मामला सूरजपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय का
सुरजपुर,17 फरवरी 2022(घटती-घटना)। सुरजपुर जिले में कुछ अधिकारी कानून को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं ऐसे अधिकारी खुद को नियमों और कानूनों से ऊपर समझते हैं, इन अधिकारियों को ना तो अपने से बड़े अधिकारियों का डर है और ना ही समाज का बस अपने मनमाने तरीके से जो मन आता हैं किए जाते हैं और जो सही लगे उसे नियम बना देते हैं। मामला सूरजपुर जिले का है जहां के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर रनसाय सिंह और जिले के कलेक्टर गौरव कुमार के द्वारा मनमाने अंदाज में अपने चहेतों को नौकरियां बांटी जा रही है वह भी चोरी छुपे गुपचुप अंदाज में बिना किसी को जानकारी दिए केवल अपने चहेतों को। स्वास्थ्य विभाग सूरजपुर में 20 वाहन चालकों की भर्ती गुपचुप तरीके से किए जाने की जानकारी मिलने के बाद मामले की पड़ताल की गई जिसमें एक बड़ा घोटाला निकलकर सामने आया। घोटाले के मास्टर माइंड सीएमएचओ रन साय सिंह और कलेक्टर गौरव कुमार द्वारा गुपचुप तरीके से केवल अपने परिचितों और अपने हितैषियों की भर्ती स्वास्थ्य विभाग में की जाती हैं। आपको बता दें कि रिक्त पदों की सूचना केवल अपने विभागीय लोगो को दी गई और उनकी नियुक्ति भी गुपचुप तरीके से कर ली गई।कलेक्टर के मौखिक आदेश के आधार पर सीएमएचओ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।
बिना किसी विज्ञापन मिली 20 लोगों को नौकरी
शासन के नियमों के अनुसार किसी भी विभाग के पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी की जाती हैं। जिसके बाद अभ्यर्थियों से आवेदन लिए जाते हैं, जिसके बाद योग्यता के आधार पर चयन प्रक्रिया होती है। लेकिन आखिर ये कैसा चयन प्रक्रिया है जिसे कलेक्टर और सीएमएचओ सूरजपुर द्वारा बनाया गया। जिसपर केवल अपने विभाग के लोगो को सूचना दी गई और उनके परिचितों को चोरी छिपे नौकरी दे दी गई। नियुक्ति 3 महीनो के लिए की गई हो या 1 दिन की सर्व साधारण को सूचित क्यों नही किया गया। सीएमएचओ और कलेक्टर का यह कारनामा यह सोचने को विवश करता है की चुकी विगत 1 महीने में जिले में कोरोना संक्रमण की रफ्तार भी इतनी ज्यादा नही थी कि आपात स्थिति में नियुक्ति की जाए, फिर ऐसी क्या वजह थी कि नियमों को तांक पर रखते हुए 20 वाहन चालकों की भर्ती कर ली गई। यह मामला यह सोचने पर भी मजबूर करता हैं की इस नियुक्ति में किसी मिली भगत या लेन देन की बात तो नहीं है? इन बड़े अधिकारियों ने लेन देन किया हो या नहीं किंतु अपने सगे संबंधियों को नौकरी देकर शासन के नियमों की धज्जियां तो जरूर उड़ाई है।
विभागीय लोगों को बताया गया था जिससे दूसरे लोगों को नौकरी का पता चला:– डॉ. रनसाय सिंह
आखिर रनसाय सिंह का यह कहना की रिक्त पदों में भर्ती के लिए केवल विभाग के लोगों को सूचना दिया गया था जिससे दूसरे लोगों को इसकी जानकारी मिली बेहद शर्मनाक बात है,क्योंकि यह बात भाई भतीजावाद को बढ़ावा देता है,क्या सरकारी नौकरी वंशावली प्रणाली के तहत होती है पिता के बाद पुत्र इस पद पर आशिन होगा।
कलेक्टर ने दिए मौखिक आदेश
सीएमएचओ ने अपने बयान में बताया कि सुरजपुर कलेक्टर गौरव कुमार ने भर्ती प्रक्रिया के लिए मौखिक आदेश दिए थे साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का आदेश भी स्वयं कलेक्टर ने दिया था। जब इस मामले में पड़ताल की जाती हैं और उनसे मामले की जानकारी ली जाती हैं तो भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता होने की बात कहते हुए कलेक्टर गौरव कुमार द्वारा नियुक्ति को निरस्त कर दिया जाता है और सीएमएचओ रनसाय सिंह को कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जब भर्ती का आदेश कलेक्टर द्वारा ही दिया गया था और नियुक्ति पत्र देने का आदेश भी उन्हीं के द्वारा दिया गया फिर अगर भर्ती में अनियमितता हुई है तो केवल रन साय सिंह को ही कारण बताओ नोटिस क्यों भेजा गया? क्योंकि सीएमएचओ के अनुसार भर्ती की पूरी प्रक्रिया किस तरह से की गई किसकी नियुक्ति की गई इसकी पूरी जानकारी कलेक्टर सूरजपुर को पहले ही दी जा चुकी थी। अगर अनियमितता की जानकारी कलेक्टर को पहले ही थी तो उनके द्वारा मामले में चुप्पी साध कर क्यों रखा गया था? मामले को उठाया गया तब ही उन्होंने नियुक्ति निरस्त किए जाने का आदेश क्यों दिया? इस मामले में केवल सीएमएचओ को दोषी क्यों बनाया जा रहा हैं? जो की बेहद चौकाने वाली बात है। जब हमने कलेक्टर गौरव कुमार से इस मामले में बात की तो कलेक्टर का कहना है की कोरोना की आपातकालीन स्थिति को देखते हुए मौखिक आदेश दिए गए थे और कुछ लोगो को इस नियुक्ति से आपत्ति थी इस वजह से नियुक्ति निरस्त कर दी गई हैं और सीएमएचओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
गुपचुप तरीके से ही जारी की गई कारण बताओ नोटिस मामले का खुलासा किए जाने के बाद कलेक्टर गौरव कुमार द्वारा बताया गया कि भर्ती में अनियमितता के कारण भर्ती को निरस्त कर दिया गया है साथ सीएमएचओ रनसाय सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। सोचने की बात यह है कि कलेक्टर गौरव कुमार द्वारा इस मामले को छुपाने की कोशिश क्यों की जा रही है क्योंकि 20 वाहन चालकों की नियुक्ति गुपचुप तरीके से करना फिर नियुक्ति निरस्त करना और इसकी जानकारी किसी को भी ना देना और नियुक्ति में अनियमितता करने वाले सीएमएचओ को कारण बताओ नोटिस जारी करना और इसकी जानकारी भी किसी को ना देना कलेक्टर सूरजपुर के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
बेरोजगारों के साथ किया जा रहा भद्दा मजाक। इस तरह से गुपचुप तरीके से भर्ती करना और एक हफ्ते बाद नियुक्ति को निरस्त कर दिया जाना बेरोजगार युवाओं के साथ सरासर नाइंसाफी हैं। राजनीति में तो भाई भतीजावाद हैं ही लेकिन अगर सरकारी कार्यालयों में भी भाई भतीजावाद होने लगे तो ये बेरोजगार योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा।