रेत की कीमतें निर्धारित करने के बावजूद लिया जा रहा मनमाना रेट

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राजा मुखर्जी-
कोरबा 07 फरवरी 2022 (घटती-घटना)। शासन-प्रशासन ने जनता के उपयोग के सामानों की कीमतें निर्धारित कर रखी हैं। ठीक उसी तरह जैसे कि कोई भी उत्पाद एमआरपी दर से अधिक कीमत में बेचने पर कार्यवाही का प्रावधान है, वैसा ही खनिज पदार्थों के मामले में भी नियम कायदे बनाए गए हैं।शासन- प्रशासन के इन नियमों का मौन सहमति से खुला उल्लंघन हो रहा है। मामला रेट घाटों से जुड़ा है। कोरबा शहर के सीतामढ़ी मोती सागर पारा रेत घाट और भंडारण क्षेत्र को मिली अनुमति के मामले में की गई पूर्व शिकायतों के बाद घाट को काफी विलंब से चालू किया गया है। बताया जा रहा है कि भंडारण के लिए पास में ही जगह चिन्हित कर ली गई है लेकिन रेत का रेट मनमाना फिर भी लिया जा रहा है। शासन द्वारा प्रति ट्रैक्टर यानी 3 घन मीटर रेत की कीमत 491 रुपए तय की गई है जिसमें रेत को ट्रैक्टर में लोड करवा कर देना शामिल है। हाल ही में प्रारंभ हुए घाट से फिर वही पुराना ढर्रा शुरू हो गया है, जिसमें 491 की रेत के लिए रायल्टी पर्ची उसी कीमत की काटी जा रही है लेकिन 1000 रुपये लिया जा रहा है। कुछ ऐसे भी ट्रैक्टर निकाले जा रहे हैं जिनसे रॉयल्टी शुल्क नहीं लिया जा रहा और बिना पर्ची के 500 रुपए में रेत दी जा रही है।इसकी शिकायत वार्ड के पार्षद संतोष लांझेकर को मिली तो उन्होंने घाट पर पहुंचकर सभी ट्रैक्टरों को खड़े कराकर रायल्टी पर्ची का परीक्षण किया। पार्षद मौके पर पहुंचे तो बिना रॉयल्टी के निकाले जाने वाले ट्रैक्टरों की भी बाकायदा पर्ची काटना शुरू किया गया। पार्षद ने इस बात पर हैरानी जताई कि जब शासन ने 491 रुपये की दर निर्धारित कर रखी है तो 1000 क्यों लिया जा रहा है? क्या जिला प्रशासन, खनिज विभाग के अधिकारी शासन के दर से अनजान हैं। उनके द्वारा आए दिन मिल रही शिकायतों पर संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा पार्षद ने कहा है कि जब एमआरपी दर से ज्यादा कीमत में सामान बेचने पर कार्रवाई हो सकती है तो रेत के मामले में ऐसा क्यों नहीं? उन्होंने यह भी कहा कि आम जनता की जेब में अप्रत्यक्ष रूप से जो डाका डाला जा रहा है, उसके लिए खुद जनता को भी चिंता करनी चाहिए। पहले जो रेत 3000 से 4000 में मिला करती थी, वह निर्धारित 491 रुपये में मिलनी चाहिए ,जिसे अभी भी दर बढ़ाकर लिए जाने से रेत की कीमत 2000 से 2200 कायम है। कुल मिलाकर प्रशासनिक उदासीनता या जानबूझकर अनदेखी का पूरा-पूरा फायदा उठाया जा रहा है।


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