- पृथवी लाल केशरी-
रामानुजनगर 08 नवम्बर 2021 (घटती-घटना)। वैसे तो आस्था का महापर्व छठ त्योहार मुख्य तौर पर बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है लेकिन,आजकल बहुत से लोग इस व्रत को करने लगे हैं. इस लोक आस्था के पर्व पर छठ व्रती उगते और डूबते डुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी आराधना करती हैं. यह त्योहार सूर्य षष्ठी व्रत भी कहलाता है इस कारण इसके छठ भी कहा जाता है। इस व्रत को साल में दो बार मनाया जाता है पहले चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक मास में वैसे कार्तिक मास में किए जाने वाले छठ की अधिक मान्यता है। आस्था का महापर्व छठ आज से शुरू हो गया है चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय इस खास दिन छठ व्रती महिलाओं ने कन्हर नदी में इस्नान उपरांत पूरे दिन भर में केवल एक ही बार सात्विक भोजन ग्रहण की। वही दूसरे दिन यानी पंचमी को खरना कहा जाता हैं इस दिन छठ व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखती है और शाम को अरवा चावल की बनी खीर और रोटी छठी मईया को अर्पण करने के बाद उनका प्रसाद ग्रहण करती है इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। 8 नवंबर को नहाय-खाय,9 नवंबर को खरना,10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य एवं 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देंगी।
छठव्रती महिलाएं करती हैं विधिविधान से पूजा
छठव्रती महिलाएं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में सबसे पहले दिन नहाय-खाय होता है इस दिन व्रती घर में पवित्रता के साथ बनाएं गए सात्विक भोजन को ही ग्रहण करती हैं इसके बाद दूसरे दिन, दिन बर निर्जला उपवास करने के बाद शाम को गुड़ की खीर यानी ‘रसियाव’ बनाया जाता है इसके साथ ही छठ मैया को रोटी का भोग लगाकर बाद में व्रती महिलाएं खाती है इसके बाद छठ का 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है शाम के अर्ध्य देती है। लोग इस दिन छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकुए को प्रसाद के रूप में जरूर चढ़ाते हैं इसके बाद पूजा के आखरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर छठ पर्व कि समाप्ति करते हुए प्रसाद ग्रहण करती है।
इन पूजा सामग्रियों के माध्यम से करती हैं अनुष्ठान
साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बास का सूप, दूध, जल, लोटा, शाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि सूर्य देव के छठ पूजा के दिन सभी प्रकार के मिलने वाली सभी प्रकार के मौसमी फलों एवं सब्जियों को अर्पण किया जाता है।