वही तो देश मे सच्चे अहिंसावादी हैं,जो कर रहे है है प्लानिंग लड़ाई दंगों की

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-डॉ.राजकुमार मिश्र-
आखिर प्रधानमंत्री श्री मोदीको अपने मंत्रिमंडल से गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा को किसलिए बर्खास्त कर देना चाहिए?
ठीक है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड की एफआईआर में मंत्री का नाम दर्ज है ।मगर कानून की किताबो में भी यह दर्ज है कि कोई भी वेतन भोगी सरकारी व्यक्ति जिसके खिलाफ क्रिमिनल धारा में एफआईआर दर्ज हुई हो वह केस की चार्जशीट कोर्ट में दायर होने के बाद ही कार्य दायित्व पदभार से निलंबित किया जा सकता है।इसके अलावा वह यदि 24 घण्टों तक जेल में निरुद्ध रखा गया हो तब भी वह निलंबन का पात्र हो जाता है।
न तो एसआईटी ने अभी चार्जशीट दायर की है और न मंत्री 24 घण्टे जेल में रखे गए है आमतौर पर एफआईआर के बाद चालान को 90 दिनों के भीतर कोर्ट में पेश करना होता है।क्या विपक्ष को तबतक धीरज नही रखना चाहिए था ?
संसद के शीतकालीन सत्र पर विपक्ष के असहयोग ने तुषारापात कर दिया है।आईने की तरह यह साफ होने के बावजूद,कि अभी तत्काल मंत्री को बर्खास्त करने की कोई संवैधानिक अथवा कानूनी मजबूरी मोदी सरकार के लिए नही है,विरोधी दल संसदीय शांति को बहाल नही होने दे रहे।
दरअसल,सारा माहौल सिर्फ और सिर्फ यूपी में होने जा रहे चुनाव के मद्देनजर ही तैयार किया जा रहा है।हालांकि चुनाव अन्य चार राज्यों में भी होने जा रहे है मगर सिर्फ यूपी ही प्रधानमंत्री श्री मोदी के अपने नाक का सवाल बना हुआ है।प्रदेश छोटा हो या बड़ा वहां के विधानसभा चुनाव जैसे आयोजन में समूचे देश के प्रधानमंत्री ने इतनी जबरदस्त दिलचस्पी, मोदीजी से पहले कभी नही ली होगी।खुद मुख्यमंत्री योगी जी तक खुद को हाशिए पर महसूस करने लगे है। मोदीजी ने यूपी में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने की होलसोल जिम्मेदारी खुद को ही सौंप दी है ताकि (कांग्रेस नेता के अनुसार) सरकारी ताकत और सरकारी साधनों की राज्य के साथ साथ केंद्र से भी मनवांछित आपूर्ति होती रहे।सभी जानते है की नीतियों की नही,थैलियों की ताकत ही चुनाव में काम आती है। प्रधानमंत्री समझते हैं कि यूपी में अगर उनकी पार्टी को सफलता नही मिली तो 2024 में वह खुद भी वोटरों द्वारा खारिज कर दिए जाएंगे।इसलिए ही यूपी विजय उनकी नाक का सवाल बन गया है और सारा विपक्ष उन्हें गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा को लेकर जो सीन क्रिएट किए जा रहा है वह यूपी के मतदाताओं के बीच अपनी स्वीकार्यता पाने की चेष्टा के सिवाय और कुछ नही लगती।


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