नई दिल्ली,31 जनवरी 2022 (ए)। देश के नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने मामले में अपनी भूमिका स्पष्ट करने में केंद्र की विफलता पर नाराजगी जताई।
इस मामले में केंद्र पर 7,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। केंद्र ने याचिका पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। याचिका में मेघालय और अरुणाचल प्रदेश समेत कुल नौ राज्यों का नाम लिया गया है। जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं।
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय हैं। उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 और अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। संविधान का अनुच्छेद 14 सभी को समान अधिकार देता है। धारा 15 भी भेदभाव का विरोध करती है।
उन्होंने याचिका में अनुरोध किया कि अगर इस कानून को बरकरार रखा जाता है तो जिन 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, यानी उनकी आबादी कम है। वहां उन्हें राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए। इसलिए उन्हें भी अल्पसंख्यक होने का फायदा मिल सकता है।सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक कानून की धारा 2(सी) के तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है। हालाँकि, यहूदियों और बहाइयों को अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया गया है।
इसमें कहा गया है कि देश में ऐसे 9 राज्य हैं। जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं। हालांकि, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। राज्यों की बात करें तो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में हिंदू अल्पसंख्यक हैं।
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा कि इन सभी राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक होने का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्हें लाभ मिलना चाहिए लेकिन उन राज्यों में बहुमत को लाभ मिल रहा है। इसमें कहा गया है कि मिजोरम, मेघालय और नागालैंड में ईसाई बहुल हैं।
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