बैकु΄ठपुर@कोरिया नपा चुनावों में सत्तापक्ष कांग्रेस व भाजपा नेताओं की साख दांव पर

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नगरपालिका चुनावों में किसको मिलेगी सफलता किसकी बनेगी सरकार,कोरिया के दो नगरपालिका निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश शुरू

बैकुंठपुर नपा वर्तमान विधायक का गृह क्षेत्र,वही शिवपुर चरचा पूर्व केबिनेट मंत्री का गृह क्षेत्र,देखना है नता किसको देती है जीत का उपहार

रवि सिंह –
बैकु΄ठपुर 05 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। सत्ताधारी दल के लिए जीत हर हाल में जरूरी, भाजपा के लिए पिछली हार का बदला लेने की वजह से चुनाव जीतना मजबूरी। फैसला अब नगरपालिकाओं की जनता के जिम्मे, कौन जीता कौन हारा तय होगा 23 दिसम्बर को।
जिला विभाजन के बाद कोरिया जिले में दो ही नगरपालिकाएं शेष रह जा रहीं हैं और अब विभाजन के मात्र कुछ दिनों पूर्व ही दोनों नगरपालिकाओं बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा में नगरपालिका का चुनाव हो रहा है ऐसे में जिले की दो ही शेष रह जा रही नगरपालिकाओं में किसका कब्जा होगा कौन सा दल इन दोनों नगरपालिकाओं में अपना परचम लहरा सकेगा यह सभी जिलेवासियों के जेहन में उठ रहा सवाल है, वहीं इन दोनों नगरपालिकाओं के चुनावों पर पूरे जिलेवासियों की भी निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि यह चुनाव आने वाले समय के लिए भी एक तस्वीर पेश करेगा जो यह बतलायेगा की कोरिया जिले की जनता का वर्तमान सरकार और सत्ताधारी दल के प्रति क्या रुझान है और वह सरकार के बीते तीन वर्षों के कार्यकाल से क्षेत्रीय विधायक व छत्तीसगढ़ शासन में ही संसदीय सचिव के कार्यकाल से कितना संतुष्ट हैं, वहीं जिले के ही बैकुंठपुर विधानसभा से पूर्व भाजपा विधायक भाजपा सरकार में रह चुके पूर्व केबिनेट मंत्री की भी यह कठिन परीक्षा का दौर है खुद को सबित करने का समय है और यह भी बतलाने का अवसर है की विधानसभा चुनावों में उनकी हार उनकी व्यक्तिगत हार न होकर सरकार से नाराजगी विरोधी लहर की वजह से हुई हार थी और आज भी जिले की जनता का उनपर विश्वास है और वह एक जीतने वाले जिले के भाजपा उम्मीदवार आज भी हैं।
बैकुंठपुर नगरपालिका अंतर्गत ही संसदीय सचिव बैकुंठपुर विधायक का निवास है और उनके लिए बैकुंठपुर नगरपालिका में जीत दर्ज करना नितांत जरूरी है क्योंकि अपने ही घर से हार को कोई भी पार्टी सकारात्मक रूप में नही स्वीकार सकेगी खासकर सत्ताधारी दल तो बिल्कुल भी नहीं इस लिहाज से बैकुंठपुर नगरपालिका चुनाव किसी भी हाल में कांग्रेस की झोली में चला जाये यह उनका भी प्रयास होगा साथ ही जिलाध्यक्ष कांग्रेस का भी जो खुद भी बैकुंठपुर के ही निवासी हैं, जिले की दोनों नगरपालिकाओं में वैसे तो कोई दूरी नहीं है और दोनों शहर लगभग एकदूसरे को छूते नजर आते हैं इस लिहाज से शिवपुर चरचा में भी कांग्रेस अपनी सरकार नगरपालिका में बनानी चाहेगी और दोनों ही नगरपालिकाओं में जीत दर्ज कर सरकार सहित प्रदेश नेतृत्व को प्रसन्न करना चाहेगी, वहीं भाजपा के लिहाज से भी यह चुनाव महत्वपूर्ण होगा क्योंकि पूर्व बैकुंठपुर विधायक भाजपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री का भी निवास शिवपुर चरचा और बैकुंठपुर के बीचोबीच है और वह पूर्व में शिवपुर चर्चा में ही शामिल क्षेत्र भी रहा है, पूर्व बैकुंठपुर विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री के लिहाज से भी यह चुनाव बेहद अहम है क्योंकि वह भी इस चुनाव में जीत दर्ज कर प्रदेश नेतृत्व को यह जरूर जतलाना चाहेंगे कि उनके प्रति जिले की जनता का रुख सकारात्मक है और विधानसभा चुनाव में उनकी हार की मुख्य वजह सरकार विरोधी लहर थी उनकी छवि नहीं। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला विभाजन और कोरिया जिले के साथ हुए अन्याय के बावजूद दोनों नगरपालिकाओं की जनता किस दल पर विश्वास करेगी और किस दल पर जिले के विभाजन और जिले के साथ क्षेत्र विभाजन में हुए अन्याय का ठीकरा फोड़ेगी।

पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्व भाजपा विधायक के लिए हार का बदला लेने सही अवसर

कोरिया जिले के दोनों नगरपालिकाओं में जहां निकाय चुनाव होने हैं में पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्व भाजपा विधायक का अच्छा खासा जनाधार रहा है और वह दोनों ही नगरपालिकाओं में अपना खासा असर रखते हैं और दोनों ही जगहों पर उनके समर्थकों की संख्या भी खासी है अब विधानसभा चुनाव में हुई हार का बदला और अपने जनाधार को साबित करने का मौका पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्व भाजपा विधायक के पास होगा और यदि चुनाव में जीत भाजपा की दर्ज होती है तो पूरा श्रेय भी उन्हीं के खाते में पार्टी से जाएगा। अब देखने वाली भी बात होगी कि क्या विधानसभा चुनाव में हुई हार का बदला नगरपालिका चुनाव में जीत दर्ज कर पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्व भाजपा विधायक पूरा कर पाते हैं और क्या वह अपना जनाधार भी साबित कर पाते हैं क्योंकि आज भी भाजपा से भावी विधायक के रूप में उन्हीं का इकलौता नाम जिले में चर्चा में बना हुआ है।

संसदीय सचिव बैकुंठपुर विधायक के लिए भी चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं

बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा नगरपालिका चुनावों में कांग्रेस के लिए भी चुनाव जीतना चुनौती से कम नहीं होगा,वहीं संसदीय सचिव व बैकुंठपुर विधायक के लिए भी यह चुनाव एक बहोत बड़ी चुनौती है क्योंकि सत्ताधारी दल की विधायक व संसदीय सचिव जैसी जिम्मेदारी व बढ़े हुए कद के साथ चुनाव में यदि जीत दर्ज कांग्रेस नहीं कर पाती है तो बैकुंठपुर विधायक के संदर्भ में यह खिसकता हुआ उनका जनाधार माना जाएगा और हार की स्थिति में उनकी जिम्मेदारी भी माना जायेगा। चुनाव में मिली बड़ी जीत और कैबिनेट मंत्री को पराजित करने के हिसाब से मिले मतों को सुरक्षित रखते हुए यह चुनाव कांग्रेस के पक्ष में कराना उनके लिए बहोत बड़ी जिम्मेदारी होगीं अब यहां भी देखना होगा कि जनता सत्ताधारी दल के प्रति अपना समर्थन प्रदान करती है या भाजपा के सिर जीत का सेहरा बांधती है।

कुल मिलाकर रोचक होगा नगरपालिकाओं का चुनाव

कोरिया जिले के दोनों नगरपालिकाओं का चुनाव काफी रोचक होगा यह तय है क्योंकि जिला विभाजन में जिले के साथ अन्याय का भी मामला लोगों के जेहन में है और 3 साल के सरकार के कार्यकाल भी जनता हिसाब करेगी, यदि जनता संतुष्ट है सरकार के कार्यकाल से और यदि जिला विभाजन का भी मामला ठंडा पड़ चुका जैसा कि लग भी रहा है कि जिला विभाजन का मुद्दा चुनाव में शामिल नहीं है तो निश्चित रूप से सत्ताधारी दल की जीत तय है,और यदि जनता शांत रहकर अंतिम फैसला सुरक्षित रखे बैठी है तो परिणाम कुछ भी आ सकता है जो रोचक बना रहा चुनाव को।

आज नाम वापसी का दिन,कइयों पर बन रहा दबाव

जिले के दोनों ही नगरपालिकाओं में कई वार्डों में कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपना अपना नामांकन पत्र चुनाव लड़ने के हिसाब से जमा किया हुआ है,कई ऐसे भी प्रत्यासी हैं जिन्होंने अलग अलग दलों से खुद के लिए टिकट की मांग की थी और वह राजनीतिक दलों के पदाधिकारी भी हैं और उन्हें उम्मीद भी थी कि पार्टी उन्हें टिकट देकर दावेदार जरूर बनाएगी,ऐसे लोग सत्ताधारी कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए समस्या बन सकते हैं और उनके जीतने वाले प्रत्याशियों को हार के मुंह तक पहुंचा सकते हैं,अब जबकि दोनों ही प्रमुख दलों से प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं और आज नाम वापसी का अंतिम दिन भी है तो यह भी देखने वाली बात होगी कि किसे किसे दोनों प्रमुख राजनीतिक दल मना पाते हैं नाम वापसी के लिए और किसके नाम वापस नहीं लेने से किसको नुकसान हो सकता है। ऐसे निर्दलीय प्रत्याशियों को मनाने मानमनौव्वल भी जारी है और कई जगह उन्हें प्रलोभन में भी लेकर नाम वापसी की तैयारी है।


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