कर्मचारियों को जुलाई 21 से और पेंशनरों को अक्टूबर 21 से 5प्रतिशत महँगाई राहत का आदेश राज्य में बुजुर्गो के साथ बेईमानी हैं
म प्र सरकार पेंशनरों के मामले में धारा 49 के बहाने आपसी सहमति के नाम पर 21 वर्षो से सरकार को लूट रही है
03 जनवरी 22 को मंत्रालय का प्रदर्शन और घेराव पर पेंशनर्स यूनियन अडिग
रायपुर 23 दिसंबर 2021 (ए)। छत्तीसगढ़ राज्य सँयुक्त पेन्शनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने वित्त विभाग द्वारा जारी अक्टूबर 21 से राज्य के पेंशनरों के लिये जारी महँगाई राहत के आदेश बुजुर्गों के साथ बेईमानी करार देते हुये आरोप लगाया है कि वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विगत 3 सितम्बर 21 को कर्मचारियों और पेंशनरों दोनों को जुलाई 21 से 5त्न महंगाई भत्ता देने की घोषणा को झूठा साबित दिया है। यह पेंशनरों के साथ सरासर धोखा है। यह ब्यूरोक्रेसी के सरकार पर हावी होने का प्रमाण है।उन्होंने ट्वीट कर अपने किये गये घोषणा अनुसार आदेश में सुधार कर कर्मचारियों की तरह जुलाई 21 से 5त्न महंगाई राहत देने की मांग की है।
जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ राज्य सँयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, छत्तीसगढ़ पेंशनधारी कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ डी पी मनहर, पेंशनर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष यशवन्त देवान, प्रगतिशील पेंशनर कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष आर पी शर्मा,भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के अध्यक्ष जे पी मिश्रा तथा पेंशनर समाज के अध्यक्ष ओ पी भट्ट ने संयुक्त बयान में कहा है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य सरकारों ने आपसी मिलीभगत कर पेंशनरों एवं परिवार पेंशनरों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बुजुर्गो की हक की रकम पर डाका डाल रहे हैं। विगत 21 वर्षों से मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की छटवीं अनुसूची की धारा 49 को दोनों राज्यो के बीच आर्थिक स्वत्वों के भुगतान में आपसी सहमति की अनिवार्य बाध्यता की शर्त बताकर बुजुर्ग पेंशनर्स के साथ मजाक करते आ रहें हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि धारा 49 को ढाल बनाकर मध्यप्रदेश सरकार पेंशनरों के बहाने छत्तीसगढ़ सरकार को 21 वर्षो से लगातार लूट रही है और छत्तीसगढ़ सरकार को पता नही है। इन 21 वर्षो में छत्तीसगढ़ सरकार आपसी सहमति के नाम पर अरबो रुपये लुटा है और इसके केवल राज्य के ब्यूरोकेट जिम्मेदार है।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि धारा 49 के अनुसार छत्तीसगढ़ के 1 लाख और 5 लाख पेंशनरों को इसतरह कुल 6 लाख पेंशनर्स मध्यप्रदेश 74? और छत्तीसगढ़ 26त्न राशि वहन करती हैं। इसलिए बजट लेने आपसी सहमति की जरूरत होती है और छत्तीसगढ़ को इस भुलावे में रखा गया है कि उन्हें केवल 26त्न ही भुगतान करना होता हैं जो 74त्न से बहुत कम है जबकि वास्तविकता इसके ठीक उल्टा है।उन्होनें उदाहरण देते हुये बताया है कि प्रत्येक पेंशनर को नियमानुसार 74त्न राशि मध्यप्रदेश द्वारा और 26त्नराशि छत्तीसगढ़ द्वारा दिया जाना है अर्थात 100 रुपये में 6 लाख पेंशनर को मध्यप्रदेश से 74त्नऔर इन्ही सभी पेंशनरों को 26त्न छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने से देने पड़ेंगे। हिसाब लगाने पर इसमें मध्यप्रदेश को 44 करोड़ 44 लाख व्यय करना पड़ेगा और छत्तीसगढ़ सरकार को 1करोड़ 56 लाख व्यय होगा।परन्तु यदि मध्यप्रदेश अपने 5 लाख पेंशनर को 100 त्न भुगतान करता है उसे 5 करोड़ और छत्तीसगढ़ सरकार अपने 1 लाख पेंशनरों के केवल 1 करोड़ खर्च करने होंगे। इसतरह केवल 100 रुपये के भुगतान मे ही छत्तीसगढ़ शासन को 56 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। इसीलिए मध्यप्रदेश सरकार जानबूझकर 20 साल से पेंशनरी दायित्व को टालते आ रही है ।