- गलत तरीके से जमीन के काम निपटाने के चक्कर मे दुबारा आने के फिराक में…पूर्व मे पदस्थ एक लोकसेवक ।
- ऐसा क्या है कोरिया में? जहां आना चाहते हैं प्रशासनिक सेवा में पदस्थ पति और पत्नी।
- स पूर्व में इनके कार्यशैली पर कई लोगों ने लगाया प्रश्नचिन्ह,कामों में अनिमियता बरतने पर मिलना था दण्ड पर मिल सकता है प्रमोशन?
- कोरिया से गए एक साल नहीं हुआ पर चाह दोबारा आने की इनके लिये क्यों खास है कोरिया?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,20 फ रवरी 2022(घटती-घटना)।पूर्व में पदस्थ दो ऐसे प्रशासनिक अधिकारी जिनमें कार्यकाल में जमकर हुयी बैकुण्ठपुर विधानसभा की बदनामी, खूब हुयी शिकायत, पिड़ितो को था इंतजार कब जायेंगे ऐसे अधिकारी और कब होगा नियम से काम पर राजनीतिक संरक्षण होने की वजह से उनके तबादले में आ रही दिक्कत जिससे आम लोग उनके कार्यशैली से हो रहे थे परेशान। एक महिला लोकसेवक के कार्यशैली से कितने पीड़ित हुये इनके रहते इनके लिये शिकायतों की लम्बी सूची बन गयी। आय दिन इनके कार्यप्रणाली से कोरियावासीयों को परेशानी उठ़ानी पड़ी थी इनके रहते दो ऐसे करोड़ो के जमीन सम्बन्धित काम हुये जिनमें पूर्व में पदस्थ महिला तहसीलदार का नाम अनायाश आ ही जाता है। सूत्रों की माने तो इनके कारनामे की फाईल आज भी तहसील कार्यालय से गायब है शायद इसलिऐ इन्हें कोरिया आने की छटपटी मची हुयी है।
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार कोरिया जिले के 2 प्रशासनिक अधिकारियों को जिले से ऐसा मोह लग गया है या कहे तो यहां से इनकी बहुत बढ़ी लालसा भी जुड़ी हुयी है जिसे पूरा करना इनके लिये जरूरी हो गया है। शायद यही कारण है कि वह जाने के बावजूद भी इस जिले में दोबारा आने के लिए बेकरार है। फिलहाल उनके मन में कया चल रह है यह तो वही जाने। मंशा अनुरूप यदि सब संभव हुआ तो निश्चित ही जमीन सम्बन्धित कई फाईल भी मिल जायेगा और कई विवाद जमीन मामला भी सुलझ जायेगा। फिलहाल इनके दोबारा आने चर्चा यदाकदा सुनी जा रही है सूत्रो की माने तो पति-पत्नी दोबारा बैकुण्ठपुर आना चाहते है जिसके लिये पति द्वारा एक मंत्री से दरख्वास की गयी है हांलाकि पति द्वारा बनाये जा रहे रास्ते से होकर पत्नी की लालसा पूरा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। उनके इस मंशा का समर्थन तो सदैव की भांति आंख बंद कर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधी की मौन स्वीकृति से इंकार नहीं किया जा सकता। अब देखना होगा की यह कब तक आते है। इनके लिये यह भी कहा जा रहा है कि इनका आना एक बड़ी रणनीति है क्योंकि इनके रहते पूर्व में छूट चुका काम उसे पूरा करना इनका लक्ष्य है साथ ही इनके कारनामों लिये जिसने भी आवाज बुलंद की उनसे किसी भी प्रकार से बदला लिया जा सके। जानकारों का यह मानना है कि यह सब करोड़ों रुपए की जमीन जो नामांतरण में फंसी हुई है उसका वारा न्यारा करना उद्देश हो सकता है यह भी कहा जा रहा है कि यह दोनों प्रशासनिक अधिकारी पति-पत्नी है और यह दोनों एक जगह पर रहना ही चाहते हैं क्योंकि दोनों की जुगलबंदी से ही आगे का रूपरेखा तैयार किया जाता है।
इनके आने से लोगों की बढ़ेगी मुसीबत?
