बैकुण्ठपुर@दो दोस्तों के बीच आया नगरपालिका चुनाव,दोस्त की बीच बढ़ी दरार

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नपा चुनाव काफी रोमांचक,नपा चुनाव 2016 में दोनो ने मिलकर कांग्रेस को दिया अध्यक्ष,दो दोस्त में एक बना नपा अध्यक्ष

इस बार एक ने पत्नी को तो दूसरे ने करीबी को पार्षद प्रत्यासी बना उतरा मैदान में,दोनों ही अध्यक्ष का दावेदार बता रहे,इन दो दोस्तों के बीच कौन बनेगा अध्यक्ष ?

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 13 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। दो दोस्तों के बीच आया नगरपालिका चुनाव, दोस्त के बिच पड़ी दरार, नपा चुनाव काफी रोमांचक, दो दोस्त पार्षद प्रत्याशी को लेकर आमने सामने, कभी दोनों की दोस्ती थी राजनीति में मिशाल, इस समय बन बैठे है एक दुसरे के विरोधी, पिछले चुनाव में दोनों की जोड़ी से मिली थी कांग्रेस को जीत, कांग्रेस के दोनों नेता, मामला शिवपुर चरचा नगरपालिका से जुड़ा हुआ, जहां दो दोस्तों के बीच है चुनाव की दीवार, नगर पालिका चुनाव 2016 में दो दोस्त ने कांग्रेस को दिया अध्यक्ष, दो दोस्त में एक बना नपा अध्यक्ष, एक ने पत्नी को तो दूसरे ने भी करीबी को पार्षद प्रत्यासी बना उतरा मैदान में, दोनों ही अध्यक्ष का दावेदार बता रहे, इन दो दोस्तों के बीच कौन बनेगा अध्यक्ष? दोनों दोस्त एक ही राजनीतिक दल से, एक दल से दोनों को पार्षद प्रत्याशी की टिकट भी में।
मामला शिवपुर चरचा नगरपालिका चुनाव का जंहा अपनी अपनी जीत दर्ज करने भले ही सत्ताधारी दल कांग्रेस व भाजपा जोर शोर से लगे हों लेकिन यहां एक और नजारा ऐसा देखने मे आ रहा है जिसको लेकर सभी के जुबानों पर चर्चा जारी है। यह नजारा है शिवपुर चरचा कांग्रेस के दो बड़े नेताओं की पुरानी दोस्ती और वर्तमान चुनाव में दोनों के बीच की दूरी को लेकर। यह दोनों नेता कांग्रेस के शिवपुर चरचा के सबसे बड़े चेहरे में शुमार भी हैं और इस चुनाव के पूर्व इन दोनों के बीच काफी दोस्ती और काफी याराना भी था जिसकी मिसालें भी लोग दिया करते थे लेकिन इसबार के चुनाव में दोनों एक ही दल में रहते हुए भी एक दूसरे के विपरीत चल रहे हैं और एक दूसरे की पराजय भी तलाश रहें हैं जैसा कि जनचर्चा है। अब इन दोनों नेताओं की आपसी दूरी से सत्ताधारी दल को नुकसान होता है या फायदा यह चुनाव परिणामो से ही स्पष्ट हो सकेगा।

आखिर जय-वीरू जैसी दोस्ती क्यों प्रतिद्वंदिता में बदली?

