जिला शिक्षा अधिकारी कोरिया की कार्यशैली को लेकर भी लिखा गया मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र
एकल शिक्षकीय शालाओं में जल्द शिक्षको की व्यवस्था नहीं होने पर होगा आंदोलन
रवि सिंह-
बैकु΄ठपुर 31 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में खोले गए आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में अन्य शासकीय शालाओं से शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति किये जाने के मामले में अब एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रभान बर्मन ने आपत्ति दर्ज करते हुए कोरिया जिले के जिला शिक्षाधिकारी की इस कार्यशैली का विरोध किया है वहीं उन्होंने कहा है कि कोरिया जिले के कई शासकीय शालाओं में पहले से ही शिक्षकों की कमी है और उसके बावजूद जिला शिक्षाधिकारी विभिन्न शालाओं से शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति प्रदान करते हुए आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालयों में कार्य करने नियुक्त कर रहें हैं। पूरे मामले पर आक्रोशित एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रभान बर्मन ने इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री सहित शिक्षामंत्री से करते हुए यह मांग भी की है कि इस तरह की प्रतिनियुक्तियों पर रोक लगे और शासकीय शालाओं जहाँ पहले से ही शिक्षकों की कमी है से किसी शिक्षक को आत्मानन्द अंग्रेजी विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति प्रदान न कि जाए।
चंद्रभान बर्मन ने लिखा है कि एक तरफ छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार प्रदेश में लगातार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने उसकी बेहतरी के लिए प्रयास कर रही है वहीं दूसरी तरफ जिला शिक्षाधिकारी कोरिया अपनी मनमानी पर उतारू होकर कई शासकीय शालाओं से शिक्षकों को आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति प्रदान कर विद्यालयों को एकल शिक्षकीय कर रहें हैं,वह भी ऐसे समय पर ऐसा किया जा रहा जब शिक्षा सत्र का बीच का सत्र व महत्वपूर्ण सत्र जारी है। वहीं उन्होंने यह भी लिखा है कि इस तरह की प्रतिनियुक्ति से कई शासकीय शालाओं में शिक्षकों की कमी हो जा रही है। वही उन्होंने उदाहरण भी देते हुए बताया कि शासकीय हाई स्कूल कोड़ा में बीच सत्र में ही हिंदी व अर्थशास्त्र के शिक्षकों को अन्यत्र विद्यालय के लिए भारमुक्त कर दिया गया है साथ ही गणित के अतिथि शिक्षक की नियुक्ति अंग्रेजी माध्यम स्कूल में हो जाने से गणित विषय की भी पढ़ाई बाधित है। वहीं ऐसा होने से कुल पांच शिक्षकों के भरोशे ही हाई स्कूल कोड़ा संचालित हो रहा है। वही उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि इसी तरह जिले के कई प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूलों से कई शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में प्रतिनियुक्ति प्रदान कर दी गई है जिसकी वजह से कई विद्यालयों में छात्रों की पढ़ाई बीच ससत्र में बाधित हो रही है। वहीं उन्होंने इस बात का भी पत्र में उल्लेख किया है कि वैसे भी शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों को कई अन्य जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती है और जिसकी वजह से कई बार विद्यालय में शैक्षणिक कार्य बाधित हो जाते हैं वहीं लगातार दो सत्र कोविड 19 की वजह से भी विद्यालय बंद थे व छात्र छात्राओं की शिक्षा इस दौरान बाधित हुई थी वहीं इस तरह की प्रतिनियुक्ति से आगे भी छात्र छात्राओं की पढ़ाई पर असर पड़ने की पूरी संभावना है।
वहीं उन्होंने चिरिमिरी क्षेत्र के विद्यालय बरतूंगा प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल बंद करके उसके स्थान पर आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोला गया परंतु हिंदी माध्यम स्कूल के बच्चों को 4 किलोमीटर पैदल चलकर अब बड़ी बाजार स्कूल जाना पड़ रहा है स्थानीय पार्षदों एवं मनोनीत पार्षदों द्वारा बार-बार जिला शिक्षा अधिकारी को बरतूंगा स्कूल खोलने के लिए आवेदन करने पर भी आज तक उनके द्वारा कोई ठोस या सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, ना ही कोई लिखित आदेश जारी किया गया केवल टालमटोल कर अपनी जवाबदारी से बचने का कार्य किया जा रहा है।
बर्मन ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मार्कशीट या दाखिल खारिज में छोटी मोटी लिपटी त्रुटि होने पर भी उनमें सुधार नहीं किया जाता है एवं नोटशीट में कोर्ट जाने के लिए उल्लेखित किया जाता है साथ ही छात्र नेताओं एवं किसी भी छात्र एवं आम जनों की बातों को तवज्जो नहीं दिया जाता है, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लगातार इस तरीके की लापरवाही और अनियमितता बरती जा रही है जिससे जिले में विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं यदि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा दीन दिनों के अंदर इन शिक्षकों को वापस विद्यालय में नहीं भेजा गया साथ ही अन्य किसी भी शिक्षक का शिक्षा सत्र के बीच में विद्यालय से मूल पदस्थापन से अन्यत्र किसी ऐसे विद्यालय में संलग्न किया गया जहां संविदा या कलेक्टर दर से सीधी भर्ती की जा सकती है तो जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का घेराव किया जाएगा जिसके लिए पूर्ण रुप से जिला शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार होंगे क्योंकि उनके इस तरीके के कृत्य से प्रदेश में कांग्रेस सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान उत्पन्न हो रहे है।