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नई दिल्ली@यूपीए सरकार की नाक के नीचे हुआ फ्रॉड

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देवास मामले पर बोलीं निर्मला सीतारमण
नई दिल्ली,18 जनवरी 2022 (ए)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 साल से ज्यादा पुराने देवास एंट्रिक्स मामले में मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया.उन्होंने. इस मामले के लिए कांग्रेस की पिछली सरकार को जिम्मेदार बताया और कहा कि यह भारत के साथ फ्रॉड हुआ था. उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार की गलतियों को सही सही करने में 11-12 साल लग गए
फ्रॉड डील कैंसल करने में कांग्रेस सरकार को लगे 6 साल
वित्त मंत्री ने कहा कि जब 2005 में यह सौदा हुआ था, तब यूपीए की सरकार थी. यह एक फ्रॉड डील थी. इसे कैंसल करने में यूपीए सरकार को 6 साल लग गए. मामला इतना. बढ़ा कि एक सेंट्रल मिनिस्टर को गिरफ्तार करना पड़ गया. इस सौदे को तो कैबिनेट की मंजूरी भी नहीं मिल पाई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 24 फरवरी 2011 को कहा था कि एंट्रिक्स और देवास डील को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि ये कभी इस स्तर तक पहुंचा ही नही केवल दो सैटेलाइट को लॉन्च करने की बात कैबिनेट के संज्ञान में लाई गई.
सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ये बोलीं वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 12.8 के हवाले से कहा कि देवास भारत में केवल 579 करोड़ रुपये लेकर आई. लेकिन इसमें से 85त्न राशि भारत से भारत से बाहर भेज दी गई. इसमें कुछ हिस्सा अमेरिका में कुछ सब्सिडियरी को बनाने के लिए भेज दिया गया. कुछ हिस्सा सर्विस और सपोर्ट के लिए भेज दिया गया. कुछ हिस्सा कानूनी लड़ाई में खर्च कर दिया गया
अब भारत आकर यहां फ्रॉड करना संभव नहीं
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अब हम भारत सरकार का मजबूत पक्ष रखेंगे. हम इस फैसले को आधार बनाकर इंटरनेशनल फोरम पर अपने पक्ष का बचाव करेंगे. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस फैसले से इन्वेस्टर्स के बीच कोई गलत संदेश नहीं किया जाएगा. इससे सिर्फ यह संदेश जाएगा कि आप भारत आकर यहां फ्रॉड नहीं कर सकते हैं. अब भारत वैसी जगह नहीं है, जहां आप आएं और फ्रॉड करके पैसे कमाएं. अब ऐसे फ्रॉड को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पीएम मोदी की सरकार ने हर मोर्चे पर लड़ी लड़ाई
सीतारमण ने कहा कि ये सौदा असल में एक फ्रॉड था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हर अदालत में इस फ्रॉड के खिलाफ लड़ाई की है. इस मामले को देवास आर्बिट्रेटर के पास लेकर गई, लेकिन तब की सरकार ने कभी आर्बिटरेटर अपॉइंट नहीं किया, जबकि 21 दिन के भीतर ऐसा करना था. इस तरह कोशिश की गई, जो डील पूरी नही हो सकी, तो आर्बिट्रेटर के माध्यम से फायदा पहुंचा दिया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया गया और इसके और इसके लिए लड़ाई लड़ी गई.
सुप्रीम कोर्ट ने
खारिज कर दी देवास की याचिका
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने देवास मल्टीमीडिया और पैरेंट कंपनी देवास एम्प्लोईस मौरीटियस की अपील खारिज कर दी. देवास ने एनसीएलटी और एनसीएलएटीके खिलाफ याचिका दायर की थी. दोनों अपीलीय ट्रिब्यूनल ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा.
इसरो के इस डील से जुड़ा है मामला
यह मामला कई साल पहले इसरो की एंट्रिक्स क्रॉप और देवास मल्टीमीडिया के बीच हुए एक सैटेलाइट सौदे से जुड़ा है. उस सौदे को 2011 में में कैंसल कर दिया गया था. डील कैंसल होने के बाद देवास ने भारत सरकार से अपने नुकसान की भरपाई करने की मांग की थी. यह मामला खिंचकर अंतरराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अदालत में पहुंच गया था, जहां देवास की जीत हुई थी. इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स की कोर्ट ने भारत सरकार सरकार से कहा था कि वह देवास को 1.3 बिलियन डॉलर का भुगतान करे.


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