पूर्व में इनके कार्यशैली पर कई सवाल उठ़ चुके है लाजमी है कि सवाल उठ़ाने वालो पर निश्चित ही यह अपना बदला लेंगी। क्योकि इनके रहते इनके व्यक्तित्व किसी से छुपी नहीं जहां प्रशासनिक अधिकारी की अपनी जिम्मेदारी होती है पर इनके रहते इनके कार्य से जुड़े अपने लोगों को विशेष लाभ देने का सवाल उठ़ चुका है और वैसे भी जिन्हें सिर्फ नौकरी करनी है उह तो किसी भी जिले में जाकर अपना काम कर सकते है पर इन्हें काम में से सरोकार कम अपने पद का गलत इस्तेमाल कर धन अर्जन करना ज्यादा रूचीकर लगता है ऐसी चर्चा आम है। दोबार उसी जगह में आने का क्या मतलब जहां उनकी कार्यप्रणाली से पहले ही प्रतिष्ठा धूमिल हो चुकी है।
क्या विभागीय जांच में मिली गई क्लीनचिट?
इनकी कार्यप्रणाली को देखते हुये तत्कालीन कलेक्टर ने कई बिन्दूओं पर अनिमियता पाते हुये विभागीय जांच संस्थीत कर दी थी और लोगों को उम्मीद था कि यह जांच में दोषी पायी जायेंगी पर अब अनायाश ही एक कहावत जहन में आता है कि जिसकी लाठ़ी उसकी भैंस यह कहावत वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था पर फिट बैठता हुआ दिखायी देता है पूर्व में पदस्थ दो ऐसे प्रशासनिक अधिकारीयों की नियुक्ति संभवत: यदि दोबारा कोरिया में होती है तब सवाल यह उठ़ता है कि आखिर इनके शिकायतों की जहां बारीकी से जांच होनी थी और दोषी पाये जाने पर इन्हें दण्ड मिलना था फिर यह आवाज क्यों सुनायी दी जा रही है कि दण्ड के जगह उन्हें पदोन्नत किया जा रहा है और दुबारा कोरिया में भेजा जा सकता हैे? आखिर क्या विभागयी जांच पूरी हो गयी और इन पर लगे सभी आरोपो में क्लीनचिट मिल गयी है। जानकारी मांगने पर भी जानकारी नहीं मिल रही फाईल न होने की बात सम्बन्धित कार्यालय से बतायी जाती है। पर यह भी बात सामने आ रही है कि जांच रिर्पोट मांगी गयी है अब देखना यह होगा कि जांच रिर्पोट में क्लीनचिट मिला तो कैसे मिला?
क्या बदला लेने की मंशा से आ रहे प्रशासनिक अधिकारी
प्रशासनिक अधिकारी अपनी कमियों व अपने कार्यशैली से परेशान हुयी थी पर वह अपना विरोधी किसी और को मान बैठी है जिससे बदला लेनी की चाह उनकी अंदर बैठ चुकी है कि कहीं ऐसा न हो कि बदले की आग में अपने आप को सही दिशा में ले जाने की बजाए गलत दिशा में चले जाये। अभी कुछ दिनों से जिला शांत था पर पत्रकार पर फर्जी एफआईआर मामले में इनका भी नाम होने के संकेत मिल रहे है। लोगों का मानना है कि इनकी द्ववेश पत्रकार के लिये संभव हो सकता है क्योंकि इनके रहते खबरों के प्रकाशन जहां लोगो को राहत मिली थी वहीं यह आहत हुयी थी। हांलाकि खबर प्रकाशन का उद्देश्य आम लोगों की तकलीफो से अवगत कराना था ना कि किसी व्यक्ति विशेष का आहत पहुंचाना।
इनके आने से भू माफियाओं को होगा फायदा
- जानकारों की मानें तो इनके आने से भूमाफिआयों को फायदा मिल सकता है जो इनके समय बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे थे अभी भी कई काम इनके न रहने से अटक गये है वह अटके हुये काम भी इनके आने से पूरा हो सकता है। कुछ महिनों पहले खूब चर्चाओं में आयी आनी सहित कई जमीन के मामले भी जो अभी तक अटके है उस पर ज्यादा नजर रहेगी। एक मामला मनेन्द्रगढ़ से भी जुड़ा हुआ है जिसमें आदिवासी समुदाय को एक पूरा परिवार पिड़ित है उसे न्याय दिलाने कब आगे आयेगा आदिवासी समाज। जिसकी जमीन छिनने की कोशिश हो रही है। कई रूके हुये नामांतरण भी पूरे होने की संभावना जतायी जा रही है।