द कश्मीर फाइल्स की हो रही हर तरफ सराहना
बैकुण्ठपुर,15 मार्च 2022 (घटती-घटना)। टाकीज़ या थिएटर में जाकर टिकट कटवाकर ही देखे ताकि फ़िल्म निर्माता का मनोबल बढ़े- निवेदन!द कश्मीर फाइल को देखने के लिए सोशल मीडिया पर लोगों को किया जा रहा प्रेरित। बैकुंठपुर। हाल ही में रिलीज हुई द कश्मीर फाइल कि हर तरफ चर्चा है जिधर देखो इस फिल्म की तारीफ हो रही है सराहना हो रही है सभी लोग इस फिल्म को देखने के लिए उत्सुक है इस फिल्म पर भाजपा के दिग्गज नेता दीपक पटेल ने कहा मन व्यथित हैं, शब्द नही मिल रहे हैं उस दर्द को बयां करने के लिए जो फिल्म के माध्यम से देखकर आया हूं। 1990 में ऐसा क्या और क्यों हुआ कि ऋषि कश्यप के कश्मीर से लाखों कश्मीरी पंडितों को अपना सर्वस्व छोडक़र आना पड़ा। आज तक इस विषय पर किसी मीडिया संस्थान, विचारक, चिंतक या दार्शनिको ने अपना विचार क्यों नही रखा। मात्र 3 घंटे की फिल्म में उन लाखों लोगों का दर्द को कैसे चित्रित किया जा सकता है। एक परिवार की कहानी ने हृदय को अंदर तक उद्वेलित कर दिया। यदि आर्टिकल 370 से सिर्फ कुछ लोगों का स्वार्थ सिद्ध हो रहा था और शेष जनता इस पीड़ा से गुजर रही थी तो ऐसे प्रावधान को बहुत पहले ही समाप्त कर देना चाहिए था। एक व्यक्ति जो स्वयं स्वीकार करे की उसने 20 से अधिक लोगों की हत्या की है उसे दिल्ली बुलाकर उसका साक्षात्कार लिया जाता है। आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि ऐसे आताताइयो के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। एक विश्वविद्यालय में किस तरह से देश द्रोही तैयार किए जाते हैं भारत के टुकड़े करने का संकल्प कैसे दिलाया जा रहा हैं, फ़िल्म अच्छी या बुरी हो सकती है, किंतु उस कटु सत्य को जिस विषय पर बोलने से बुद्धजीवी कतराते हैं विवेक अग्निहोत्री जी ने उसे परदे पर उतारा है, उनकी हिम्मत और साहस को नमन करता हूं। आप सबसे आग्रह है की एक बार इस फिल्म को जो फ़िल्म नहीं कश्मीर पंडितो का दर्द हैं उनके जीवन को नर्क बनाने वाले अपराधियों का चित्रण है को जरूर देखिएगा और अपने बच्चों को भारत के इतिहास और घटनाओं की सही जानकारी दीजिएगा। साथ ही निवेदन हैं फ़िल्म टाकीज़ या थिएटर में जाकर टिकट कटवाकर ही देखे ताकि फ़िल्म निर्माता का मनोबल बढ़े और रिकार्ड् बने और भविष्य में और सच्चाई बाहर आ सके जिसे आज तक छुपाया जा रहा हैं।