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बैकु΄ठपुर @बिल्डर संजय अग्रवाल ने घटती घटना के जिला प्रतिनिधि को लिखा पत्र

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पत्र लिखकर अपने साथ बीती घटना को किया साझा,षड्यंत्र के तहत मुझे फंसाया जा रहा है,मैं निर्दोष हूँ यह साबित होकर रहेगाःसंजय अग्रवाल

पुलिस अधिकारियों सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर खुद के द्वारा लगाए आरोपों को ठहरा रहे सही,पैसे के लेनदेन की स्टेटमेंट भी घटती-घटना को किया सुपुर्द

  • रवि सिंह-

बैकु΄ठपुर 16 नवम्बर 2021 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर निवासी बिल्डर संजय अग्रवाल ने दैनिक घटती घटना समाचार पत्र को पत्र लिखकर बताया की घटती-घटना में प्रकाशित समाचार को पढ़नें की जिज्ञासा बनी रहती है, क्योंकि यही एकमात्र ऐसा समाचार पत्र है जो बिना किसी डर भय के निष्पक्ष एवं निर्भिक होकर मुद्दों एवं समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित करता है। यही वजह है कि बड़े-बड़े समाचार पत्रों के बीच अपनी जगह बनाने एवं क्षेत्र में सर्वाधिक लोकप्रिय होने का गौरव इसे प्राप्त है, फरार भू-माफिया, बिल्डर संजय अग्रवाल का संबोधन किया जाता है, स्पष्ट करना चाहूँगा आज तक एक भी मामले में किसी न्यायालय ने (राजस्व या व्यवहार) ऐसा कोई निर्णय नहीं दिया है कि जिसमें किसी की व्यक्तिगत या शासकीय भूमि के लिए मुझे दोषी सिद्ध किया गया हो। मुझ पर आरोप जरुर लगे हैं, लेकिन किसी भी शासकीय भूमि से संबंधित कोई मामला किसी न्यायालय में लंबित नहीं है, वर्तमान में मेरे, मेरी पत्नि या मेरी फर्म मां वष्णौ एसोसिएट्स प्रा0 लिमि0 के विरुद्ध जमीन संबंधी (राजस्व एवं व्यवहार न्यायालय जिसमें उच्च एवं उच्चतम न्यायालय भी शामिल हैं) कुल 3 मामले पेंडिंग हैं जिसमे विष्णु सिंह आ0 धनुषधारी सिंह (ग्रा0-पटना निवासी) जिसमें न्यायालय संभागयुक्त एवं राजस्व मंडल व्दार मेरे पक्ष में फैसला दिया जा चुका है। नवलराम प्रति बलराम (ग्राम- हर्राटोला, बैकुन्ठपुर निवासी) महामाया गुप्ता प्रति अर्चना गुप्ता (ग्राम- मझगंवा निवासी) जिसमें न्यायालय संभागयुक्त व्दार मेरे पक्ष में फैसला दिया जा चुका है, उन्होंने पत्र में लिखा है कि आप चाहें तो मेरे व्दारा उपरोक्त कथन को अपने समाचार पत्र में भी स्थान दे सकते हैं और यदि इसके अलावा कोई भी व्यक्ति किसी भी जमीन संबंधी मामले का मेरे या मेरे फर्म के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में किसी मामले के लंबित होने का दावा प्रस्तुत करता है तो उससे संबंधित न्यायालय संबंधी जानकारी लेकर संतुष्ट होने पर मेरे व्दारा इस दावे के गलत होने का समाचार प्रकाशित कर सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि जिसने दो-चार भी भूमि का क्रय-विक्रय किया हो उस पर भूमि के सिविल मामले हो जाते हैं तो फिर मेरा तो व्यवसाय ही भूमि के क्रय-विक्रय का है, 3 मामलों में भी सीधे तौर पर सिर्फ एक मामला विष्णु सिंह का मेरे विरुद्ध है, बाकी के दो में नवलराम एवं बलराम नामक व्यक्ति का आपसी विवाद एवं महामाया व उसके परिवार के लोगों के व्दारा भूमि मुझे विक्रय कर देने एवं महामाया को उसका हक नहीं देने का मामला है, ऐसे में मुझे भू-माफिया शब्द आपके व्दारा लिखा जाना उचित नहीं है यह भी उन्होंने घटती घटना को लिखे पत्र में लिखा है।

