अम्बिकापुर@कैंसर मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या

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तम्बाकू,गुटखा व गुड़ाखु के सेवन से मामले आ रहे हैं सामने

अम्बिकापुर 30 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। तम्बाकू, गुटखा, गुड़ाखु के सेवन से कैंसर मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। कई मरीजों को कैंसर बीमारी का पता तब चल पाता है, जब कैंसर लाईलाज हो जाता है और परिजन मरीज के पीड़ादायक जिन्दगी को देखते हुए न चाहते हुए भी मरीज के लिये जीवन नहीं, मृत्यु की कामना करते हंै। ऐसे कई मरीज शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध चिकित्सालय अम्बिकापुर में इलाज हेतु आते हैं। नााक, कान, गला विभाग में भर्ती 42 वर्षीय सूरजपुर निवासी मरीज को बोलने व खाने में तकलीफ थी, मरीज द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मरीज विगत 5 साल से 3-4 गुटखा का सेवन प्रतिदिन करता था इसके अलावा किसी अन्य प्रकार के नशे का आदी नहीं था, परिजन यही समझते रहे कि मुंह में गुटखा भरा हुआ है, इसलिए अच्छे से बोलता नहीं है। जब खाने में तकलीफ हुई तक जांच कराने लाए, उस समय जांच में पाया गया कि जीभ का कैंसर था। ऐसा ही एक केस स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी का था, जिसके घर वाले समझते रहे कि गुटखा मुहं में है, इसलिये अच्छे से नहीं बोल पा रहा है पर जब खाना खाने में तकलीफ हुई जांच कराया गया तो कैंसर निकला, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। गुड़ाखु के सेवन से भी गंभीर कैंसर के मरीज आ रहे हंै, ऐसे ही मुंह के कैंसर का मरीज का आपरेशन किया गया जो केवल गुड़ाखु करता था किसी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करता था। विगत दिनों शल्य क्रिया विभाग के प्रमुख डॉ. एसपी कुजूर द्वारा 6 घन्टे की कड़ी मेहनत के बाद मरीज के 1 किलोग्राम से अधिक कैंसर ट्यूमर का आपरेशन कर निकाला गया।
लाखों खर्च के बाद भी नहीं बच रही जान
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम प्रभारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि तम्बाकू के सेवन से प्रबुद्ध व पढ़ा-लिखा वर्ग भी अछूता नहीं है। विगत महिने शहर के प्रतिभावान चिकित्सक की मृत्यु भी कैंसर बीमारी से जुझते हुए हुई, जिन्हें धूम्रपान की लत थी। 50 लाख से ज्यादा पैसा खर्च करने पर भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
तम्बाकू में 7 हजार प्रकार के केमिकल
तम्बाकू में 7000 प्रकार के केमिकल हैं, जिसमें से 50 से ज्यादा प्रकार के केमिकल शरीर के किसी भी भाग में कैंसर पैदा करने में सक्षम होते हंै। सरकार द्वारा तम्बाकू को खाद्य पदार्थ में मिलाने पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बैन किया गया है। तम्बाकू के लत का शिकार 25 साल तक के बच्चों में होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसे ध्यान में रखते हुवे शिक्षण संस्थान, कोचिंग इंस्टीट्यूट के 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पाद की बिक्री पूर्णत: प्रतिबंधित है। 18 साल तक के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद बेचने पर 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है। तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर तम्बाकू सेवन से पीड़ादायक मौत होती है की चित्रित चेतावनी का होना अनिवार्य किया गया है। तम्बाकू के विज्ञापन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गया है। व सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है, परन्तु इसके बावजूद भी तम्बाकू का सेवन छोडना मरीज के लिये कठिन जा रहा है।


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