-रवि सिंह-
बैकु΄ठपुर/पटना 16 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। सुख, जीवनदायिनी, कश्टों का हरण कर भक्तों को मनवांछित फल देकर उन्हें धन, धान्य करने वाली आदि शक्ति मॉं जगत जननी की उपासना भक्ति के महापर्व शारदेय नवरात्रि के नौ दिवसीय धार्मिक बेला की समाप्ति पर माता के सेवकों ने मॉ दुर्गे को नवरात्र समाप्त होने पर मां के दरबार पर पहुंचे और वहां पर महिलाओं ने सिंदुरदान कर एक दुसरे से गले मिलकर विजय दशमीं की बधाई दी। वहीं दसमीं की प्रथम बेला पर अपने घर की सुख समृद्वि के लिए दुशमनों के नाश के लिए अपराजिता पूजा की गई। इस दौरान काफी संख्या में महिलाऐं मां के अंतिम दर्शन के लिए मां के दरबार पर खड़ी रही। माता दुर्गा की विदाई की बेला पर लोगों की भक्तों की आंखें नम देखने को मिली उनके चेहरे उदास नजर आए। क्षेत्र के सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति रनई एवं कोयलांचल कटकोना बाजार पारा में स्थापित माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।
शारदीय नवरात्र के अवसर पर क्षेत्र में दुर्गा महोत्सव को भक्तों द्वारा जगत जननी मॉ दुर्गा की पूजा-अर्चना एवं हवन करके किया गया। हालांकि इस वर्श दुर्गा महोत्सव 9 दिन का रहा अश्टमी एवं नवमी एवं दषमीं के दिन भक्तों द्वारा विशेष पूजा अर्चना की गई। पूजा के अंतिम दिन दुर्गा पण्डालों में घट कलस की पूजा और हवन आदि का अयोजन किया गया। दुर्गा पंडालों में नवमी के दिन जगत जननी माँ दुर्गा की आराधना के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की और हवन पूजन करते हुए पूर्णआहूति देकर महाव्रत का विधिवत पारण किया। वहीं श्रद्वालू अंतिम दिन जगत जननी मां दुर्गा का आशिर्वाद लेने पंड़ालों में पहुंचे और मां आदि शक्ति से अपने परिवार की सुख समृद्वि की कामना की। दशमीं की बेला पर कटकोना में हर वर्श की भांति इस बार भी बंगाली विधि के साथ अपराजिता पूजा की गई ताकि उनका परिवार दुषमनों व संकटों से दूर रहे। वहीं साथ ही महिलाओं ने बंगाली परंपरा व मान्यता के अनुसार विवाहित महिलाओं ने सिंदूर दान कर एक दुसरे को सिंदुर लगाकर गले मिल विजय दशमीं की गधाई दी।
प्रतिमा का विसर्जन
बैकुंठपुर, चिरीमिरी, कटकोना, पटना के पंडालों में विराजी मां दुर्गा की प्रतिमा का दसवीं के दिन सिंहासन हिलाया गया वहीं प्रतिमा का विसर्जन बुधवार को किया जायेगा। भक्तों का दसवीं के दिन मां का विदाई करते समय आंखे नम हो गयी वहीं दर्षन के दौरान भक्तों ने अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। कई जगह पर दशवी पर माँ दुर्गे की प्रतिमा का विसर्जन किया गया।