नगरपालिका शिवपुर चरचा में नगरपालिका चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई सत्ताधारी दल के लिए भी यह चुनाव जीतना अहम है वहीं नगरीय प्रशासन मंत्री और क्षेत्रीय सांसद जैसे बड़े नेता रोड शो भी जिले में कर रहें हैं वार्ड वार्ड दौरा भी कर रहें हैं वहीं इन सभी चीजों के इतर कांग्रेस के ही दो बड़े नेता कुछ सालों पहले तक जय वीरू की तरह रहने वाले पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अजीत लकड़ा और भूपेंद्र यादव के बीच की दूरी जो इस चुनाव में सपष्ट नजर आ रही है कि वजह कांग्रेस संगठन भी नहीं तालाश पा रही है, दोनों नेता एक ही दल में वर्षों से काम कर रहें हैं वहीं दोनों ही एक ही उद्यम एसईसीएल में भी कार्यरत रह चुके हैं एक शहर के ही निवासी भी हैं और ऊपर से एक ने जब नौकरी से स्तीफा देकर चुनाव लड़ा तो दूसरे ने मदद कर उसे विजयी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और जीत तय भी हो सकी। विगत वर्षों तक आपस मे दोस्त रह चुके इन दोनों कांग्रेस नेताओं के बीच की दूरी अभी कुछ वर्षों पहले ही बढ़ी है और इसकी वजह को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है किसी के पास, आज चुनाव के दौरान स्थिति यह है कि एक ने जहां अपनी धर्मपत्नी को चुनावी मैदान में प्रत्यासी बतौर उतारा हुआ है तो दूसरे ने किसी करीबी को ही चुनाव में दोस्त के ही विरुद्ध चुनाव मे प्रतिद्वंदी बनाया हुआ है अब इन दोनों की आपसी लड़ाई की वजह से नुकसान सत्ताधारी दल को ही उठाना पड़ेगा लेकिन सत्ताधारी दल इन दोनों के बीच सुलह करा पाने में विफल क्यों है यह भी एक प्रश्न है। दोनों ही यदि ऐसे ही एक दूसरे के प्रत्याशियों को लेकर विरोधी रुख इख्तियार किये रहेंगे तो निश्चित ही सत्ताधारी दल को नुकसान होना तय है।

वर्ष 2016 के चुनाव में इसी जोड़ी ने कांग्रेस को दिलाई थी चुनाव में सफलता

शिवपुर चरचा नगरपालिका चुनाव वर्ष 2016 में यह दोनों कांग्रेस नेता एकसाथ कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार की कमान सम्हाले हुए थे और इन दोनों में से एक अध्यक्ष पद का दावेदार भी था जिसे चुनाव में जीत मिली थी और अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी भी हो सकी थी। उस समय के चुनाव में दोनों के बीच काफी दोस्ती भी थी और दूरियां बिल्कुल नहीं थी जिसकी वजह से ही जीत दर्ज हो सकी थी कांग्रेस की जबकि सामने लड़ रहे भाजपा प्रत्यासी के पक्ष में उस समय की भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री जो स्थानीय भी थे ने काफी मेहनत की थी काफी प्रयास भी किया था। दोनों कांग्रेस नेताओं की जोड़ी ने वर्ष 2016 में भाजपा की सरकार रहते यह जीत आपसी एकजुटता से दर्ज की थी यह भी दोनों के साथ साथ होने व सत्ताधारी दल के प्रत्यासी को पराजय तक ले जाने के हिसाब से महत्वपूर्ण माना गया था।

अपने अपने हिसाब से टिकट वितरण से बढ़ी दूरी

बताया जा रहा है कि कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के बीच की दूरी की वजह केवल यह है कि दोनों अपने अपने पसंद के प्रत्याशियों को पार्टी से टिकट दिलाना चाहते थे और यह एक नेता के हिसाब से तो संभव हो सका लेकिन दूसरे कांग्रेस नेता के हिसाब से टिकट वितरण नहीं हुआ जिसकी वजह से दोनों के बीच दूरियां बढ़ गईं और दोस्ती भी टूट गई।

अध्यक्ष पद का भी है मामला

बताया जा रहा है कि दोनों अपने अपने पसंद का अध्यक्ष पालिका में बैठाना चाहते थे और किंग मेकर का खिताब पार्टी से लेना चाहते थे जिसमें एक नेता को सफलता मिली और एक नेता को पार्टी से तव्वजो नहीं मिली और पार्टी ने उस नेता को शिवपुर चरचा के हिसाब से अनुपयोगी नुकसानदायक मानकर उसके मन अनुरूप टिकट वितरण नहीं किया और यह भी दोनों के बीच की दूरी की वजह बनी।

कांग्रेस को हो सकता है नुकसान

जन चर्चाओं का अनुसार इन दोनों नेताओं के समर्थक भी अलग अलग हैं और काफी संख्या में इनके अलग अलग समर्थक हैं वहीं इनके समर्थक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता भी हैं, अब इन दोनों के बीच की दूरी और एक नेता को पार्टी से तवज्जो नहीं मिलने की वजह से उसकी नाराजगी जिससे उसके समर्थकों में भी नाराजगी है और इसका असर कांग्रेस को चुनाव में भी निश्चित ही पड़ेगा और नुकसान का भी अंदेशा है हो सकता है।


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