सूरजपुर@कुपोषित बच्चों के माता-पिता को अच्छे पालक होने का सिखाया जा रहा है गुर

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कुपोषण मुक्त जिला बनाने महिला बाल विकास की अभिनव पहल

सूरजपुर 08 फरवरी 2022। महिला बाल विकास द्वारा जिले में कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने एक सराहनीय पहल की जा रही है।कुपोषित बच्चों के माता-पिता को सुपोषण पाठशालाओं में पालक के गुर सिखाए जा रहे हैं जिससे कुपोषित बच्चों के माता-पिता उत्साहित होकर ऐसे पाठशाला में हिस्सा ले रहे हैं महिला बाल विकास की ऐसी पहल की ग्रामीणों ने मुक्त कंठ से सराहना की है। जिले में 12 हजार कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
कलेक्टर गौरव कुमार सिंह के निर्देशन में जिले भर में सात सौ सुपोषण पाठशाला चलाए जा रहे हैं जहां कुपोषित बच्चों के माता-पिता को अच्छे पालक के गुर सिखाए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि राज्य ही नहीं बल्कि देशभर में सूरजपुर ऐसा जिला है, जहां व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से सुपोषण प्रबंधन हेतु सुपोषण पाठशालाओं का संचालन किया जा रहा है। महिला बाल विकास की इस नवाचार से लोगों में जागरूकता आई है और वे इस अभियान से जुडक़र कुपोषण मुक्त जिला बनाने में सार्थक भूमिका निभा रहे हैं। जिले में चिरंजीवी अभियान को मिली अपार सफलता के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सुपोषण अभियान चलाए जाने का लक्ष्य रखा गया और इसे जिले में सफलतापूर्वक सुपोषण पाठशाला के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से हेल्थ फ्राइडे के जरिये से प्रतिमाह प्रथम व तृतीय शुक्रवार को जिले के उप स्वास्थ्य केंद्र समेत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक माह की समयसीमा में डेढ़ सौ से अधिक मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविरों का आयोजन कर चार हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें दवाईयों का वितरण किया है। जिले के 80 से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों समेत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में उस क्षेत्र के सभी मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं का न केवल स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और आवश्यकतानुसार दवाओं व पौष्टिक आहार का वितरण किया जा रहा है । एक एक बच्चे के पोषण स्तर की जानकारी उनके पोषण अनुश्रवण पंजी में दर्ज किया जा रहा है।जिले में सर्वाधिक कुपोषण वाले क्षेत्रों का चिन्हांकन कर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अभिनव पहल करते हुए प्रदेश में पहली बार ‘सुपोषण पाठशाला ‘का संचालन किया जा रहा है जहां पुस्तक व कलैंडर के माध्यम से पोषण समेत स्वच्छता, व्यक्तिगत साफ सफाई के साथ ही बच्चों की देखरेख व पालन की विधि से लेकर खाद्य विविधता, प्रोटीन, विटामिंस तथा पोषण वाटिका के महत्व के बारे में व्यवहारिक ज्ञान देकर जागरूक किया जा रहा है।


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