सात किमी मिट्टी,मुरूम सड़क से बनी कई पुल बही
रवि सिंह–
बैकु΄ठपुर/पटना 16 अक्टूबर 20216 (घटती-घटना)। वन विभाग परिक्षेत्र बैकुण्ठपुर ने 7 किमी सिंहपानी से पुटा पहुंच वन मार्ग मुरूम, मिट्टी से निर्माण कराया था, जिसमें 5 नग पुलिया के साथ कई नाले भी शामिल रहे। बरसात के पूर्व कराये गये नवीन वन र्माग का निर्माण तो हुआ पर यह मार्ग पहली बारिश को नहीं झेल पाए आलम यह है कि यह वन सड़क कई जगहों से टूट गया और कई पुल बह गये।
सरकार के बजट में आवागमन को सुगम बनाने व जंगली जगहों पर निवासरत् लोगों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिये व्यवस्थित मार्ग बनाने के लिए सरकार से बजट लिया जाता है। जिस पर प्रशासन द्वारा भी इस बात की स्वीकृति दी जाती है कि सड़क का निर्माण हो सके। ऐसा ही एक वन मार्ग जहां बारीश से पहले हुये निर्माण कार्य की पोल खोलती दिखती है। सिंहपानी से पुटा पहुंच वन मार्ग मिट्टी-मुरूम व 5 नंग पुलिया से निर्माण कार्य कराया गया पर यह नवीन मार्ग पहली बरसात से जवाब दे बैठी। भारी बजट ऐस्टीमेट के आधार पर स्वीकृत तो मिल गई, जिसे देख एजेंसी के जिम्मेदारों ने गैर जिम्मेदारी तरीका अपनाते हुए वन मार्ग निर्माण कार्य कराया और लाभ कमाया।
पुल में लगी ह्यूम
पाईप टूटकर निकले,
रास्ते में बने गड्डे
पुल निर्माण में लगी ह्यूम पाईप पुलिया से अलग-थलग हो गई वन मार्ग में बिछाए गिट्टी मुरूम बारिश ने जाने कहां बहा ले गई अब मार्ग में कांटों की तरह पत्थर राहगीरों से खुद को चुभ रही हैं। पूटा, सिंहपानी वन मार्ग के निर्माण में घोर लापरवाही को दर्शता है वहीं ग्रामीणों ने यह भी कहा कि निर्माण के दौरान हमने भी कई बार कहा कि निर्माण सही तरीके से कराये पर यह काम तो लोगों के हित में होकर काम कराने वाले विभागयी अधिकारीयों के हित में बनकर रह गयी। आलम यह है कि अब इस मार्ग में दुपहिया वाहन हो या सायईक पाल नहीं कर सकते। जगह-जगह गड्डे बन गये है और सड़क में बिछे मुरूम दूर-दूर तक नजन नहीं आते।
गुणवत्ता का नहीं रहा ख्याल
वन मार्ग के निर्माण में मापदंड के अनुसार कार्य नहीं किया गया। गुणवत्ता को दरकिनार कर लाभ कमाने के लिये इस वन मार्ग का निर्माण कराया गया। जो हाल नवीन वन मार्ग का है उसे देखकर नहीं लगता कि यह पहली बरसात में ऐसा किया हो। कहीं ना कहीं अपनी जेब भरने की लापरवाही से इस वन मार्ग का कार्य कराया गया, जिससे यह क्षतिग्रस्त हो गई अब इसमें लगभग 4 दिनों से रिपेयरिंग का कार्य कराया जा रहा है। जो समझ से परे है, रिपेयरिंग में मशीनों का उपयोग किया जाता है उनका खर्च कहां से आ रहा है यह तो परिक्षेत्र के रेंजन ही जानते है।
वन विभाग के रेंजर मालामाल राहगीर परेशान
वन विभाग का आलम ऐसा है कि यहां बैकुण्ठपुर में परिक्षेत्र के रेंजर की ही धाक चलती है। वन र्माग के निर्माण से लेकर विभिन्न निर्माण कार्यो में इनका ही प्रत्यक्ष वह अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप रहता है। सिंगपानी से पुटा पहुंच 7 किमी का वन मार्ग के निर्माण में घोर लापरवाही की गयी है इसी का नतीजा है कि यह सड़क पहली बारीष को नहीं झेल पाया और कई जगहों से बह गया। पर जिम्मेदारों को इसकी परवाह नहीं क्योंकि उन्होंने अपना काम कर दिया और अब लोग परेषान हो इससे उन्हे क्या।