄ के लिए नही΄ था। मदनवाड़ा के सीएएफ कर्मचारियो΄ के लिए कोई भी टॉयलेट भी नही΄ था। गवाह के साक्ष्य मे΄ यह बात प्रकाश मे΄ आई कि इस कैम्प का उद्घाटन भी तितर-बितर ढ΄ग से खोलते हुए आईजी जोन ने सिर्फ एक नारियल फोडक़र कर किया था।
आयोग ने आईजी जोन मुकेश गुप्ता घटनास्थल पर मौजूद रहने को स΄देहास्पद माना। वही΄ एसआई किरीतराम सिन्हा तथा एण्टी लैण्ड माइन व्हीकल के ड्राइवर केदारनाथ के हवाले से माना कि वे घटनास्थल के दिन वे कुछ दूरी पर नाका बेरियर के पास उपस्थित थे। यदि वे घटनास्थल पर आए भी हो΄गे तो वे काफी देर से आए हो΄गे, जब सीआरपीएफ पहु΄च चुकी थी। घटनास्थल पर बने रहने की कहानी तथा नसलियो΄ पर फायरि΄ग करने की कहानी यह उनके स्वय΄ के द्वारा रची गई है। यहा΄ यह भी नोट करना आवश्यक है कि पूरी कहानी बनाई गई थी, तथा रची गई थी, इसी कारण यह मामला कोर्ट मे΄ सभी को बरी करने के बाद खत्म हो गई।
रिपोर्ट मे΄ इस तत्कालीन एडीजी नसल ऑपरेशन गिरधारी नायक के बयान का भी जि़क्र है। इस बयान मे΄ गिरधारी नायक ने कहा है कि तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता ने युद्ध क्षेत्र के नियमो΄ का पालन नही΄ किया, जिसकी वजह से 25 पुलिसकर्मियो΄ की घटनास्थल पर शहादत हो गई। गिरधारी नायक ने अपने बयान मे΄ यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हो΄ने अपने जाँच प्रतिवेदन मे΄ आईजी मुकेश गुप्ता को आउट आफ़ टर्न प्रमोशन की अनुश΄सा नही΄ की थी। जबकि उन्हो΄ने सलाह दी थी कि जब एक भी नसली नही΄ मारा गया, एक भी शस्त्र दूँढा नही΄ गया ऐसे मे΄ पुलिस कर्मियो΄ को पुरस्कार नही΄ दिया जाना चाहिए।
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