चिरमिरी निगम में कमीशन के लोभ में कर्मचारियों का वेतन छोड़ ठेकेदारों का भुगतान पहले

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पिछले 3 माह से निगम में कार्यरत कर्मचारियों को नहीं मिला है वेतन

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर@ 13 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। नगर निगम में पिछले 3 माह से किसी भी कर्मचारी का वेतन का भुगतान नहीं हो सका है जिसको लेकर विभाग में कार्यरत इंजीनियर लिपिक एवं अन्य कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त है वही निगम मद से पिछले 3 से 4 माह से करोड़ों रुपए का भुगतान सप्लायर और ठेकेदारों को किया जा रहा है, अपनी कमीशन खोरी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों और सप्लायर को भुगतान करने से निगम में कार्यरत अधिकारी कर्मचारीयो सहित सफाई कर्मियों, अन्य ठेका श्रमिकों में भारी असंतोष देखा जा रहा है। जबकि निर्माण व अन्य खरीदी के लिए निगम के पास मरम्मत संधारण योजना मद सांसद मद विधायक मद पार्षद मद महापौर मद अधोसंरचना डीएमएफ राज्य परिवर्तित केंद्र परिवर्तित सहित ऐसे दर्जनों मद हैं जिससे ठेकेदारों और शहरों को भुगतान किया जा सकता है लेकिन नए कमिश्नर साहब के आवागमन के बाद सभी मद खोखले हो गए हैं। नियमों के तहत निगम मद का उद्देश्य साफ है कि उस में आने वाली राशि को स्वर प्रथम निगम में कार्यरत श्रमिकों ठेका कर्मचारियों उनकी सैलरी का भुगतान करना है उसके बाद यदि पैसा बसता है तो अन्य जरूरी कार्य जैसे डीजल पेट्रोल एवं अपने छोटे मोटे खर्चे इन्हीं मदद से निपटाए जाते हैं लेकिन इसी 10-15 दिन में निगम मदद से 50-60 लाख रुपए ठेकेदारों को बांट दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि शहर को समस्त बुनियादी सुविधाओं को देने के लिए जिम्मेदार विभाग निगम के अधिनस्थ कार्यरत सभी कर्मचारियों को पिछले 3 माह से उनके वेतन नहीं मिलने से जहां उनकी व्यक्तिगत एवं परिवारिक आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पा रही है, वही नए नवेले कमिश्नर साहब के पदस्थापना के बाद ठेकेदारों और सप्लायरो का बोलबाला हो गया है जिन भुगतानो को पूर्व निगम में पदस्थ आयुक्तों ने किसी कारण से नहीं किया था यह साहब अपने कुर्सी में बैठने के साथ ही निगम के सभी मदों से सिर्फ और सिर्फ अपने और उनके लिए जिनके कारण उनकी चिरमिरी पदस्थापना हुई है उनके आदेश पर कमीशन खोरी के चक्कर में मजदूरों के मेहनत की कमाई का भुगतान न कर ठेकेदारों को करोड़ों रुपए बांट दिए जाने से सभी कर्मचारियों में भारी असंतोष व्याप्त है।

ठेका कर्मचारियों ने पत्रकारों को बताया अपना दुखड़ा

चूंकि कर्मचारी इन्हीं अधिकारियों के अंडर में काम करते हैं और उन्हीं के आदेशों का पालन करना है तो खुलकर के इनका विरोध नहीं कर पा रहे हैं एक ठेका कर्मचारी ने पत्रकारों को अपना दुखड़ा रोते हुए बताया कि घर में खाने को नहीं है छोटे-छोटे बच्चे हैं सरकार की तरफ से चावल मिल गया था किसी तरह चावल और नमक खाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं वही एक और कर्मचारी ने बताया कि उसके घर के एक सदस्य की तबीयत काफी दिनों से खराब है उन्हें इलाज के लिए रायपुर लेकर जाना है लेकिन पैसे नहीं होने के कारण वह रायपुर इलाज कराने नहीं जा पा रहे हैं, इस समस्या को उस कर्मचारी ने अपने अधिकारियों को भी बताई है पर अपने लाभ के लिए कुर्सी पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी बताई थी लेकिन सिर्फ और सिर्फ अपना लाभ देखने वाले यह जिम्मेदार लोग गरीबों की कहां सुनेंगे। ज्ञात हो कि करोना के नए वैरीअंट के आने से फिर से लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है, पहले से ही निगम के अधिकारी कर्मचारी काफी परेशान हैं और यदि किसी दिन संक्रमण अधिक बढ़ने से मोहल्ला वार्ड या इलाका सील हो जाता है तो इन सभी कर्मचारियों की समस्याएं और भी बढ़ जाएगी, इन्हीं कर्मचारियों अधिकारियों के दम पर चिरमिरी की सभी बुनियादी सुविधाओं सहित समस्याओं से निपटने का कार्य इन्हीं के दमखम पर किया जाता है यदि यही कर्मचारी आर्थिक और मानसिक रूप से टूटे रहेंगे तो इनसे विभाग विपरीत परिस्थिति में बहुत अच्छे की उम्मीद ना ही करे तो बेहतर होगा।


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