कोरबा, 22 फ रवरी 2022(घटती-घटना)। विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवाओं के मामले में स्वास्थ्य विभाग अब किसी प्रकार की रिस्क नहीं लेना चाहता। इसलिए इस वर्ग के लोगों की स्वास्थ्य जांच से लेकर उपचार के मामले में सरकारी जिला अस्पताल में विशेष तौर पर हेल्पडेस्क बना दी गई हैं। इन लोगों के यहां पहुंचने के साथ हर तरह की सुविधा देने का काम प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। पिछले दिनों सतरेंगा गांव की रहने वाली पहाड़ी कोरवा महिला सोनी बाई के पैर में फ्रैक्चर होने पर उसे जिला अस्पताल लाया गया था। यहां पर उपचार देने के बजाय कुछ कर्मचारियों ने महिला को निजी अस्पताल का रास्ता दिखा दिया था। जहां पर आखिरकार उसकी मौत हो गई। इसे लेकर प्रदेश में बखेड़ा खड़ा हो गया था और फौरी तौर पर जांच के बाद जिला अस्पताल में जीवनदीप समिति से काम कर रहे कुछ कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई। इस मामले को लेकर जो पहलू सामने आए, उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने खासतौर पर पहाड़ी कोरबा के मामले में कढ़ाई बरतनी शुरू की है। अस्पताल अधीक्षक डॉ गोपाल कंवर ने बताया कि, इसलिए घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी कोरवाओं को सुविधा देने के लिए हेल्प डेस्क बनाई गई है। यहां पर इन लोगों की एंट्री होने के साथ सही जगह पर पहुंचाने से लेकर उपचार की सुविधा विशेष तौर दिलाई जाएगी।मरीजों से मिलने आने वाले उनके परिजनों को किसी तरह की परेशानी अस्पताल परिसर में ना हो इसका भी पूरा ख्याल रखा जाएगा।बताया गया कि इससे पहले भी पहाड़ी कोरवाओं का उपचार निशुल्क हो रहा था। वर्तमान में जो व्यवस्था की गई है उससे लाभ यह होगा कि बिचौलियों की हरकतें सफल नहीं हो पाएंगी और वे किसी को भी अपने झांसे में नहीं ले सकेंगे।
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