सुविधाओं के अभाव में रहने को मजबूर,मूलभूत आवश्कता भी इन्हें नहीं नसीब,विधानसभा बैकुण्ठपुर में जनप्रतिनिधियों को आकर देखनी चाहिए इनकी तस्वीर
रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 19 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। मुख्यालय से करीब 10 किमी पटना 84 में आने वाले नेशनल हाईवे क्रमांक 43 सड़क से जामझरिया गांव की दूरी महज 2 किमी ही है। ग्राम पंचायत महोरा के आश्रित ग्राम जामझरिया जो प्राकृतिक मनोरम दृष्य को बिखेरता है वहीं यह गावं पहाड़¸ो से घिरा है। इस गावं में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले पंड़ो जाती के 50 से भी अधिक परिवार करीब 200 लोग निवासरत है। इस गावं तक पहुंचने के लिये अच्छी कच्ची सड़क की उपलब्धा नहीं। निवासरत पंड़ो जाती के लोग खेतों के मेढ़, जंगलों के बीच से किसी तरह आना-जाना करते हैं, पूरे गांव में बिजली की व्यवस्था भी नहीं, सोलर की पूरी स्ट्रीट लाईटे लगे भी है नहीं जलती।
आजादी के 70 साल बाद भी इन पंड़े जनजाति के जीवन शैली में बदलाव नहीं, प्रदेश की चाहे किसी की भी सरकार रही हो हमेशा विकास का दंभ भरा जाता है पर जमीनी हकीकत कुछ और है। गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछाने, हर घर बिजली, पानी, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ देने की बात प्रचार-प्रसारो के साथ सभाओं के माध्यम मिलता है। पर यर्थाथ में आज भी कम संसाधन के बीच लोग जीने को मजबूर है। नेशनल हाईवे क्रमांक 43 सड़क से जामझरिया गांव की दूरी महज 2 किमी ही है इसके बाद भी गांव का विकास न हो पाना शासन प्रशासन के लिए चिंता का नहीं बल्की एक शोध का विषय है जिस पर कोरिया कलेक्टर और जिन अफसरों के कंधों पर जिले के विकास और लोगों को मूलभूत सुविधाऐं उपलब्ध कराने का जिम्मा है उन्हें गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि गांव में निवासरत पंड़ो परिवार के सदस्य आज भी पुलिस के नाम से डर जाते हैं और दो तीन की संख्या में गांव में पहुंचने वालों को वे पुलिस समझ कर इधर उधर भाग जाते हैं और उनके रहन सहन व सुविधाओं के बारे में पूछने पर कहने लगते हैं पुलिस वाले भी इसी तरह के सादे कपड़ों में आते हैं और हमें बातों में फंसा कर पता पूछ कर हमें परेशान करते हैं।
रेल्वे ट्रेक की संकरी पुलिया से गुजर कर जाना पड़ता गावं
जामझरिया गांव पहुंचने के लिए पहले रेल्वे ट्रेक के उपर से लोग आना जाना करते थे जिसे रेल्वे ने बंद कर दिया और अंड़र ब्रीज का निर्माण भी नहीं किया जिसके कारण पानी निकासी के लिए रेल्वे विभाग द्वारा रेल्वे ट्रेक के नीचे बनाई गई संकरी पुलिया के नीचे से लोग पैदल व बाईक में झुक कर पार कर आना जाना करते हैं। इस संकरी पुल को तो दुपहिया वाहन जैसे-तैसे पार कर लेता है पर चारपहिया वाहन यहां से नहीं गुजर सकता। शायद यही वजह होगी कि गांव में विकास अब तक नहीं पहुंच सका है।
शासकिय योजनाओं का बुरा हाल
गांव के राजकुमार पंड़ो जिसका परिवार झोपड़ीनुमा परिवार में रहता है उसने बताया कि जिस समय रमन सिंह की सरकार थी, भईया लाल राजवाड़े विधायक थे उस समय अनारकली पंड़ो, बलराम पंड़ो, प्रदीप पंड़ो, तपेश्वर पंड़ो, फलेशरी पंड़ो, अमरीका प्रसाद पंड़ो, फूलबसिया पंड़ो, बल्ली पंड़ो, बालकुमारी पंड़ो, रामबाई पंड़ो के नाम पर प्रधान मंत्री आवास स्वीकृत हुआ था जिसका निर्माण कार्य शुरू तो हुआ लेकिन पूरा नहीं हो सका है निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है, निर्माण कार्य के लिए पैसा नहीं आया और हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम लोग निर्माण कार्य पूरा करा सकें। इसी तरह पेयजल के लिए हेन्ड़ पंप में सौर उर्जा से चलने वाला पंप लगाया गया है और कुछ घरों में पानी पहुंचाने के लिए स्टाप पोस्ट भी बनाया गया है लेकिन अब तक गांव में पाईप लाईन विस्तार नहीं हो सका है जिससे कि घर-घर पानी पहुंच सके। अंगारो बाई पंड़ो ने बताया कि उसके घर के पास लगे हेन्ड़ पंप को खराब हुए महिनों बीत चुका है सुधार कार्य नहीं कराया गया जिसके कारण 8 परिवार के लोग कुआं से पानी भरकर किसी तरह से काम चला रहे हैं और कुआं भी गर्मी में सूख जाता है अगर समय रहते हेन्ड़ पंप सुधार नहीं हुआ तो गर्मी में हमें पानी के लिए बहुत परेशानी होगी। घटीया निर्माण के कारण संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत बने शौचालयों का भी बुरा हाल है।
गांव में शिक्षा का अभाव, संक्रमण का भी नहीं ज्ञान
बातचीत में ग्रामिणों ने बताया कि गांव के बच्चे आंनवाड़ी और स्कुल जा रहे हैं गांव में इन दिनों कोई काम न होने के कारण बड़े बच्चे व परिवार के मुखिया परिवार चलाने के लिए मजदूरी करते है। कोरोना का टीका लगने के सम्बन्ध मे बताया गया कि 3 किमी दूर पंचायत में जाकर कोरोना का पहला टीका लगवा था, लेकिन अब तक दूसरा टीका नहीं लगा है पंचायत भवन में दूसरा टीका लगने लगेगा तब जाकर दूसरा टीका लगवा लेंगे।
इस संबंध में देव मति सिंह सरपंच ग्राम पंचायत महोरा ने बताया कि मिट्टी मुरूम से सड़क बनाने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, रेल्वे लाईन के कारण गांव में चार पहिया वाहन नहीं पहुंचता है इसलिए रेल्वे विभाग को पत्र लिख कर अंड़र ब्रिज बनाने के लिए पत्र भेजा गया है, जामझरिया के ग्रामिणों को काम देने के लिए कुछ ही दिनों में डबरी निर्माण का कार्य शुरू किया जायेगा।