आरजेडी की कलह से 22 साल से भटकती युवती की रूह को न्याय मिल सकता है

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-डॉ.राजकुमार मिश्र-
बिहार में कथित तौरपर मुख्यमंत्री बनते बनते रह जानेवाले आरजेडी और विपक्ष के नेता,पार्टी सुप्रीमो लालू यादव और राबड़ी देवी के सपूत तेजस्वी यादव ने अपनी क्रिश्चियन गिरलफ्रेंड से दिल्ली में बेहद ख़ामोशी से शादी क्या कर ली,घनघोर दादा गुंडा की ख्याति वाले मामा साधु यादव आगबबूला हो गए।उंन्होने इस शादी को अपने कुल के लिए कलंक मान लिया और इतने सख्त तेवर दिखाए कि तेजस्वी के भाई तेजप्रताप को साधु मामा पर गुस्सा आ गया और उंन्होने भानजों भांजियों पर टीका टिप्पणी करने वाले साधु मामा की सारी हेकड़ी 20-21 साल पहले से लगातार न्याय की आशा में भटक रही शिल्पी जैन की आत्मा का जिक्र छेड़कर एकदम से ढीली कर दी।
अच्छे खासे परिवार की बेहद खूबसूरत युवती शिल्पी जैन कम्प्यूटर (डीसीए)का कोर्स कर रही थी।उसका दोस्त गौतम सभ्य शालीन युवक था।उसे राजनीति में दिलचस्पी थी।उनदिनों चारा घोटाले के आरोप में लालू यादव कारागार में थे राबड़ी देवी सरकार सभाल रही थी और दबंगई के दमपर आरजेडी सरकार और संगठन में जबरदस्त दखल रखते थे।तब तेजप्रताप और तेजस्वी,उनके दोनों भानजे 14-15 साल से भी कम के ही रहे होंगे।
राजनीति में जाने के शौक के चलते शिल्पी का दोस्त आरजेडी के लीडरों के आसपास मंडराया करता था।कई छोटे मोटे लीडर उसे पहचानने भी लगे थे।एक दिन गौतम अपने साथ शिल्पी को लेकर आरजेडी के कार्यालय/कायर्क्रम में गया जहां उसे दुर्भाग्य से, शिल्पी का परिचय वहां मौजूद साधु यादव से भी कराना पड़ गया।
अगले ही दिन अपने कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर से घर लौटती हुई शिल्पी जैन को रास्ते से उठा लिया गया ।उसे पटना के समीप फुलवारीशरीफ के बेहद बदनाम रेस्ट हाउस में ले जाया गया।जब वह देर शाम तक घर नही लौटी तो घरवालों ने खोज शुरू की।गौतम भी खोजने निकला।मगर फिर उसका भी कोई पता नही चला।
फिर अगले दिन किसी समय एक सफेद रंग की जेन कार पटना के डीएसपी कार्यालय के करीब खड़ी मिली।उसमें शिल्पी और गौतम की अर्धनग्न लाशें पड़ी थीं।कुछ ही पलों में वहां साधु यादव पहुंच गए।फिर ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए दोनों की मौत को आत्महत्या बताते हुए दोनों लाशों के अँरिम संस्कार भी पुलिस ने सम्पन्न करा दिया था।
तबसे अबतक बिहार के लोग शिल्पी और गौतम की सवालिया मौतपर दबे स्वर में चर्चा कर लेते थे पर अब आरजेडी के घरपरिवार की कलह से ऐसा लगने लगा है कि देर से ही सही शिल्पी की बेकसूर आत्मा को न्याय मिलने का रास्ता अब भी खुल सकता है।आपको क्या इस ही नही लगता?


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