बैकुंठपुर शहर को सुन्दर बनाने की उपलब्धि

संजय अग्रवाल ने लिखा है कि एक यह भी पहलू विचारणीय है की वर्ष 2008-09 में बैकुन्ठपुर में मैने जमीन के क्रय-विक्रय एवं भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ किया उस समय बैकुन्ठपुर की भूमि की क्या कीमत रही और व्यवसाय की क्या स्थिति रही इसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। उस वक्त एक व्यवस्थित कालोनी बनाने की सोच को लाना किसी पागलपन से कम नहीं था, बहोत ही सीमित संसाधन एवं नकारात्मक सोच के बीच, उस वक्त बैकुन्ठपुर में कालोनी निर्माण का उद्देश्य सिर्फ धन कमाना ही नहीं हो सकता था, उन सबके बीच शकुन्तला कालोनी का निर्माण और लोगों का भरपूर सहयोग मिलना और फिर एमएलए नगर बनाना, अग्रवाल सिटी में प्लाटिंग कर विक्रय करना मेरे धन अर्जन के साथ-साथ बैकुन्ठपुर के विकास में एक मील का पत्थर है, जो लोग एसईसीएल से रिटायर होने के बाद बिलासपुर पलायन कर रहे थे ना सिर्फ उनका पलायन रुका बल्कि चिरमिरी और आस-पास के लोंगों ने बैकुन्ठपुर में बसना प्रारंभ किया, लोगों के जमीन के भाव आसमान में पुहंचे इससे हर एक यंहा के निवासी को लाभ पंहुचा, आंख बंद करके बैकुन्ठपुर में मेरे व्दारा किए गए कार्य जिसमें शकुन्तला कालोनी, एमएलए नगर, अग्रवाल सिटी इन सबको बैकुन्ठपुर के नक्शे से हटा कर कल्पना कीजिए कि आपको इन सब प्रोजेक्ट के ना होने पर बैकुन्ठपुर की कैसी तस्वीर नजर आती है आप पाएंगे कि मैने धन-अर्जन करने के साथ-साथ बैकुन्ठपुर के विकास में अपना भरपूर योगदान किया है। जंहा लगभग 300 परिवार निवास करते हैं, शासकीय एवं बैंक कर्मी जो बाहर से आकर बैकुन्ठपुर में सर्विस कर रहे हैं उनको बेहतर निवास स्थान उपलब्ध हुआ है इसके नहीं होने पर उनके लिए क्या समस्या होती जो पूर्व में थी, आप विचार करिएगा। जंहा तक कालोनी के वैध होने और अवैध होने का प्रश्न है, संक्षेप में जानकारी देना चाहता हू कि कोई भी कालोनी के अवैध होने से कोई अपराध का घटित होना नहीं होता है और ना ही कोई निर्माण कार्य ध्वस्त किया जाता है सिर्फ उसके नियमितिकरण की प्रक्रिया का नियम है जो शासन व्दारा किया जाता है, जिसे औपचारिकता पूर्ण कर कालोनी नियमित कर दी जाती है, उन्होंने कहा है कि जंहा तक मेरे उपर दर्ज अपराधिक मामले एवं दस्तावेजों में छेड़छाड़ करते हुए विकास अनुज्ञा प्राप्त करने का प्रश्न है इस पर पुलिस ने छान-बीन कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है जो कि न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, जिस पर जो भी समय-समय पर निर्णय आएगा उससे आप स्वतः अवगत होते रहेंगे।

मेरे व्दारा दो एफआईआर दर्ज करने हेतु शिकायत पत्र थाना प्रभारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भेजा गया हैं

