नवा बिहान,नशामुक्ति अभियान की राह में अड़ा माननीयों का बयान

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-डॉ. राजकुमार मिश्र-
नवा बिहान नशामुक्ति अभियान इधर पुलिस ने चला रखा है,तो दूसरी तरफ शराबखोरी की लत और खपत बढ़ती ही जा रही है।पुलिस के प्रयास पर रकम खर्च होती है तो उसकी देर-सबेर कुछ सार्थकता भी साबित हो तो सम्बंधित जनों का उत्साह भी बढ़े मगर यहां नशामुक्ति प्रयास हो या गांव गांव पहुचने की कोशिश में अनुभवी परामर्श दाताओं और धार्मिक सामाजिक संगठनों की बैसाखियों का मोहताज अभियान हो,अभीतक यथार्थ के धरातल पर कोई उम्मीद नजर नही आ सकी है।
जबतक भूपेश बघेल साहब की सरकारी नीयत साफ नही होगी तबतक अपने छत्तीसगढ़ प्रदेश में नशामुक्ति या शराबबंदी की बातें महज टाइमपास का ही बहाना बनी रहेंगी क्योंकि सरकार के मंत्री विधायक और मनोनीत पदाधिकारियों में किसी की भी सच्ची दिलचस्पी और सक्रियता लोगों को शराब से दूर करने में बिल्कुल नही है।
हो भी तो कैसे जब प्रदेश की ही महिला और बल विकास मंत्री अनिला भेçड़या और कई कारणों से विख्यात विधायक बृहस्पति सिंह जैसे माननीय खुलकर अपनी संस्कृति में आदिकाल से रची बसी शराब पर पाबंदी लगाने और इसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की बजाय शराब को सभ्य शालीन लोगो की तरह घर मे ही पीने की समझाइश देते रहने को ही जरूरी बता चुके हैं
प्रदेश की मंत्री और सीएम के करीबी विधायक ने अलग अलग मौकों पर लगभग एक जैसी रे यह दे रखी है कि पीनेवाले अगर घरमे
ही शराब पीया करेंगे तो सड़को पर बदनामी और बेइज्जती की गुंजाइश कम होगी।यानी,दोष शराब में नही पीने के तरीकों का है।तरीका सुधार देंगे तो न पाबंदी की जरूरत होगी न बहिष्कार या किसी जागरूकता अभियान की पड़ेगी।
यह घोर अंधेरे में दूर की कौड़ी खोज लाने की काबिलियत कितनी उपयोगी हो सकती है इसपर समझदार पाठक नागरिक ही टिप्पणी कर सकते हैं फिर भी शराबखोरी की लानत पर लगाम कसने के उपायों पर संजीदगी से सोचनेवाले इनेगिने ऐसे लोग अम्बिकापुर में भी हैं जिनको घरों में ही बैठकर पीने की सलाह के पीछे शराब के अड्डों के आसपास चीखना बेचनेवालों और उनसे नियमित मुट्ठी गर्म करती रहनेवाली पुलिस का नुकसान करने के इरादे छिपे हो सकते हैं।
बहरहाल,इस विषय पर बहुत सारे बुद्धिजीवी ऐसा मानते है कि सुदूर गांवों से लेकर शहरों तक ऐसे लोगों को आगे किया जाना चाहिए जिन्होंने शराब की लत का शिकार होकर क्या क्या दुख नही झेले मगर फिर खुद ही किसी न किसी प्रकार से जीतोड़ कोशिशें करके इससे अपने जीवन को मुक्त स्वच्छ और स्वस्थ्य कर लिया।अपने ही आसपास के ऐसे सफल लोगो को अपने ग्रामोन्मुखी जागरूकता अभियान में पुलिस द्वारा इज्जत और मंच देते देखकर शराब के अभ्यस्त ग्रामीण आदिवासी जनों पर जो भी थोड़ाबहुत असर पड़ेगा,वह अवश्य ही अच्छा ही होगा।


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