रायपुर, @ सरकारी स्कूल के 3 छात्रों ने शीर्ष 60 मॉडल में बनाई जगह

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लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थियों को दी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की जानकारी\
रायपुर, 17 नवम्बर 2021 (ए)। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाके के सरकारी स्कूल में पढऩे वाले तीन बच्चों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कमाल का काम किया है। महासमुंद जिले के एक सरकारी स्कूल के 3 छात्रों ने प्रतियोगिता में अपना स्थान सुनिश्चित किया। ये विद्यार्थी है परमेश्वरी यादव, वैभव देवांगन और धीरज यादव।
इन तीनों विद्यार्थियों के दोनों प्रोजेक्ट केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रतियोगिता के शीर्ष 60 मॉडल में चयनित हुए हैं। परमेश्वरी ने एआई का इस्तेमाल कर धान की फसल में बीमारियों की पहचान का प्रोजेक्ट बनाया है। वैभव देवांगन और धीरज यादव ने फसलों के बीच उगे खरपतवार की सटीक पहचान वाला प्रोजेक्ट बनाया है।
देशभर से चयनित इन परियोजनाओं से जुड़े विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर अब उनके आइडिया को वर्किंग प्रोटोटाइप में ढाला जाएगा। उनका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ द्वारा ऑनलाइन साक्षात्कार होगा। बाद में उनमें से टॉप 30 को अंतिम रूप से विजेता घोषित किया जाएगा। विजेताओं को दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम में अपने प्रोजेक्ट प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के लिए कुल 52 हजार 628 छात्र पंजीकृत हुए थे।
पहले चरण में 11 हजार 466 छात्रों ने प्रशिक्षण लिया। देश के 35 राज्य से 2 हजार 536 शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया गया। पूरे देश से 2 हजार 441 विद्यार्थियों से 2704 आइडिया जमा किए गए। पहले चरण का परिणाम 12 जनवरी 2021 को जारी किया गया। दूसरे चरण के लिए 125 विद्यार्थी चुने गये थे। तीसरे चरण में 60 चुने गए हैं।
परमेश्वरी के मॉडल से पता चलेगा
धान की फसलों में लगने वाली बीमारियां
महासमुंद के नर्रा स्थित शासकीय कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक स्कूल की परमेश्वरी यादव ने जो प्रोजेक्ट बनाया है वह धान की फसलों में लगने वाली बीमारियों का पता लगाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक से बना सॉफ्टवेयर सही समय पर बीमारियों का पता लगाकर उनके उपचार के लिए उचित दवाइयों का सुझाव देगा।
वैभव-धीरज का मॉडल करेगा खरपतवार
की पहचान
इसी स्कूल के वैभव देवांगन और धीरज यादव ने खेती के काम में आने वाला मॉडल ही बनाया है। इन दोनों का मॉडल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग कर फसलों में खर-पतवार की पहचान करेगा। वह न सिर्फ उनकी मौजूदगी बताएगा बल्कि उनका प्रकार, मात्रा और सघनता की भी जानकारी देगा। इसमें इस्तेमाल सॉफ्टवेयर खरपतवार नियंत्रण के लिए जरूरी सलाह भी देगा।
सरकारी स्कूल में कैसे तैयार किया गया
था प्रोजेक्ट
दरअसल, स्कूल में इस तरह की गतिविधियों के लिए स्कोप बना है। विद्यालय के व्याख्याता सुबोध कुमार तिवारी ने लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की जानकारी दी थी। उन्हें इस तरह की प्रतियोगिता की जानकारी भी दी गई थी। कक्षाएं शुरू होने के बाद विद्यार्थियों ने इस तकनीक के उपयोग से कृषि प्रधान राज्य के किसानों की सुविधा के लिए प्रोजेक्ट बनाए।
क्या है
आर्टिफिशियल इटेलिजेंस
यह तकनीक फोन या कंप्यूटर में उपलब्ध शतरंद जैसे गेम, गूगल और एलेक्सा वॉयस असिस्टेंट समेत रोबोट जैसे डिवाइस के रूप में मौजूद है। हालांकि, इस तकनीक पर अब भी काम चल रहा है। आर्टिफिशियल इटेलिजेंस दुनिया की श्रेष्ठ तकनीकों में से एक है। यह दो शब्दों आर्टिफिशियल और इंटेलिजेंस से मिलकर बनी है।
इसका अर्थ है “मानव निर्मित सोच शक्ति। इस तकनीक की सहायता से ऐसा सिस्टम तैयार किया जा सकता है, जो मानव बुद्धिमत्ता यानी इंटेलिजेंस के बराबर होगा। इस तकनीक के माध्यम से अल्गोरिदम सीखने, पहचानने, समस्या-समाधान, भाषा, लाजिकल रीजनिंग, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग,बायोइंफार्मेटिक्‍स तथा मशीन बायोलाजी को आसानी से समझा जा सकता है। इसके अलावा यह तकनीक खुद सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है। इस तकनीक ने काम को बहुत आसान बना दिया है। जो काम 100 इंसानी दिमाग मिलकर करते हैं उसे एक मशीन कुछ ही घंटों में कर देती है।


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