अंबिकापुर@समर्पण, अनुशासन और दृढ़ संकल्प है सफलता की कुंजी : कुलपति

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अंबिकापुर. संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा, अंबिकापुर के राष्ट्रीय सेवा योजना-प्रकोष्ठ द्वारा गुरुवारको पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभा कक्ष-प्रशासनिक भवन परिसर में शैक्षिक संस्थाओं में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारियों एवं स्वयंसेवक छात्रों को उनके द्वारा संपादित सेवा कार्यों की उत्कृष्टता के आधार पर विश्वविद्यालय स्तरीय राष्ट्रीय सेवा योजना सम्मान 2021-22 का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति अशोक सिंह ने की । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि- छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो समरेंद्र सिंह तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. शिरीष कुमार मिश्र (छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय सेवा योजना के सलाहकार सदस्य) थे । अतिथियों द्वारा मां सरस्वती और स्वामी विवेकानंद के तैल चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से सम्मान समारोह का शुभारंभ किया गया । कार्यक्रम छत्तीसगढ़ राज्य-गीत “अरपा पैरी के धार” से शुरू हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में दीपशिखा देवांगन और प्रियंका राजवाड़े द्वारा स्वागत-गीत प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के समन्वयक – डॉक्टर अनिल सिन्हा ने अतिथियों का परिचय व स्वागत किया । विशिष्ट अतिथि डॉ. शिरीष कुमार मिश्र (छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय सेवा योजना के सलाहकार सदस्य) ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुरस्कार की अपेक्षा से कार्य करेंगे तो हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे, किंतु यदि सेवा एवं निष्ठा से कार्य किया जाएगा तो सफलता स्वयं मिलती जाएगी। इसलिए हमें बिना किसी अपेक्षा से कार्य करना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनोद कुमार एक्का ने कहा कि निस्वार्थ भाव से सेवा करने का संदेश एनएसएस प्रदान करता है। मुख्य अतिथि प्रोफेसर समरेंद्र सिंह ने कहा कि एनएसएस का उद्देश्य छात्रों का व्यक्तित्व विकास की योजना है। जिस प्रकार से एनसीसी और स्काउट गाइड आदि संस्थाएं विद्यार्थियों में अच्छे संस्कार देते हैं, वही कार्य एनएसएस का भी है। उन्होंने कहा कि एनएसएस का प्रमुख कार्य उच्च शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को अच्छा इंसान बनाना भी है। भारत की युवा पीढ़ी एनएसएस के माध्यम से शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी प्राप्त करता है, जिनमें सेवा की भावना का विकास भी होता है। उन्होंने आज के सम्मान के अवसर को ध्यान में रखते हुए कहा कि सम्मान हेतु सुपात्र व्यक्तियों का चयन होना चाहिए और संख्या नहीं बढ़ानी चाहिए क्योंकि अच्छे आचरण वालों को सम्मान मिलना चाहिए। छात्रों में राष्ट्रहित की भावना जागृत हो, यही सोच कर महात्मा गांधी और नेहरू जी ने इस योजना को चलाने पर जोर दिया था । उन्होंने बताया कि एनएसएस के शिविर से व्यक्तियों में दायित्व का बोध होता है। इस अवसर पर एनएसएस के 10 कार्यक्रम अधिकारियों के साथ-साथ विश्वविद्यालय से संबद्ध पांच जिलों के शैक्षिक संस्थाओं में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना के कुल 17 स्वयंसेवकों को अतिथियों द्वारा स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम के समापन में विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के द्वारा अतिथियों को साल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ राजेश कुमार श्रीवास्तव, श्री खेमकरन अहिरवार सरगुजा अंचल के अनेक महाविद्यालयों के प्राचार्य, एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी, शिक्षक और स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एम.सी. हिमधर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एसएन पांडे ने किया ।


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