कोरिया जिले के पत्रकार रवि सिंह से जुड़े मामले में…
- जनजातीय समुदाय के प्रबुद्धजनों से सादर अपील वायरल चैट में शामिल होने वाले पर हो कार्यवाही, चौथे स्तंभ को न होने दे कमजोर।
- विषय को समझने और विषय पर चिंतन करते हुए न्याय की समाज से है अपील।
- क्या आईना दिखाना गलत है क्या सच को सामने रखना गलत है?
- विचार करें और न्याय करें, आदिवासी समाज को है समझने की जरूरत।
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,17 फ रवरी 2022(घटती-घटना)। सच को सामने रखने का कार्य सदैव निष्पक्षता के साथ निभाने का दायित्व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का है। पत्रकार सदैव इस प्रयास में होता है कि वह समाज सहित व्यवस्था में घट रही घटनाओं को आम जनो तक अपने लेखनी से पहुंचाये। साथ ही व्यवस्था भी जागरूक बनकर हो रही त्रुटियों के प्रति सजग हो सके और स्वस्थ समाज और स्वस्थ व्यवस्था का निर्माण हो सके।
पत्रकार का दायित्व निभाना इतना सरल भी नहीं होता और न ही बहोत निश्चिन्तता वाला होता है क्योंकि पत्रकारिता करने के दौरान हमेशा खबरों के प्रकाशन को लेकर जरूरी नहीं होता कि खबरों से सकारात्मक ही भावनाओं का सीख का जन्म हो कई बार या अधिकांश समय खबरें यदि सत्यता के करीब होती हैं, आहत करती है, द्वेष भी लिखने वाले के प्रति उत्पन्न करती है जो समाज या व्यवस्था की तरफ से उत्पन्न द्वेष या आक्रोश होता है जो सच के संदर्भ में होता है क्योंकि सच से कोई प्रभावित हुआ होता है और किसी को ठेंस भी पहुंची हुई होती है। किसी पत्रकार का कभी यह उद्देश्य नहीं होता है कि वह समाज या किसी धर्म विशेष की भावनाओं को भड़काने का प्रयास करे वह सदैव चिंतनशील रहता है कि उसकी भाषा और उसकी लेखन शैली से किसी को ठेंस न पहुंचे और वह पूरा प्रयास भी करता है कि उससे कोई चूक भी न हो, लेकिन प्राप्त तथ्यों, प्राप्त सूचनाओं को लेकर वह अपना दायित्व इसलिए प्रकाशन करने का निभाता रहता है जिससे सभी जागरूक रह सकें और जागरूक रहकर घट रही घटनाओं से अवगत होते रहें।
वर्तमान में भी कुछ ऐसा ही हुआ है समाचार पत्र में एक ऐसा समाचार प्रकाशित हुआ है जो पत्रकार के दृष्टि में सिर्फ खबर है और उस खबर के माध्यम से विवेक अनुसार सत्य है और वह एक षड्यंत्र है जो एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जारी है जिससे पत्रकार अवगत होता है और उस मिल रही सूचना पर वह खबर प्रकाशन करने का अपना दायित्व निभाता है। जो मामला इस समय प्रदेश का हाईप्रोफाईल मामला बन गया है इस मामले का हाईप्रोफाईल होने की पीछे उन लोगो का षडयंत्र है जो खबरों से सीख लेने के बजाए पत्रकार से द्वेश लिये बैठे है। मामले को पत्रकार पर डालने के लिये एक समाज वर्ग विशेष को भी पत्रकार के खिलाफ भड़काने की जदेजहद कर रहे है। जनजातीय विशेष वर्ग के लोग भी जागरूक है और सभी प्रबुद्धजन इस मामले को समझ चुके है यही वजह है कि वह सभी लोग भी पत्रकार के समर्थन में है। भड़काने वालो की मंशा भी नाकाम होते दिख रही है। जबकि पूरी खबर में पत्रकार ने कहीं किसी जाति धर्म या सम्प्रदाय पर कोई कटाक्ष नहीं किया है वरन जो विषय सामग्री उसको सोशल मीडिया से प्राप्त हुई वह उसी पर खबर प्रकाशित कर अपने दायित्व का निर्वहन किया। पर इस दायित्व का निर्वहन करने पर प्रशासन के लोग क्षुब्ध हो गये और कैसे अपने आप को बचाये इस पर मंथन करते हुये पत्रकार की तरफ मामले को मोड़ दिया। उन्हें यह नहीं पता था कि मामला इस हद तक बिगड़ जायेगा।
पत्रकार की यह थी कोशिश
पत्रकार एक तरह से पूरा मामला सामने लाने की कोशिश करता है जिससे सच सामने आ सके और खबर में पत्रकार यह भी लिखता है कि जांच कर कार्यवाही हो। पत्रकार के द्वारा यदि कोई अप्रिय शब्द स्वयं से लिखा गया होता वह दोषी होता, पूरा सच केवल इतना है कि पत्रकार ने अपने समाचार से किसी भी समाज को आहत करने का कोई उपक्रम नहीं किया है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का काम सभी को एक दृष्टि से देखना होता है वर्गो में बांटना नहीं, पत्रकार के नजरिये में हर कोई एक बराबर है। जनजातीय समाज सदैव सम्मानीय समाज रहा है। जनजातीय समाज से जुड़ी खबरों को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने हमेशा प्रमुखता दिया है। कोरिया के पत्रकार ने भी जनजाती से जुड़े जनप्रतिनिधियों व उनकी समस्याओं को कई बार प्रकाशन कर शासन-प्रशासन को अवगत कराया है। पत्रकार के लिये लोगों की भावनाओं में उसकी सोच में कभी भी किसी धर्म समाज या समुदाय को लेकर कोई विपरीत विचारधारा का जन्म नहीं हुआ है। यह पत्रकार के विषय मे जानकारी जुटाने के पश्चात ज्ञात भी हो सकता है।
समुदाय के लोग चालबाजों को समझने का करें प्रयास
अपील केवल इतनी ही है कि जनजातीय समुदाय के समस्त वरिष्ठजन सम्मानीय जन पत्रकार को दोषी मानने की बजाए सच का साथ दें और इस पूरे मामले में जांच उपरांत ही कार्यवाही की मांग करते हुए पत्रकार के साथ न्याय की मांग करते हुए उसे समर्थन दें। तभी पता चल सकेगा कि आखिर में असली दोषी कौन है? और यदि यह सोशल मीडिया चैट फर्जी है तो इसका मुख्य सूत्रधार कौन है? पत्रकार ने केवल खबर प्रकाशित की उसने सार्वजनिक रूप से खबर का प्रकाशन कर एक षड्यंत्र को सामने लाने का प्रयास किया है उसके मन मे यदि किस समुदाय विशेष के प्रति कोई दुर्भावना होती वह खबर प्रकाशन ही क्यों करता। जनजातीय समाज के सभी प्रबुद्धजनों से केवल एक ही अपील यदि वह साथ देंगे तभी पत्रकार को न्याय मिल सकेगा। आज सभी प्रबुद्धजनों से यह भी अपील की स्वयं विचार कर यह जरूर सोचें कि षड्यंत्र करने वाला कौन है और उसे सामने लाने का काम करने वाला कौन है, चैट यदि फर्जी है तो जांचकर उस व्यक्ति तक जरूर पहुंचने का प्रयास किया जाना चाहिए क्योंकि यह न्यायसंगत है पर इस पूरे मामले में पत्रकार दोषी कैसे?