अम्बिकापुर @ निगम गठन के 17 साल बाद भी नहीं हो सकी ट्रांसपोर्टनगर की स्थापना

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महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के नाम पर लाखों रुपए हो चुके हैं खर्च

अम्बिकापुर 04 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। अंबिकापुर नगर निगम बने लगभग 17 वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद भी शहर की महत्वाकांक्षी योजना ट्रांसपोर्ट नगर सपना ही बनकर रह गया है। अब तक ट्रांसपोर्टनगर विकसित नहीं हो सका है। जबकि इस योजना पर लाखों रुपए भी फूंक दिए गए हैं। जिस भूमि पर ट्रांसपोर्टनगर का सपना दिखाया जा रहा था उक्त भूमि नगर निगम की है ही नहीं। इस योजना के प्रति नगर निगम ने भी रूचि दिखाना कम कर दिया है।
अम्बिकापुर नगर निगम को 18 साल पूरे होने को हैं, लेकिन ट्रांसपोर्ट नगर जैसी जरुरी व्यवस्था जमीन पर नहीं उतर सकी है। हवा में गोते लगा रही ट्रांसपोर्टनगर की स्थापना शुरुआत सबसे पहले अम्बिकापुर से 10 किलोमीटर दूर मेण्ड्राखुर्द गांव में की गई थी। इसके लिए निगम प्रबंधन ने 10 लाख रुपए पानी की तरह बहाए, लेकिन बाद में वो जमीन फारेस्ट की निकल गई। लिहाजा निगम प्रबंधन ने करीब 13 साल पहले बिलासपुर चौक के पास पचपेड़ी में जमीन आवंटित करा कर उसका विस्तार शुरू किया। वहां भी करीब निगम ने जमीन समतलीकरण, कुछ हिस्से मे सीसी रोड और गुमटियां रखवाने में 1 करोड़ खर्च कर दिए, लेकिन वहां भी जमीन खाईनुमा ें होने के कारण कार्य अधूरा छोड़ कर पुन: इसके कुछ दूरी पर ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की कवायद शुरू की गई। वहां भी लगभग 2 एकड़ भूमि पर ट्रांसपोर्टनगर विस्तार के लिए सीसी रोड, विद्युतीकरण और गुमटियां लगाए गए। लेकिन यह पहल भी पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चली गई।

गलत आवंटन से मामला और पेचीदा

बिलासपुर चौक से परसापाली जाने वाले मार्ग में ट्रांसपोर्टनगर प्रस्तावित है। इसी के नजदीक छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन को भी जमीन आवंटित करना था, इसमें भी चूक हो गई है। जो जमीन ट्रांसपोर्टनगर के नाम आवंटित की जानी चाहिए थी वह सीजीएमएससी को दे दी गई और सीजीएमएससी की जमीन को ट्रांसपोर्टनगर के नाम कर दिया गया। इस त्रुटि से समस्या और बढ़ गई है। जमीन आवंटत में हुई गड़बड़ी से ट्रांसपोर्टनगर को आबाद करने में और लंबा वक्त लगेगा जो गैरेज संचालकों के हित में नही है। वही नगर निगम को आवंटन को सही कराने के लिए 56 लाख रुपए शासन के खाते में जमा करने पड़ेंगे।

शहर के विकास में बाधा

अंबिकापुर नगर निगम में वर्ष 2015 से कांग्रेस की सरकार है। इससे पूर्व 10 सालों तक भाजपा का शासनकाल रहा। लगभग 17 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी शहर की महत्वाकांक्षी योजना ट्रांसपोर्ट नगर अब तक सपना ही बना हुआ है। इस मामले में पूर्व महापौर प्रबोध मिंज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना नहीं होना विकास में बाधा है। ट्रांसपोर्ट नगर बन जाने से शहर के विकास को एक बल मिलेगा। इसके अलावा स्थानीय लोगों को भी रोजगार से जोड़ा जा सकता है। लेकिन निगम की सरकार इस मामले में रुचि नहीं दिखा रही है।


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