निजात से बढ़ी जागरूकता पर नशेड़ी क्यों नहीं हो रहे कम,मादक पदार्थ का प्रवेश भी बड़ा सवाल,थम नहीं रहा नशे का कारोबार,पुलिस भय भी नहीं आरहा काम
- रवि सिंह –
बैकु΄ठपुर 13 नवम्बर 2021 (घटती-घटना)। जिले में हर तरफ नशे का कारोबार हो रहा पुलिस की तबातोड कार्यवाही के बावजूद कारोबार पूरी तरह बंद नही हो पा रहा, कॉलरी एरिया कटकोना, पाण्डवपारा, चरचा, बैकुंठपुर, चिरीमिरी, मनेन्द्रगढ़ सहित आसपास के गावों में गांजा, मेडिकल प्रतिबंधित दवाईयां, महुआ शराब जैसे मादक पदार्थों की ब्रिकी जारी है। इस पर पूरी तरह अंकुश लगाने में पुलिस नाकाम हो रही है। वहीं देश के युवा नशे का कारोबार करने वालों के हाथों बर्बाद हो रहे है। नशे में लिप्त युवा नशीली पदार्थो के लिये कुछ भी करने को तैयार। क्षेत्र में युवा पीढ़ी पूरी तरह नशे के कारोबार करने वालों के चंगुल में फंस चुकी है और अपने युवा जीवन में नशे को ही अपना सबकुछ मान लिया है। उन्हें बिलकुल ही इस बात का अंदाजा नहीं है कि उनका जीवन किस ओर जा रहा है युवाओं के नशे में लिप्त होने की वजह से उनका पूरा परिवार खून के आंसू रोता हैं और नशे के कारोबार करने वालों को कोसता है। हांलाकि पुलिस अधीक्षक द्वारा चालऐ जा रहे निजात से नशा करने वालों में जागरूकता तो बढ़ रही है पर नशे के समान मिलने की उपलब्धा पर अंकुष नहीं लग रहा।
मिली जानकारी के अनुसार पटना बाजारपारा के साथ आसपास क्षेत्रों में खुलेआम गांजा की ब्रिकी हो रही है यहां तक की इसमें संलिप्त लोगों पर पूर्व में कार्यवाही भी की जा चुकी है पर वापस आते ही नशे के कारोबार में संलिप्त हो जाते है। पुलिस सहित सम्बिन्धित विभाग को पता होने के बावजुद कमीशन के आंड में यह धंघा खूब फल-फूल रहा है। वहीं पटना से लगे गावं छिन्दिया तो मानों प्रतिबंधित मेडिकल दवाईयों की ब्रिकी करने में खूब आगे रहा है। पुलिस कप्तान के निजात अभियान ने छिन्दिया निवासीयों को थोड़ी राहत तो दी है पर पूर्ण रूप से यह मेडिकल नशा बंद नहीं हुआ। महुआ शराब तो गावं-गावं में बनाने से लेकर पीने वाले खुलेतौर से देखने को मिल जायेंगे। जिस पर पुलिस को खबर लेने की आवष्यकता है। इस समय शासकीय शराब दुकानों के आसपास शराब पीते पाये जाने पर पुलिस का रवैया सख्त तो हुआ है पर स्थानीय स्तर पर मिल रहे महुआ शराब और उसे खुलेआम पीने वालों पर कार्यवाही करने की पुलिस इंतजार क्यों कर रही। आखिर सवाल यह है कि यह सब पुलिस प्रशासन के नाक नीचे हो रहा है पर कार्यवाही के तौर पर छोटे लोगों पकड़कर खानापूर्ति कर ली जाती है और बड़ी पार्टी आसानी से निकल जाती है, उन पर पुलिस व कानून का कोई भय नहीं है।
गांजा ब्रिकी का हब बना पटना
