रूस और अन्य देशों के साथ दिल्ली डायलाग आज,पाकिस्तान और चीन दोनों को मिलेगा महत्वपूर्ण संदेश
नई दिल्ली 09 नवम्बर 2021। अभी तक अफगानिस्तान को लेकर चीन और पाकिस्तान यह समझ रहे थे कि रूस उनके हर कदम पर साझीदार होगा, लेकिन रूस ने अपनी सुरक्षा परिषद के सचिव (एनएसए के समकक्ष) निकोलाई पात्रशेव को नई दिल्ली में बुधवार को होने वाली एनएसए स्तरीय वार्ता में भेजकर बहुत बड़ा संदेश दिया है। संदेश है कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने का बाद हालात जिस तरह लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, उसे देखते हुए वह अपनी सुरक्षा के लिए दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। पात्रशेव एक विशेष विमान से बुधवार सुबह नई दिल्ली पहुंचेंगे। उनकी भारतीय एनएसए अजीत डोभाल के साथ अलग से भी बात होगी, जिसमें अफगानिस्तान के हालात पर ही मुख्य तौर पर बात होगी। पात्रशेव के अलावा अफगानिस्तान पर अमेरिका के नए राजदूत थामस वेस्ट भी भारत आ रहे हैं।
दिल्ली में होने वाले क्षेत्रीय सुरक्षा डायलाग में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को उज्बेकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव विक्टर माखुमुदोव और ताजिकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुल्लो महमूदजोदा पहुंचे। इन दोनों के साथ डोभाल की अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता हुई। सूत्रों का कहना है कि दोनों बैठकों में अफगानिस्तान का मुद्दा ही सबसे हावी रहा। मोटे तौर पर इन दोनों देशों की सोच और चिंताएं भारत के समान ही हैं।
अफगान-ताजिकिस्तान सीमा पर हालात बहुत ही चुनौतीपूर्ण
ताजिकिस्तान के एनएसए ने हाल के दिनों में अफगानिस्तान में बढ़ रहे आतंकी हमलों को लेकर अपनी गहरी चिंता जताई है और कहा है कि अफगान-ताजिकिस्तान सीमा पर हालात बहुत ही चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि दोनों देशों के बीच सीमा को सुरक्षित रखने वाले ढांचागत विकास में सहयोग को लेकर भी बात हुई है। सूत्रों ने उज्बेकिस्तान और भारत के बीच हुई बैठक के बारे में बताया कि दोनों देश इस बात को सबसे ज्यादा जरूरी मानते हैं कि अफगानिस्तान में बाहरी देशों का हस्तक्षेप पूरी तरह से बंद होना चाहिए।
मानवीय मदद मुहैया कराने के विकल्प पर भी बात
साथ ही दोनों यह भी मानते हैं कि अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता देने से पहले उस सरकार को आंतरिक तौर पर भी पूरी तरह से वैध माना जाना चाहिए। इन दोनों देशों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में मानवीय मदद मुहैया कराने के विकल्प पर भी बात हुई है। इस बारे में बुधवार को संयुक्त तौर पर और अलग-अलग होने वाली बैठकों में विस्तार से विमर्श होगा।
वेस्ट भारत के अलावा रूस और पाकिस्तान भी जाएंगे
भारत की अगुआई में अफगानिस्तान पर यह अहम बैठक तब हो रही है जब अफगानिस्तान पर अमेरिका के नए राजदूत थामस वेस्ट भारत आने वाले हैं। वेस्ट भारत के अलावा रूस और पाकिस्तान भी जाएंगे। लेकिन उनका भारत आना और अफगानिस्तान के सात अहम पड़ोसी देशों का भारत आना यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी मानती है कि अफगान समस्या के समाधान में भारत की भूमिका अहम होगी। इसका वजह बताते हुए उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात को लेकर पाकिस्तान को छोड़कर अफगानिस्तान के सारे पड़ोसी देश अब काफी चिंतित हैं। यही वजह है कि दिल्ली डायलाग में रूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सहर्ष शामिल हो रहे हैं।
देशों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंताएं हो गई हैं पैदा
बैठक की तैयारियों को लेकर इन सभी देशों के उच्चाधिकारियों के साथ भारत की जो अभी तक वार्ता हुई है उसमें इन्होंने स्वीकार किया है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद इन देशों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंताएं पैदा हो गई हैं। ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और दूसरे मध्य एशियाई देशों ने अपने समाज में अतिवाद बढ़ने को लेकर ज्यादा चिंता जताई है और भारत से कट्टरता को रोकने में मदद भी मांगी है। उक्त सूत्रों का कहना है कि रूस निश्चित तौर पर अमेरिकी सेना की वापसी को अमेरिका की हार के तौर पर देख रहा है, लेकिन उसे अब इस बात का अहसास है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद उसके पड़ोसियों व उसके लिए काफी खतरा पैदा कर सकता है।
पाकिस्तान और चीन दोनों को मिलेगा महत्वपूर्ण संदेश
पाकिस्तान की तरफ से यह दिखाया जा रहा है कि रूस उसकी अफगान नीति के साथ है, जबकि हकीकत यह है कि अफगानिस्तान को लेकर भारत और रूस लगातार एक दूसरे के संपर्क में हैं। अगस्त, 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच हुई टेलीफोन वार्ता में अफगान का मुद्दा सबसे अहम रहा था। बुधवार को भारत आने वाले रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव की कुछ ही हफ्तों में यह दूसरी भारत यात्रा होगी। ऐसे में बुधवार को दिल्ली डायलाग के बाद अगर आठों देशों की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी होता है तो यह पाकिस्तान और चीन दोनों को एक महत्वपूर्ण संदेश होगा।