महिला के घर घुसकर आतंक मचाने वाले पुलिस कर्मी पर उच्च अधिकारी कब करेंगे कार्रवाई?

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  • हक्या बिना सर्च वारंट के एक महिला व नाबालिक बच्चे को थाना लाना सही था?
  • हपत्रकार को पकड़डऩे की चाह में महिला अधिकारी की उपस्थिति में पुरुष पुलिसकर्मी महिला को करते रहे परेशान आखिर किस मामले की थी आरोपी ?
  • हक्या पुलिस को महिला व नाबालिक बच्चों का सम्मान करना नहीं आता?
  • हक्या महिला व उसके बच्चे के साथ बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी माफ कर दिए जाएंगे?
  • हमहिला व नाबालिक से दुव्र्यवहार करने वाले थाना प्रभारी पर कार्यवाही की मांग।
  • हमहिला ने की मुख्यमंत्री से की शिकायत,जल्द करे कार्यवाही।


-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,07 मार्च 2022(घटती-घटना)। कोरिया जिले का वाट्सएप चैट कांड हमेशा ही याद रखा जाएगा जिसमें चैट मामले को उजागर करने वाले पत्रकार पर ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर अपने कर्मचारियों को उस चैट कि आग की आच से बचाया, जबकि पत्रकार ने उस चैट को प्रकाशित कर सारे मामले की जानकारी सबके सामने रखी और निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्यवाही करने की बात कही, पर पुलिस ने पत्रकार को चैट कांड का दोषी बना अपना द्वेष पूरा किया, पत्रकार को पकड़ने के लिए आनन-फानन में वह कदम उठा दिया जिसमें वह खुद ही फसते नजर आ रहें है, पत्रकार को पकड़ने के लिए एक महिला व उसके बच्चे को किराए के मकान से उठा कर ले आए, साथ ही एक महिला अधिकारी की उपस्थिति में महिला व नाबालिक बच्चे को इस हद तक परेशान किया गया की महिला ने आहत होकर इस की शिकायत सूरजपुर एसपी, सरगुजा आईजी, डीजीपी को कर पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही की मांग की है और अपने साथ हुई आपा बीती बताइ है। पूरा मामला सोशल मीडिया के वाट्सएप चैट से जुड़ा हुआ है जिसकी खबर कोरिया जिले के एक पत्रकार ने प्रकाशित करा दी थी, पत्रकार ने मामले में वाट्सएप चैट के मामले को अखबार में उजागर करते हुए केवल प्रशासन सहित पुलिस को आगाह करने का काम किया था जबकि पुलिस ने पत्रकार को ही दोषी मानते हुए उसके ऊपर ही गम्भीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया जबकि पूरे मामले में पत्रकार दोषी है ऐसा कोई भी मानने को तैयार नही है।
पत्रकार को मोहरा केवल इसलिए बनाया गया क्योंकि उसके लगातार निष्पक्ष खबर प्रकाशन से पुलिस सहित अन्य कइयों को दिक्कत थी और खासकर एक पुलिस विभाग के ही कर्मचारी जिसका की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से रिश्तेदारी है कि इसमे भूमिका रही जिससे यह स्पष्ट भी हुआ कि वह पुकिसकर्मी पूरे मामले में केवल इसलिए पत्रकार को ही दोषी साबित करने में लगा रहा क्योंकि उसको भी पत्रकार की लेखनी से दिक्कत थी। पत्रकार के निर्दोष होने के बावजूद भी कोरिया पुलिस ने अपराधी बनाया और उसको ढूढने के बहाने एक महिला और उसके नाबालिग बच्चे को ऐसी प्रताड़ना दिया कि जिसको लेकर केवल यही कहा जा सकता है कि पुलिस अपनी सीमाओं से बाहर जाकर काम कर रही है और महिला सम्मान और नाबालिक अधिकारों का भी उसको ध्यान नहीं है।
मामले से जुड़े कुछ सवाल?
सवाल- क्या पत्रकार पर फर्जी एफआईआर करने के बाद महिला और बच्चे को परेशान करने का पुलिस को अधिकार है?
सवाल- पत्रकार को पकड़ने की चाह में कोरिया जिले की पुलिस अपनी हद भूल गई और महिला व बच्चे के साथ वह किया जो अन्यायपूर्ण था?
सवाल- पत्रकार की खबरो से पुलिस विभाग के कुछ कर्मचारी थे आहत और पत्रकार के प्रति द्वेष पाल रखा था द्वेष के कारण ही फर्जी एफआईआर पत्रकार पर किया गया, पत्रकार को पकड़ने के लिए महिला व बच्चों को मोहरा बनाया गया?
सवाल- पत्रकार को फसाने के लिए महिला व उसके नाबालिग बच्चे को मजबूर किया गया डराया धमकाया गया फिर भी मन नहीं भरा तो मारपीट कर जबरदस्ती पत्रकार को फंसाने का दबाव बनाया गया क्यों?
सवाल- एक महिला अधिकारी के सामने एक महिला की इज्जत को तार तार होते देखा गया क्या उच्च अधिकारी करेंगे कार्यवाही?
सवाल- महिला अधिकारी के सामने पुरुष पुलिसकर्मी महिला व नाबालिग बच्चे को कर रहे थे परेशान वह भी अपने मतलब के लिए क्या यही है अधिकार पुलिस को ?
सवाल- महिला और उसके बच्चे को घर से जबरदस्ती लाने का अधिकार पुलिस को था क्या पुलिस अधीक्षक करेंगे ऐसे अधिकारियों पर कर्यवाही?


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