पटना में गांजा ब्रिकी का सेंटर सा बन गया है छोटे-छोटे व्यवसायी गांजा बेचने वाले पटना से लेकर आसपास के ग्रामीणों को बेचते है इनके खरीददार पटना में खुलेतौर से देखने को मिल जायेंगे। नशे का कारोबार नगर के गली चौराहे तक फैला हुआ है। कोरिया जिले के साथ पटना में लोगों को नशा मुक्ति के लिए कई बार जनजागरूकता करने के लिए समय-समय पर सरकारी विभाग काम करता चला आ रहा है और वर्तमान में पुलिस कप्तान द्वारा निजात के तहत लगातार नषे के खिलाफ कार्यवाही भी हो रही है। पर इसका कोई खास असर नहीं दिखता इसके चलते लोगों में नशे की लत बढ़ती जा रही है। क्योंकि मेडिकल पर पाबंदी लगने पर नषेçड़यों द्वारा किसी और साधन का उपयोग कर उसे अधिक मात्रा में नषा कर रहा है। नषे में युवा इस प्रकार लिप्त हो गये है कि खरीदने के लिये पैसे न होने पर घरों में चोरी तक करने से परहेज नहीं करते। यहां तक कि घरों में अपने मां-बाप पर भी वार करने से नहीं चुकते ऐसी कई घटनाएं पटना थाना क्षेत्र के अंतर्गत हो चुकी है।
जिसमें नषें में धुत्त युवा अपने घर के परिवारों को जान से मारने की कोशिश कर चुके है।
गांजे की कश में धुआं बनकर
उड़ रही युवाओं की जिंदगी
निजात के तहत लगातर कार्यवाही के पष्चात भी नशे के कारोबार में लिप्त लोग इस काम से अलग नहीं हो पा रहे है कार्यवाही भी अब ऐसे लोगों पर होने की जरूरत है जो अपना अवैध काम बड़े पैमाने पर कर रहे है। पटना व इसके आसपास गावं में गांजा का कारोबार थोड़ा कम तो हुआ है पर अब भी चल रहा है, पटना बाजारापारा सहित गांवों मे आसानी से गांजा जैसे मादक पदार्थ आसानी से मिल जा रही है। सूत्रों की मानें तो निजात कार्यक्रम से लोगों में दहशत तो है पर स्थानीय थाना के सेटिंग से इन पर कार्यवाही नहीं हो पाती। स्थिति यह है कि नगर में गांजा की बिक्री हो रही है और पीने वाले आसानी से देखे रहे है। सवाल आखिर यह है कि गांजा नहीं बिक रहा तो पीने वाले कहां से ला रहे है। काफी समय हो गया जहां पटना में गांजा बेचने वालों बड़े तस्कर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुआ। ऐसा नहीं की इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुआ, पर कार्यवाही होने के बाद फिर से इस काम में लग जाते है। इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए नारकोटिक्स एक्ट बनाया गया है, लेकिन पुलिस व आबकारी विभाग गांजे की बिक्री पर आंषिक रूप से अंकुश लगाने में सफल तो होते है पर पूर्ण रूप से बंद करने में नहीं।
समाज में रह रहे नागरिक
भी है जिम्मेदार
सब काम पुलिस ही करें ऐसा नहीं है क्योंकि समाज रहते हुये यह सभी नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि समाज में फैल रहे समाजिक बुराई को वह बढ़ावा न दें। क्योंकि वह देखकर कुछ न कहना भी बढ़ावा देने जैसा है। पुलिस भी आखिर समाज का एक हिस्सा है और सभी जिम्मेदारी पुलिस नहीं निभा सकती। समाज मे अवैध कामों में लिप्त लोगों की षिकायत भी समाज के व्यक्तियों की जिम्मदारी होती है और षिकायत न मिलने के अभाव में यह अकसर पुलिस के हाथों छूट जाते है। ऐसे में समाज में रहे रहे सभी वर्गो का यह जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे कार्यो का बढ़ावा देने में अंकुष लगाये जिससे समाज के युवा बर्बाद न हो।