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रामानुजगंज@जल संसाधन विभाग में करोड़ों रुपये के राशि का हुआ बंदरबाट,सर्वे के नाम पर 90 फर्मों को किया भुगतान

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पृथ्वीलाल केशरी-

रामानुजगंज 27 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। बलरामपुर रामानुजगंज जिले के रामानुजगंज में स्थित जल संसाधन विभाग संभाग क्रमांक 2 भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है। 420 के केस में कई अधिकारी-कर्मचारी जमानत पर चल रहे हैं, उसके बाद भी यहां भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पा रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सिंचाई योजनाओं में सर्वेक्षण के नाम पर करीब दो करोड़ रुपए 90 ठेकेदारों के नाम पर आहरित कर बंदरबांट कर लिया गया। सुजीत कुमार नामक व्यक्ति का कहना है कि यदि उच्च स्तरीय जांच होती हैं तो कई चौकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 88 कार्यों के सर्वेक्षण के नाम पर अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिली भगत कर दो करोड़ रुपए निकाल लिए हैं। जिन कार्यों के सर्वेक्षण के नाम पर पैसा आहरित किया गया है, उसमें से अधिकांश काम विभागीय कर्मचारियों के द्वारा सिर्फ पेन-पेपर पर ही निपटा दिया गया है। सबसे बड़ा प्रश्न यह में कि यदि सर्वे का कार्य विभागीय अधिकारी कर्मचारियों द्वारा किया गया तो ठेकेदारों के नाम पर फर्जी बिल लगाकर पैसा क्यों निकाल लिया गया। यदि सर्वे ठेकेदारों से ही कराना था, तो इसके लिए कोई निविदा जारी क्यों नहीं की गई। जिन ठेकेदारों के नाम पर बिल लगा कर पैसों का आहरण क्यों किया गया है, उनमें से अधिकांश ठेकेदार सिर्फ कागजों में ही काम करने वाले हैं। उनके पास न तो ठेकेदारी से संबंधित कोई संसाधन है और न ही कार्य कराने के लिए उप अभियंता है। बिना इंजीनियर आखिर सर्वे कैसे हो गया जिन फर्मों से जल संसाधन विभाग ने सर्वे कराया है उसमें रामनुजगंज, राजपुर से लेकर अंबिकापुर तक व्यापक अनियमितता बरती गई है। यहां तक कि फर्मों के पास अपना इंजीनियर तक नहीं है। ऐसे फर्मों के नाम पर पैसे निकले हैं। जल संसाधन विभाग संभाग क्रमांक 2 के द्वारा चेरा डायवर्शन पार्ट वन रक्साखोली डायवर्शन पार्ट वन, महुली जलाशय पार्ट वन, चेवरा सरई मचीला भाड़ा जलाशय पार्ट 2, मरघट नाला जलाशय पार्ट वन सहित इसी प्रकार से 88 कार्य हैं। वहीं हर कार्य के नाम से ठेकेदार से अनुबंध कराकर सर्वेक्षण के नाम पर कहीं दो लाख तो कहीं डेढ़ लाख कुल मिलाकर दो करोड़ रुपए के लगभग निकाल लिए गए हैं। जल संसाधन विभाग पूरे संभाग में भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा सुर्खç¸यों में रहा है। कई बार प्रमाणित आरोप भी लगे। वहीं जांच भी हुई. लेकिन जांच में लीपापोती कर दी गई। अब तक कार्रवाई नहीं होने से भ्रष्टाचार करने वालों का मनोबल चरम पर है। इस कारण यहां भ्रष्टाचार में लगाम नहीं लग रही है। जांच में लीपापोती के कारण भ्रष्टाचारियों के हौसले और भी बुलंद होते जा रहे हैं। सर्वे कैसे हुआ होगा,समझा जा सकता है। सिर्फ पैसा आहरण करने के लिए फर्मों का सहारा लिया गया है। वही कुछ फर्मोंों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि विभाग के अधिकारी ने फोन कर बुलाया और फर्म का बिल लगाने को बोले। वहीं कुछ परसेंट हमें देकर पूरा पैसा वापस ले लिया गया। किस चीज का बिल निकला,ये हमको पता भी नहीं है।
विभागीय सूत्रों ने बताते हैं कि करोड़ों रुपए के फर्जी बिल बनाए गए हैं, जिनके भुगतान की तैयारी विभाग द्वारा जोर-शोर से की जा रही है। समय रहते यदि इसकी जांच नहीं होगी, तो यह भी भुगतान पूरा कर लिया जाएगा।

एबीसी टीम की छापे में मिली थी करोड़ों की संपत्ति

रामानुजगंज जल संसाधन संभाग क्रमांक-2 में कार्यपालन अभियंता के पद पर पदस्थ यू एस राम
जब कोरिया जिले के बैकुंठपुर में पदस्थ थे तब एबीसी टीम के छापे में करोड़ों की संपत्ति मिली थी जिस पर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने इनके खिलाफ अभियोजन की सुकृति दे दी है। गौरतलब है कि यू एस राम के बैकुंठपुर स्थित निवास स्थल पर अप्रैल 2016 में एंटी करप्शन ब्यूरो रायपुर की टीम ने छापा मारा था। इस दौरान करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति मिली थी। 5 साल बाद इस मामले में राज्य सरकार ने ईई के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति प्रदान कर दी है।जल संसाधन विभाग के अवर सचिव ने 17 जून को विधि एवं विधायी विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर मुख्यालय राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो 3402 एन्टी करप्शन ब्यूरो छत्तीसगढ़ रायपुर
अभियोजन स्वीकृति के लिए सहमति व्यक्त करते हुए उपलब्ध कराए गए समस्त अभिलेख/दस्तावेज मूलतः उनके भेजे गए हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मिली अभियोजन की स्वीकृति के बाद अब मामला न्यायालय में प्रस्तुत होगा,आरोप पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। इसकी सुनवाई विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में होगी।

ये था पूरा मामला

23 अप्रैल वर्ष 2016 में एसीबी रायपुर की टीम ने तत्कालीन कार्यपालन अभियंता यूएस राम और तत्कालीन एसडीओ एसएल गुप्ता के घर पर छापेमारी की थी। इस दौरान करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था। एसडीओ ने तो बाथरूम में 21 लाख रुपए छिपा दिए थे तथा ज्वेलरी बाहर फेंक दी थी। तब से एसीबी की जांच जारी थी। एसीबी द्वारा अभियोजन के लिए सरकार से स्वीकृति की मांग की गई थी जो अब मिल गई है।


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