सांसदों के लेटर हेड पर फर्जी हस्ताक्षर कर हो रही हैं झूठी शिकायतें
नई दिल्ली ,29 अक्टूबर 2021 (ए)। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में सांसदों और दूसरे वीआईपी लोगों के लेटर हेड पर फर्जी हस्ताक्षर कर शिकायत भेजने वाले अब सुधर जाएं। आयोग द्वारा ऐसे पत्रों पर तब तक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जब तक कि सांसद या वीआईपी उसकी पुष्टि नहीं कर देंगे।
आयोग के अनुसार अफसरों के खिलाफ आयोग को ऐसी शिकायतें मिलती रही हैं। अधिकांश शिकायतों में निजी दुश्मनी निकालना, अगर किसी अफसर ने कोई गलत काम करने से इनकार कर दिया है या कोई फाइल निकलने में देरी हो गई है, आदि को लेकर अफसर को टारगेट करने का प्रयास किया जाता है। विजिलेंस मैनुअल 2021 (अपडेट) में लिखा है कि अगर आयोग द्वारा किसी मंत्रालय में संबंधित मंत्री के नाम पर कोई शिकायत भेजी जाती है तो उसका जवाब मंत्री को ही देना पड़ेगा। केंद्रीय सतर्कता आयोग के अनुसार, सांसदों के यहां से अनेक शिकायतें आती हैं। कई दूसरे वीआईपी लोग भी अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए शिकायत भेजते हैं। ऐसे लोगों के लेटर हेड पर संबंधित अफसर का नाम एवं पद लिखकर कार्रवाई करने के लिए कहा जाता है। मामला क्या है, इसकी पूरी जानकारी लेटर हेड में नहीं होती। इतना ही नहीं, लेटर हेड पर सांसद या वीआईपी के फर्जी हस्ताक्षर होते हैं। आयोग के समक्ष ऐसे कई मामले सामने आने के बाद अब अपडेट मैनुअल में यह प्रावधान किया गया है कि इस तरह की शिकायतों की पहले पुष्टि की जाएगी। संबंधित सांसद या वीआईपी से पूछा जाएगा कि क्या उन्होंने ऐसी कोई शिकायत भेजी है। वहां से पुष्टि होने के बाद ही आयोग में शिकायत दर्ज होगी।
अगर किसी लोक सेवक के खिलाफ तथ्यों से परे जाकर कोई शिकायत आयोग में आती है तो उस शिकायतकर्ता पर कार्रवाई हो सकती है। ऐसी शिकायतों में यह देखा जाएगा कि वह शिकायत झूठी तो नहीं है, या गलत इरादे से दी गई है या फिर उसके पीछे उकसावा एक अहम वजह है, आदि बातों की जांच की जाएगी। इसका मतलब यह है कि शिकायत निराधर न हो। अगर इस तरह की झूठी शिकायत मिलती है तो शिकायतकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। आयोग ने अपने नियमों में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि शिकायत देने के बाद अगर कोई व्यक्ति किन्हीं कारणों से उसे वापस लेता है तो जांच नहीं रोकी जाएगी।
किसी भी मामले में जांच के लिए ईमेल से जो शिकायत भेजी जाती है, उसे आयोग की मेल पर भेजा जाए। देखने में आया है कि बहुत से लोग आयोग के अफसरों की ईमेल पर अपनी शिकायत भेजते हैं। ऐसी शिकायतों को दर्ज नहीं किया जाएगा। यदि जांच में ठोस तथ्यों का अभाव है तो जांच फाइल आगे नहीं बढ़ेगी। शिकायत, बिना नाम से दी गई है या छद्म नाम लिखा है तो उस पर विचार नहीं होगा। ऐसी शिकायतें न तो दर्ज होंगी और न ही रिपोर्ट की जाएंगी। जांच शुरू करने से पहले संबंधित व्यक्ति से शिकायत देने का कारण पूछा जा सकता है। उस व्यक्ति को 15 दिन में जवाब देना होगा। आयोग उसे रिमांडर भेजेगा। अगर उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं आता है तो उस शिकायत को छद्म मानकर खत्म कर दिया जाएगा। यदि सीवीओ के खिलाफ कोई शिकायत मिलती है तो उस बाबत आयोग फैसला लेगा। विजिलेंस कर्मी पर कोई आरोप लगता है तो ऐसे सभी मामलों को सीवीओ अपने स्तर पर छानबीन करेंगे।