संजय अग्रवाल ने अपने द्वारा लिखे पत्र में लिखा है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक चन्द्रमोहन सिंह और उनके अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के व्दारा 3 करोड़ रुपए के वसूली एवं मेरे विरुद्ध झूठी प्राथमिकी दर्ज करने का मामला है जिसमें अपना बैंक खाता का डिटेल संबंधित चेक नम्बर के साथ मेरे शिकायत पत्र में उल्लेखित किया गया है पुलिस की यह जिम्मेदारी बनती है कि मेरे व्दारा उल्लेखित तथ्यों की जांच करे और यदि उनमें कोई जानकारी या शिकायत झूठी पाई जाती है तो मेरे खिलाफ भा.द.सं. की धारा 211 के अर्न्तगत एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही करे। (मेरे व्दारा अपने बैंक खाता का स्टेटमेंट भेजा जा रहा है जिसमें उल्लेखित पैसा जंहा गया है उसकी जांच पुलिस को आरोपी तक पंहुचने के लिए करनी है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता सुरेन्द्र कुमार दुबे, अनुविभागीय अधिकारी रमेश चन्द्र सोनी एवं पुलिस अधिकारियों ने मिलकर फर्जी पत्र तैयार करने एवं पुलिस के तत्कालीन अधिकारियों व्दारा लिखित पत्र से भिन्न जानबूझ कर गलत एफआईआर दर्ज करने संबधी जिसमें अभी मेरी जमानत होना बाकी है, जिसके कारण मैं बैकुन्ठपुर से बाहर हूँ क्योंकि पुलिस व्दारा इस झूठे मामले में मेरी गिरफ्तारी किए जाने की आशंका मुझे है। यह प्रमाणिक दस्तावेज मेरे व्दारा जांच अधिकारी थाना प्रभारी बैकुन्ठपुर को और आपको भी भेजे जा चुके हैं पुनः भेज रहा हूँ थाना प्रभारी को अपराध दर्ज कर मेरे व्दारा भेजे गए दस्तावेजों को संबंधित कार्यालय से जप्त करने से ही अपराध का होना स्पष्ट हो जाएगा इतने पुष्ट दस्तावेजी साक्ष्य के बाद भी कार्यवाही का ना किया जाना अपने आप में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है। डाक से भेजे गए शिकायत एवं कथन विधि मान्य होते हैं। तत्संबंध में उच्चतम न्यायालय का आदेश भी आपकी जानकारी के लिए संलग्न कर भेज रहा हूँ। इसके अलावा राजस्व विभाग के तत्कालीन तहसीलदार एवं वर्तमान अनुविभागीय अधिकारी (रा0) व्दारा पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर स्थानीय विधायक के निर्देश पर मुझे अपराधी निरुपित करने के लिए दस्तावेजों में जो फर्जीवाड़ा किया गया है वो सभी दस्तावेजी साक्ष्य मेरे पास हैं जिसमें तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक धीरेन्द्र पटेल ने फर्जी दस्तावेज निर्मित कर न्यायालय में पेश किया है। इतना ही नहीं आडियो-वीडियो रिकार्डिंग भी वरिष्ठ एवं जिम्मेदार अधिकारियों की मेरे पास उपलब्ध है जिसमें वो विधायक मेडम एवं एसपी साहब के दबाब में कार्यवाही किए जाने के लिए बोलते हुए स्पष्ट दिखाई और सुनाई पड़ रहे हैं। एक-एक कर प्रकरण तैयार कर कार्यवाही करने हेतु प्रेषित की जाएगी एवं यथा उचित न्यायालय के समक्ष सारी बातों को प्रस्तुत कर कार्यवाही किए जाने का निर्देश प्राप्त किया जाएगा। बहुत जल्द आप सबके समक्ष उपस्थित होकर ये खुलासा करुंगा कि किस प्रकार पावर एवं पद का दुरुपयोग कर मुझे अपने राजनीतिक प्रतिव्दंदिता या चुनौती के रुप में मानकार रास्ते से हटाने के उद्देश्य से गैंग तैयार कर फिरौती ली गई और पैसों के लिए निम्नतर स्तर पर उतरकर मेरे पूरे परिवार को प्रताçड़त किया गया है, जिसमें मुझे फंसाने के लिए पुलिस अधीक्षक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के व्दारा फर्जी दस्तावेज बेखौफ होकर तैयार किए गए हैं।

घटती घटना को साक्ष्य के तौर पर बैंक स्टेटमेंट व छेड़छाड़ की गई दस्तावेज किया सुपुर्द

बिल्डर संजय अग्रवाल ने लेन-देन का जो आरोप लगाया है उस आरोप के तहत चेक नंबर से जो भी पैसे निकले हैं उसका स्टेटमेंट साक्ष्य के तौर पर घटी घटना को भेजें गए हैं साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार किस दिन कितने कितने पैसे उनके खाते से निकाले गए साथ ही उन्होंने जल संसाधन विभाग के पत्र के साथ छेड़छाड़ की गई वह भी दिया गया अब यह दस्तावेज कितने सही हैं यह पुलिस के लिए जांच का विषय है पुलिस कैसे जांच करके इस मामले को सूचना दी है यह देखने वाली बात होगी। 7 अप्रैल 2021 को जेल से निकलते ही बिलासपुर गया रात में वहां रुका और फिर 8 अप्रैल को सुबह सारे चेक मेरे द्वारा दिए गए, उसी दौरान केके श्रीवास्तव ने तत्काल में पुलिस अधीक्षक से बात भी की जिसका कॉल डिटेल भी निकाला जा सकता है।


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