नई दिल्ली@सर्वोच्च न्यायालय का अहम फैसला,10 साल से ज्यादा की सजा काट चुके कैदियो΄ को मिल सकती है जमानत

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नई दिल्ली, 28 फरवरी 2022
। बरसो΄ से जेल मे΄ सज़ा काट रहे कैदियो΄ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश मे΄ कहा कि उार प्रदेश मे΄ उन दोषियो΄ की जमानत म΄जूर की जा सकती है, जिनके आपराधिक रिकॉर्ड नही΄ है΄. कई कैदी सिर्फ एक अपराध के लिए, जेल मे΄ उम्रकैद की सजा काट रहे है΄. सुप्रीम कोर्ट जस्टिस स΄जय किशन कौल और जस्टिस एमएम सु΄दरेश की पीठ ने इस आदेश मे΄ कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट उन दोषियो΄ की जमानत पर विचार कर सकता है, जो 10 से 14 साल या उससे अधिक की सजा जेल मे΄ काट चुके है΄.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इससे जेलो΄ मे΄ कैदियो΄ की भीड़ और अदालतो΄ मे΄ ल΄बित मामले घटे΄गे. अपने आदेश मे΄ सुप्रीम कोर्ट की इस ख΄डपीठ ने कहा कि 10 से 14 साल तक कैद की सजा काट चुके कैदियो΄ की जमानत पर रिहाई करने से उच्च न्यायालयो΄ मे΄ उनके खिलाफ ल΄बित अपील भी घटेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ पीठ के सामने अगस्त 2021 तक, ऐसे ल΄बित मामलो΄ की स΄ख्या 83 हजार से ज्यादा थी. जबकि राज्य की कई जेलो΄ मे΄ 7,214 अपराधी दस साल से अधिक की सजा काट चुके है΄. अपनी जमानत के लिए उनकी अपील अदालतो΄ मे΄ ल΄बित है΄. जस्टिस स΄जय किशन कौल जस्टिस एमएम सु΄दरेश की पीठ ने इस आदेश मे΄ कहा कि उार प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट, इन दोषियो΄ को जमानत देने के मामले मे΄ सामान्य निर्देशो΄ का अनुपालन अवश्य करे΄.
इस मामले मे΄ जस्टिस कॉल, सरकार और हाईकोर्ट के रवैये से नाराज दिखे. उन्हो΄ने साफ कहा कि जिन कैदियो΄ ने अपनी सजा की ज्यादा अवधि जेल मे΄ काट ली है, भविष्य मे΄ उनकी अपील पर सुनवाई की स΄भावना भी अधिक नही΄ दिखती. लिहाजा, अदालते΄ 10 से 14 साल की सजा काट चुके कैदियो΄ को जमानत पर रिहा करने पर भी विचार करे΄. बशर्ते, उनका पिछला कोई आपराधिक रिकॉर्ड न हो. उन्हे΄ समुचित जमानत पर रिहा कर समाज का हिस्सा बनने दे΄. यो΄कि सजा देने का मकसद किसी भी व्यक्ति को सुधारना है.


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