बैकु΄ठपुर @किसान होने के नाते कुछ प्रश्न है सरकार सेःसंदीप दुबे

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बैकु΄ठपुर 08 दिसम्बर 2021(घटती-घटना)। भाजपा के पटना मंडल के उपाध्यक्ष संदीप दुबे ने कहा सरकार हर चीज को किसानों के ऊपर थोपना चाहती हैं, बारदाना उपलब्ध कराने की वजह पैसे देकर इन्हें बाजारों में दौड़ आना चाहती है, अब बारदाना लेने के लिए किसान बाजारों में दौड़ेंगे और बाजार में बारदाना उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, ऐसे में किसानों को पैसे देकर सरकार अपना पल्ला झाड़ रही है मौजूदा सरकार से मेरे कुछ प्रश्न है जिसका जवाब मुझे मौजूदा सरकार दे, विगत वर्ष की धान खरीदी समय शासन के आदेश अनुसार किसानों के स्वयं के बारदाने में की जाने वाली खरीदी की प्रति बोरी 18 रूपए का भुगतान 1 वर्ष बीत जाने पर भी नहीं हो पाया हैक्यों? इस वर्ष किसानों के बारदाने की दर 25 रूपए प्रति बोरी रखी गई है, परंतु खुले बाजार में बारदाना मिल कहां रहा है? यदि खुले बाजार में बारदाना उपलब्ध है तो कहां? और किस दर पर? किसानों को जो थोड़े बहुत बारदाने खुले बाजार से मिल सकते थे वे थे पंचायतों में संचालित शासकीय उचित मूल्य खाद्य की दुकान। परंतु वहां से सारे बारदाने पहले ही शासन द्वारा संग्रहित किए जा चुके हैं। यहां तक कि मध्यान्ह भोजन के लिए आवंटित किए जाने वाले चावल के बारदाने भी शासन द्वारा संग्रहित किए जा चुके हैं। विगत वर्ष कोरोनावायरस के कारण लगे हुए लॉक डाउन की वजह से जुट मिले बंद थी तो बारदानों की शार्टेज थी। परंतु इस वर्ष ऐसी स्थिति क्यों? बारदानों का संकट क्यों? माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा गरीबों का आवास यह कह कर टाल दिया गया कि यह केंद्र की योजना है और इसमें संपूर्ण निवेश केंद्र करें तो फिर 2500 रूपए प्रति मि्ंटल दाना दाना धान खरीदने की योजना तो राज्य की थी, घोषणा भी राज्य की थी, संकल्प भी राज्य का था। इसके लिए केंद्र को बारदानों के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित क्यों? किसानों के बारदाने में धान खरीदी की बात और 25 रूपए प्रति बारदाने की कीमत तय करना तो सफेद हाथी जैसा हो गया। क्योंकि न तो किसानों को खुले बाजार में बारदाने मिलेंगे और ना ही वे अपना धान बेच पाएंगे। इसका समाधान क्या?


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