एक बार फिर सैनिटाइजर घोटाले को लेकर सोशल मीडिया में उठी आवाज

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 16 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। बंद हो चुकी इंदौर की फार्मा कम्पनी का लेबल लगाकर बांटा दो साल पहले सेनेटाईजर, फरवरी में डेट हो रही एक्सपायरी क्या साथ में जांच भी हो जाएगी एक्सपायरी। लोकल कराई पैकिंग, बंद हो चुकी फार्मा कंपनी का लेबल चिपकाकर बांटा सेनेटाईजर, हो हल्ला के बाद विधायक पर लाखों का घोटाला करने का लगा था आरोप।
कोरोना जंग से लड़ने के लिये में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर की ओर से पार्षद मद से राशि खर्च करने की अनुमति मिली थी। जिसके तहत दो साल पहले लगे लॉकडाऊन में चिरमिरी निगम के 40 पार्षदों के मद से मिले थे 40 लाख का सेनेटाईजर बांटने से पहले बंद हो चुकी इंदौर की एक फार्मा कम्पनी के नाम पर लेबल लगाकर सेनेटाईजर घोटाला होने की बात सामने आयी थी। जिसमें चिरिमिरी विधायक विनय जायसवाल पर 40 लाख के सेनेटाईजर घोटाला मे उनकी प्रतिष्ठा भी दावं में लगी थी। मामले को खाद्य व औषधी विभाग के टीम ने संज्ञान में भी लिया और बैकुंठपुर की टीम नकली सेनिटाइजर वितरण करने की जानकारी पर चिरमिरी पहुंची थी। इस दौरान सेनिटाइजर का एक नग सैंपल कलेक्शन कर जांच कराने हेतू रायपुर भेजी गयी थी पर बांटे हुये सेनेटाईजर का फरवरी 2022 में एक्सपायरी होने को है पर जांच की वेलेडिटी बढ़ना समझ के परे है। वहीं दूसरी ओर नगर निगम की ओर से सेनिटाइजर खरीदी करने के कारण टेंडर में हिस्सा लेने वाली कंपनी व ठेकेदार की पूरी सूची, सेनिटाइजर सप्लाई करने वाले ठेकेदार-कंपनी का नाम सहित अन्य सारे दस्तावेज उपलब्ध कराने कहा गया था। इस पूरे मामले को दो साल हो गये पर न तो जांच हो सकी और न ही नकली सेनेटाईजर की पोल खुल सकी।
सूत्रों के अनुसार सेनिटाइजर की पैकेजिंग स्थानीय स्तर पर की गई है। ऐसे में नकली सेनिटाइजर वितरण कर निगम के 40 पार्षदों की निधि से मिले 40 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा कर दिया गया। इस मामले में महापौर ने जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी। गौरतलब है कि संक्रमण की रोकथाम करने को लेकर राशि खर्च करने की अनुमति मिली थी। इसके बाद नगर निगम चिरमिरी के 40 वार्ड के पार्षद अपनी निधि से एक-एक लाख रुपए सेनिटाइजर सहित अन्य सामग्री खरीदी करने मंजूरी दी थी। फिलहाल इस पूरे मामले को विपक्ष ने खूब उछाला था जिस पर महापौर कंचन जायसवाल ने कहा था कि भाजपाई इसे बेवजह तूल दे रहे है। अगर नकली सेनेटाईजर आपूर्ति की गयी है तो इसकी जांच कराकर दोषी पाये जाने पर कार्यवाही की जायेगी। पूरा मामला आज भी वहीं का वहीं है और आज तक न तो दोषी मिल पाये और न ही जांच पूरी हो सकी। इस मामले को लेकर इंटरनेट सोशल मिडिया पर आज भी विधायक को लोगों की तीखी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ रही है। सोशल मिडिया में अपने फेसबुक पेज में सवाल करते हुये कहा कि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र का मिस्टर सेनेटाईजर कौन है? कौन है वो सरकार का आदमी जिसके दबाव में सैम्पल की जांच रिपोर्ट आज तक न आ सकी? और इन सारे सवालों के जवाब आज तक अनुत्तरित है। लोगों में इस बात का भी जिक्र होने लगा कि अब मनेन्द्रगढ़ विधायक को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन का उपाध्यक्ष भी बना दिया है। फिलहाल विधानसभा दो में हुये सेनेटाईजर मामला फिर सर उठ¸ाने लगा है और उस पर मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन का उपाध्यक्ष बनना जैसे मानो अंधे के हाथ में बटेर लगने जैसा हो गया है।